राजगढ़: मध्य प्रदेश के राजगढ़ में पिता-पुत्री के अटूट रिश्ते की मिसाल कायम करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक बेटी ने अपने पिता की अर्थी को न सिर्फ कंधा दिया बल्कि मुखाग्नि देकर एक बेटे के बराबर फर्ज भी निभाया. मामला जिले की फलोदी कॉलोनी का है. अंतिम यात्रा का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर जमकर शेयर किया जा रहा है.
मृतक की थी सिर्फ दो बेटियां
जानकारी के अनुसार, जीरापुर नगर निवासी रामचंद्र जमीदार (55) का लंबी बीमारी के चलते शनिवार को निधन हो गया. वह पिछले 2 साल से जानलेवा बीमारी से ग्रसित थे. रामचंद्र की 2 बेटियां हैं. बड़ी बेटी का नाम भक्ति और छोटी का नाम भावना है. भक्ति की शादी हो जाने के बाद भावना ही पिता की देखभाल करती थी.
मौत के बाद इकट्ठा हुए पड़ोसियों और रिश्तेदारों में मृतक की मुखाग्नि को लेकर चर्चा होने लगी कि चिता को आग कौन देगा. क्योंकि हिंदू परंपरा के अनुसार आमतौर पर मृतक का बेटा, भाई, भतीजे, पति, या पिता ही मुखाग्नि देते हैं. चिता को अग्नि देने की परंपरा महिलाओं की नहीं है.
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बेटी ने पिता को दी मुखाग्नि
वहां उपस्थित लोग तरह-तरह की संभावनाएं तलाश रहे थे. लेकिन इन सब के बीच भावना ने फैसला किया कि अपने पिता की चिता को अग्नि वही देगी. इसके बाद बैंड-बाजे के साथ अंतिम यात्रा निकाली गई, इसमें भावना ने पिता की अर्थी को कंधा दिया और श्मशान में मुखाग्नि भी दी. मामले का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने लगा. लोगों ने इस पर खूब प्रतिक्रियाएं भी दीं. किसी ने भावना को अपना भर्ज निभाने वाली बेटी बताया तो किसी ने बेटे की कमी को पूरी करने वाला बताया.