जयपुर. राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में रेजिडेंट चिकित्सकों के हड़ताल पर चले जाने के कारण धीरे-धीरे हालात बिगड़ने लगे हैंं. दरअसल, राजधानी जयपुर में सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से जुड़े हुए अस्पतालों में रेजिडेंट चिकित्सक पिछले पांच दिनों से हड़ताल पर हैं. रेजिडेंट चिकित्सकों ने ओपीडी, आईपीडी और इमरजेंसी सेवाओं का बहिष्कार कर दिया है. हालांकि, रेजिडेंट चिकित्सकों का एक दल चिकित्सा विभाग की एसीएस शुभ्रा सिंह से मिला था, लेकिन वार्ता विफल होने के कारण हड़ताल जारी है.
इसी बीच शुक्रवार से जयपुर के अलावा प्रदेश के अन्य सरकारी अस्पतालों में भी रेजिडेंट चिकित्सकों ने दो घंटे कार्य बहिष्कार का एलान कर दिया है. वहीं, भजनलाल सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि सरकार उनकी मांगें सरकार नहीं मानती है तो फिर शनिवार से प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों में रेजिडेंट चिकित्सक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे.
ये है पूरा प्रकरण : कांवटिया अस्पताल में गर्भवती महिला के गेट पर हुए प्रसव के बाद चिकित्सा विभाग ने अस्पताल में कार्यरत रेजिडेंट चिकित्सकों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया था. जिसके बाद अब रेजिडेंट चिकित्सक इस कार्रवाई के विरोध में उतर गए हैं और उन्होंने कार्य बहिष्कार का एलान कर दिया. मामले को लेकर जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (जार्ड) का कहना है कि कांवटिया अस्पताल में गर्भवती महिला का लेबर रूम के बाहर अस्पताल परिसर में प्रसव होने के प्रकरण में निर्दोष पीजी छात्रों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की गई है. जिसके कारण सभी पीजी छात्र बहुत हतोत्साहित हैं और कार्य पर जाने पर डर महसूस कर रहे हैं. सबको लग रहा है कि उन्हें कभी भी, किसी भी मामले में झूठा उलझाकर सस्पेंड किया जा सकता है, चाहे गलती किसी की भी हो.
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जार्ड का कहना है कि इस प्रकरण में पीजी छात्रों के ऊपर कोई भी प्रोफेसर गाइनेकोलॉजिस्ट मौजूद नहीं था. प्रकरण में जब प्रसूता को प्रसव पीड़ा शुरू हुई और पीजी छात्रों को पता चला, तब उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसके लिए ट्रॉली भेजी और लेबर रूम के अंदर लिया और नियमानुसार उसका इलाज छात्रों ने अपनी क्षमता के आधार पर प्रसव पूर्ण करवाया. लेकिन जिस प्रकार इस प्रकरण में केवल तीन पीजी छात्रों को निलंबित किया गया है वह किसी भी तरीके से सही नहीं है. इससे सभी रेजिडेंटो में रोष व्याप्त है. जार्ड का कहना है की पूर्व में भी दो निर्दोष रेजिडेंट्स को एपीओ कर दिया गया था, जो आज तक एपीओ हैं. जबकि असली गुनाहगारों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. ऐसे में हमारी मांग है कि सभी रेजिडेंट चिकित्सकों पर की गई कार्रवाई को रद्द किया जाए. जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक कोई भी रेजिडेंट अस्पताल में कार्य नहीं करेगा.
विभाग ने की ये कार्रवाई : कावंटिया अस्पताल में गर्भवती महिला का खुले में प्रसव होने के प्रकरण में दोषी पाए गए तीन रेजिडेंट चिकित्सकों डॉ. कुसुम सैनी, डॉ. नेहा राजावत एवं डॉ. मनोज को चिकित्सा विभाग की ओर से निलम्बित कर दिया गया था. साथ ही राज्य सरकार ने लापरवाही के लिए जिम्मेदार अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र सिंह तंवर को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया था. अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा शुभ्रा सिंह ने बताया था कि प्रकरण सामने आने पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने तत्काल प्रभाव से जांच कमेटी गठित की थी. कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. कुसुम सैनी, डॉ. नेहा राजावत एवं डॉ. मनोज की गंभीर लापरवाही एवं संवेदनहीनता सामने आई है. जिसके बाद इन तीनों रेजिडेंट चिकित्सकों को निलम्बित किया गया था. साथ ही लापरवाही के लिए अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र सिंह तंवर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था.
अतिरिक्त चिकित्सक लगाए : एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े सभी अस्पतालों में रेजिडेंट स्ट्राइक पर हैं. जयपुर में जनाना अस्पताल, गणगौरी अस्पताल, कांवटिया अस्पताल, महिला चिकित्सालय, जेके लोन अस्पताल में भी रेजिडेंट हड़ताल पर हैं. ऐसे में इन अस्पतालों में भी मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है. मामले को लेकर सवाई मानसिंह अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर अशोक शर्मा का कहना है कि रेजिडेंट चिकित्सकों की हड़ताल के बाद व्यवस्था बनाने के लिए अतिरिक्त चिकित्सकों को SMS अस्पताल में लगाया गया है. इसके साथ ही अस्पताल में कार्यरत मेडिकल ऑफिसर्स को भी ओपीडी और एमरजेंसी सेवाओं में लगाया गया है.
वार्ता विफल : जार्ड का एक दल अपनी मांगो को लेकर वार्ता के लिए चिकित्सा विभाग की एसीएस शुभ्रा सिंह से भी मिला था, लेकिन वार्ता विफल रही. जार्ड का कहना है कि हम अपनी बात रखने के लिए चिकित्सा मंत्री से भी मिले थे, लेकिन वार्ता विफल रही. जिसके बाद हमारी सुनवाई नहीं होने के चलते हमने आंदोलन की ओर रुख किया है. इसके अलावा रेजिडेंट चिकित्सकों ने एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रशासन का पुतला भी जलाया.