ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित हस्तिनापुर कस्बे में रामभक्त हनुमान जी की अनोखी कृपा देखने को मिलती है. हस्तिनापुर में जब भी कोई विवाद होता है, तो पीड़ित पक्ष पुलिस के पास मदद की आस में पहुंचते हैं, लेकिन कई ऐसे भी लोग हैं. जो इसी थाना परिसर में विराजे समझौते वाले हनुमान जी के मंदिर में आते हैं. लोगों की आस्था और विश्वास इतना अडिग है कि इस मंदिर में आने वाले लोग हनुमान जी के सामने झूठ नहीं बोल पाते हैं. जब सच सामने होता है, तो सारे गिले शिकवे दूर हो जाते हैं.
चंद मिनटों में खत्म हुआ था 8 साल पुराना विवाद
हस्तिनापुर पुलिस थाना परिसर में बने समझौते वाले हनुमान मंदिर पर एक दो नहीं बल्कि करीब एक सैकड़ा विवादों का निपटारा हो चुका है. वर्षों पुराने विवाद भी शामिल हैं. बेहट के एसडीओपी संतोष पटेल बताते हैं कि "इस क्षेत्र के छोंदी गांव के रहने वाले शिवराज गुर्जर और राम लखन गुर्जर के बीच खेत की मेड़ को लेकर 8 साल पहले विवाद हो गया था, जहां मारपीट भी हुई. घटना खानदानी दुश्मनी में बदल गई. पिछले 8 वर्षों से कई बार ये दोनों पक्ष आमने सामने आए. खूनी संघर्ष हुआ. लोग घायल हुए और मामले भी दर्ज हुए.
गांव वालों की पहल पर पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाने के लिए बुलाया, तो हनुमान मंदिर पर पंचायत हुई. हनुमान जी के दरबार में मंथन हुआ कि आखिर इतने वर्षों में किसने क्या खोया और ये बात दोनों पक्षों को समझ आ गयी. एक-दूसरे को गले लगा कर विवाद खत्म हुआ और थाने में राजीनामा कर दुश्मनी भी खत्म कर दी गई."
पैर छूकर खत्म हुआ दो भाइयों की लड़ाई
ठीक ऐसी ही स्थिति गांव के राणा परिवार में हुई, दो भाई घरेलू विवाद में उलझे विवाद बढ़ा तो मामला पुलिस तक पहुंचा. मामले में पुलिस भी आपसी समझौते के जरिए विवादों को सुलझवाने में विश्वास रखती है. SDOP संतोष पटेल ने दोनों भाइयों को बुलवाया और उन्हें समझाया. सभी लोग समझौते वाले हनुमान मंदिर पर आए. जहां सच और झूठ की परीक्षा हुई, तो भगवान के दरबार में कोई झूठ नहीं बोल सका. जिसका नतीजा दोनों भाइयों ने विवाद खत्म कर दिया और छोटे ने बड़े के पैर छूकर राजीनामा कर लिया.
ईश्वर के सामने झूठ बोलने से डरते हैं लोग
बेहट SDOP संतोष पटेल कहते हैं कि "हस्तिनापुर थाना परिसर में लगे बरगद के पेड़ के नीचे हनुमान जी का मंदिर है. यहां के थाना प्रभारी और स्टाफ ने कई पुराने विवाद सुलझाने में पहल की है. दोनों पक्षों को बुलाकर जब मंदिर में बातचीत की तो, उसका असर दिखाई दिया, क्योंकि जो लोग ईश्वर को मानते हैं. उन्हें यह लगता है कि ईश्वर हमेशा आपको देख रहा है. मंदिर में बैठकर अन्याय की बात करना या झूठ बोलना गलत होगा. इससे उनके साथ भी गलत हो सकता है. इसलिए वे सच बोलने लगते हैं.
जब इंसान सच बोलता है, तो दोनों पक्षों को बैठाकर पुलिस विवाद सुलझाने के लिए बातचीत करती है. मामला सुलझने पर बकायदा यहां राजीनामा कराया जाता है. दोनों पक्ष गले मिलते हैं और कई बार अगर उम्र में छोटे-बड़े होते हैं, तो एक दूसरे के पैर भी छूते हैं. ईश्वर को साक्षी मानकर आगे कभी भी किसी तरह का विवाद आपस में न करने की कसमें खाते हैं."
लोगों की मांग पर हुआ मंदिर का नामकरण
इस तरह के उदाहरण सामने आने के बाद धीरे-धीरे जनता का विश्वास बढ़ता गया. लोगों ने इन्हें समझौते वाले हनुमान का नाम दिया. करीब तीन महीने पहले लोगों की मांग पर अब यहां उनके नाम का बोर्ड भी लगा दिया गया है. SDOP पटेल ने बताया कि इस मंदिर पर कई बड़े-बड़े विवाद सुलझते हैं. गुर्जर परिवार का विवाद तो था ही साथ ही 65 लाख रुपए के लेन देन का भी मामला था. आए दिन अलग-अलग तरह के विवाद सामने आते हैं. इसी मंदिर पर उनका निपटारा हो जाता है."
दूसरे थानों से भी समझौते के लिए संपर्क करते हैं लोग
SDOP बताते हैं कि अब तो दूसरे स्थानों के भी लोग यहां समझौते के लिए आने की पहल कर रहे हैं. उनका मानना है की हर कोई यही चाहता है कि उसे बिना परेशान हुए न्याय मिल जाए और वो न्याय अगर भगवान के सामने हो तो इससे अच्छी और क्या बात होगी.
भावनाओं का ध्यान रखते हुए पुलिस भी करती है मदद
एसडीओपी पटेल ने कहा "इसे आस्था नहीं तो और क्या कहेंगे कि जब विवाद हो तो लोग पुलिस के पास जाते हैं और लोगों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए पुलिस भी समझौते वाले हनुमानजी के आगे इन विवादों को सुलझाने में मदद करती है, क्योंकि यह बात भी सही है कि सुलझाने से तो धागे भी सुलझ जाते हैं और उलझाने से इंसान ही उलझ जाते हैं. ये रिश्ते कुछ ऐसे होते हैं, जिन्हें समय पर ना सुलझाया जाए तो ये रिश्ते निपट जाते हैं."