झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / bharat

Jharkhand Assembly Election Result: हेमंत सोरेन ने रचा इतिहास, झारखंड में पहली बार रिपीट हो रही सरकार - JHARKHAND ASSEMBLY ELECTION RESULT

झारखंड में झामुमो की अगुवाई में इंडिया ब्लॉक शानदार जीत की ओर है. चंद्रकांत सिंह की इस रिपोर्ट में जानिए कैसे जीता झामुमो.

JHARKHAND ASSEMBLY ELECTION RESULT
डिजाइन इणेज (Etv Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 23, 2024, 2:06 PM IST

रांची: झारखंड में इंडिया गठबंधन शानदार जीत की ओर अग्रसर है. इस जीत के अगुआ हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन को माना जा रहा है. इन दोनों ने ही पूरे चुनाव प्रचार का जिम्मा अपने कंधों पर उठा रखा थी. हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन ने मिलकर 200 से अधिक सभाएं की. इन्होंने झामुमो उम्मीदवारों के साथ-साथ कांग्रेस और राजद उम्मीदवारों के लिए भी प्रचार किया. इन दोनों ने लगभग सभी 81 विधानसभा सीटों पर सभा किया और ये बताने में कामयाब रहे कि बीजेपी ने हेमंत को परेशान किया है और झूठे केस में जेल भेजा है.

हेमंत सोरेन का जेल जाना टर्निंग प्वाइंट

झारखंड चुनावों से पहले हेमंत सोरेन ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस में गिरफ्तार कर लिया. इससे पहले हेमंत सोरेन ने अपने सीएम पद से इस्तीफा दिया और चंपाई सोरेन को सीएम बनाया गया. हेमंत कि गिरफ्तारी के बाद झामुमो ने इसे मुद्दा बनाया और लोगों को ये मैसेज देने का प्रयास किया कि एक आदिवासी को सीएम को प्रताड़ित किया जा रहा है. झामुमो विक्टिम कार्ड खेलती रही, जिसने कहीं ना कहीं वोटरों को प्रभावित किया. इसके अलावा हेमंत के जेल जाने से उनके खिलाफ लोगों में जो एंटइनकमबेंसी था वह भी कम हो गया और सहानुभूति का फायदा हेमंत सोरेन को हुआ. हेमंत ने अपने पोस्टरों में भी अपने हाथ में जेल का लगा स्टैंप दिखाया था.

हेमंत-कल्पना आदिवासी अस्मिता का दांव चला

झारखंड में झामुमो का सबसे बड़ा वोट बैंक आदिवासी और मुस्लिम को माना जाता है. आदिवासियों को हेमंत सोरेन ये समझाने में कामयाब रहे कि उन्हें आदिवासी होने के नाते परेशान किया गया. हेमंत की बातों से आदिवासी कनेक्ट हुए और आदिवासी बहुल इलाकों में झामुमो ने शानदार प्रदर्शन किया. इस रिजल्ट के बाद एक बार फिर से ये कहा जा सकता है कि आदिवासियों में झामुमो की पकड़ को कोई भी कमजोर नहीं कर सकता है.

बंटोगे तो कटोगे और डेमोग्राफी चेंज से हेमंत को फायदा

बीजेपी के नारे एक बंटोगे तो कटोगे और एक हैं तो सेफ हैं का नारा बैक फायर कर गया. बजेपी ने संथाल क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठ, डेमोग्राफी चेंज और रोटी बेटी माटी का मुद्दा जोर शोर से उठाया. पूरे चुनाव में बीजेपी का जोर बांग्लादेशी घुसपैठ और आदिवासियों लड़कियों से उनकी शादी के बाद जमीन कब्जे पर रही. झामुमो लगातार लोगो को ये बताने की कोशिश करती रही है बीजेपी लोगों को बांट रही है. इसके अलावा झामुमो के कई नेताओं ने ये भी बताया कि झारखंड की सीमा बांग्लादेश से नहीं लगती, इसलिए किसी भी तरह की घुसपैठ के लिए झारखंड सरकार जिम्मेदार नहीं है. वहीं इसका उल्टा असर ये हुआ कि मुस्लिम वोट बीजेपी से पूरी तरह से कट गए. दूसरी तरफ आदिवासियों सेंटिमेट पहले से हेमंत की तरफ था. ऐसे में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा.

सीता-चंपाई को तोड़ने पर बीजेपी को नुकसान

कई विशेषज्ञों का मानना है कि सीता सोरेन और चंपाई सोरेन को झामुमो से तोड़कर बीजेपी लाना उनके लिए नुकसानदायक रहा. एक तो बीजेपी के अपने कैडर के लोग नाराज हुए, दूसरी ओर आदिवासियों में मैजेस गया कि बीजेपी हेमंत सोरेन की पार्टी तोड़ने की कोशिश कर रही है और हेमंत सोरेन को खत्म करना चाहती है. इसके अलावा लोगों में ये भी संदेश किया कि बीजेपी किसी भी तरह सत्ता पाना चाहती है.

कल्पना सोरेन के रूप में झामुमो की मिली एक शानदार नेता

हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कल्पना सोरेन पार्टी में एक्टिव हुईं. वे पार्टी के लोगों से मिलने लगीं, सभा करने लगी. इसके बाद उन्हें गांडेय के उपचुनाव में उतारा गया जहां से उन्होंने जीत हासिल की. सिर्फ पांच महीने बाद ही विधानसभा चुनाव हुए इसमें अकेले कल्पना ने 100 से ज्यादा सभाएं की. लोगों को इनके बोलने का अंदाज, आम लोगों से मिलने का तरीका और संवाद पसंद आया. कल्पना से सभाओं में भारी भीड़ दिखती थी. कल्पना ने महिला वोटरों को टारगेट किया और उनसे लगातार मिलती रहीं और इसमें कल्पना काफी हद तक कामयाब भी रहीं.

मंईयां योजना का लाभ

झामुमो और इंडिया गठबंधन की जीत का जो सबसे बड़ा फैक्टर माना जा रहा है, वह है मंईयां योजना. इसके तहत महिलाओं को 1000 रुपए दिए जा रहे हैं. जो दिसंबर महीने से 2500 रुपए दिए जाएंगे. इस योजना ने महिलाओं को काफी प्रभावित किया. झारखंड में कई विधासभा सीटों में महिलाओं की वोटिंग अधिक रही. अब माना जा रहा है कि इन महिलाओं ने गोगो दीदी योजना को छोड़कर मंईयां योजना का चुनाव किया.

ये भी पढ़ें:

झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों में इन मुद्दों का रहा बड़ा योगदान, जानिए किसे कहा जा रहा कमजोर कड़ी

कौन बनेगा झारखंड का अगला मुख्यमंत्री, एक तरफ हेमंत तो दूसरी तरफ कौन!

ABOUT THE AUTHOR

...view details