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वसीयत मामले में हाई कोर्ट का अनूठा आदेश, रिकार्ड के आधार पर बिल में हो सकते हैं परिवर्तन - INDORE HIGH COURT DECISION

इंदौर हाई कोर्ट ने वसीयत के मामले में अहम फैसला सुनाया है. जिससे पुरानी संपत्ति के मामले में फायदा हो सकता है.

INDORE HIGH COURT DECISION
वसीयत मामले में हाई कोर्ट का अनूठा आदेश (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 22, 2025, 8:25 PM IST

Updated : Jan 22, 2025, 10:24 PM IST

इंदौर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने वसीयत के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि नगर निगम रिकॉर्ड के लिए किसी व्यक्ति का नाम बदलने के लिए वसीयत पर भरोसा किया जा सकता है. कोर्ट ने वसीयत को प्रमाणिक डॉक्यूमेंट माना है. इस आदेश से कई लोगों को काफी फायदे होने की उम्मीद है.

वसीयत पर किया जा सकता है भरोसा

बता दें पिछले दिनों इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका लगी थी. जिस पर इंदौर हाई कोर्ट के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की बेंच ने सुनवाई की. बेंच ने कहा कि वसीयत जिस कानून के अनुसार निष्पादित की जाती है, वह विवादित नहीं है. नगर निगम के रिकॉर्ड में पुराने नाम के बदले परिवार के उन व्यक्तियों के नाम को बदलने के लिए वसीयत पर भरोसा किया जा सकता है, जो इसके लाभार्थी हैं. नगर निगम अधिकारी वसीयत के आधार पर नामांतरण करने से इनकार नहीं कर सकते हैं.

साथ ही कोर्ट ने इस पूरे मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि लोगों के नाम बदलने के लिए काफी समय और पैसा खर्च होता है, जिससे सिविल सूट दायर हो सके. लिहाजा इन सभी बातों को ध्यान में इस तरह का आदेश दिया गया है.

निगम अधिकारी खारिज नहीं कर सकता वसीयत

बता दें पिछले दिनों इंदौर के सेल प्रभारी द्वारा वसीयत के आधार पर नामांतरण के आवेदन को अस्वीकार करने को लेकर यह याचिका दायर की गई थी. जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने कहा कि निगम अधिकारी वसीयत खारिज नहीं कर सकता. नाम बदलने के लिए राजस्व अधिकारी को वसीयत की वैधता पर विचार करने की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने निगम अधिकारी की अर्जी खारिज कर दी.

कोर्ट के फैसले से लोगों को होगा फायदा

अधिवक्ता पंकज खंडेलवाल ने बताया कि "नगर निगम द्वारा शहर में हजारों की संख्या में जमीन और दुकान लीज पर दी गई है. लीजधारक की मौत के बाद भी वसीयत पेश किए जाने के बाद भी लीज नहीं बढ़ाई जाती है. इस तरह के तमाम मामले सिविल कोर्ट में सालों चलते रहते हैं. जिसके कारण कई लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उन तमाम तरह की परेशानियों को देखते हुए ही इंदौर हाई कोर्ट ने नामांतरण को लेकर यह बड़ा फैसला सुनाया है जो कई लोगों को काफी लाभदायक भी रहेगा।

इंदौर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने वसीयत के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि नगर निगम रिकॉर्ड के लिए किसी व्यक्ति का नाम बदलने के लिए वसीयत पर भरोसा किया जा सकता है. कोर्ट ने वसीयत को प्रमाणिक डॉक्यूमेंट माना है. इस आदेश से कई लोगों को काफी फायदे होने की उम्मीद है.

वसीयत पर किया जा सकता है भरोसा

बता दें पिछले दिनों इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका लगी थी. जिस पर इंदौर हाई कोर्ट के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की बेंच ने सुनवाई की. बेंच ने कहा कि वसीयत जिस कानून के अनुसार निष्पादित की जाती है, वह विवादित नहीं है. नगर निगम के रिकॉर्ड में पुराने नाम के बदले परिवार के उन व्यक्तियों के नाम को बदलने के लिए वसीयत पर भरोसा किया जा सकता है, जो इसके लाभार्थी हैं. नगर निगम अधिकारी वसीयत के आधार पर नामांतरण करने से इनकार नहीं कर सकते हैं.

साथ ही कोर्ट ने इस पूरे मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि लोगों के नाम बदलने के लिए काफी समय और पैसा खर्च होता है, जिससे सिविल सूट दायर हो सके. लिहाजा इन सभी बातों को ध्यान में इस तरह का आदेश दिया गया है.

निगम अधिकारी खारिज नहीं कर सकता वसीयत

बता दें पिछले दिनों इंदौर के सेल प्रभारी द्वारा वसीयत के आधार पर नामांतरण के आवेदन को अस्वीकार करने को लेकर यह याचिका दायर की गई थी. जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने कहा कि निगम अधिकारी वसीयत खारिज नहीं कर सकता. नाम बदलने के लिए राजस्व अधिकारी को वसीयत की वैधता पर विचार करने की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने निगम अधिकारी की अर्जी खारिज कर दी.

कोर्ट के फैसले से लोगों को होगा फायदा

अधिवक्ता पंकज खंडेलवाल ने बताया कि "नगर निगम द्वारा शहर में हजारों की संख्या में जमीन और दुकान लीज पर दी गई है. लीजधारक की मौत के बाद भी वसीयत पेश किए जाने के बाद भी लीज नहीं बढ़ाई जाती है. इस तरह के तमाम मामले सिविल कोर्ट में सालों चलते रहते हैं. जिसके कारण कई लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उन तमाम तरह की परेशानियों को देखते हुए ही इंदौर हाई कोर्ट ने नामांतरण को लेकर यह बड़ा फैसला सुनाया है जो कई लोगों को काफी लाभदायक भी रहेगा।

Last Updated : Jan 22, 2025, 10:24 PM IST
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