भोपाल/इंदौर।इंदौर की गेर में जुडे़ हजारों-लाखों हुरियारों पर क्विटलों से रंग पड़े हैं, लेकिन जो इंसानियत का रंग गेर ने दिखाया, उस रंग के आगे ये सारे रंग फीके हैं. ये सारे रंग बेअसर हैं. कई किलोमीटर तक रेंगते से चले हुरियारों के जुलूस और रंग गुलाल की भरमार से मानो ऐसा नजारा लग रहा था जैसे रंगों का एक नया बादल बन गया हो. आसमान से रंगीन मधुमक्खी के छत्तों से दिखाई देती गेर की तस्वीरों में रंग और उल्लास हर बार विस्मय में डालता था, लेकिन इस बार की गेर के इस वीडियो ने ठहरकर सोचने पर मजबूर कर दिया कि जोश में होश नहीं खोया जाता. हुरियारों ने एम्बुलेंस के लिए रास्ता बनाया और ये बताया कि जिंदगी के हर रंग का एहतराम है.
ये वीडियो देखिए, कि इंसानियतन से पक्का कोई रंग नहीं
इंदौर में गेर का एक वीडियो केवल इसलिए देखना चाहिए कि जिस पर इंसानियत का रंग चढ़ा हो उसके आगे फिर हर रंग फीका. परवाह फिक्र ख्याल....इन सारे शब्दों को मिला लीजिए और उस समय जब आप बेसुध होकर रंग की खुमारी में झूम रहे हों, नाच रहे हों, तरतबर होकर उत्सव और उल्लास में तरबतर हुए जा रहे हों. तब देखिए कि मिनट भर में किसी की जिंदगी की चिंता कैसे हजारों की तादात में जुटे हुरियारों को एक कतार में ला देती है, कैसे मिनिट भर में रास्ता बन जाता है, एंबुलेंस हुरियारों के बीच से निकल जाती है.
जब इंसानियत ने दी एंबुलेंस को जगह
दरअसल, राजवाड़ा क्षेत्र के मुख्य मार्ग से एक एंबुलेंस को गुजरकर मरीज को अस्पताल पहुंचाना था. एंबुलेंस में मरीज के परिजन भी सवार थे, लेकिन जब रास्ते में गेर यात्रा की भीड़ नजर आई, तो एक बार लगा कि एंबुलेंस भी फंस जाएगी, लेकिन गेर उत्सव में शामिल लोगों की मदद के जज्बे के चलते एंबुलेंस के ड्राइवर और मरीज के परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. एंबुलेंस का सायरन सुनते ही स्थानीय लोगों ने और रंग पंचमी मना रहे लोगों ने तत्काल एंबुलेंस को रास्ता दिया. इस दौरान मौके पर तैनात सुरक्षाकर्मी और पुलिस कर्मी भी अलर्ट हो गए, हालांकि इसके बाद गेर के बीच में से ही भारी भीड़ के बावजूद एंबुलेंस को आसानी से रास्ता दिया गया और एंबुलेंस मरीज को अस्पताल पहुंच सकी.
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