इंदौर: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने दो दिवसीय मध्य प्रदेश प्रवास के तहत बुधवार को इंदौर पहुंची. जहां देवी अहिल्याबाई होलकर हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति मुर्मू की अगवानी एवं स्वागत महामहिम राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केंद्रीय राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर, सांसद वी.डी. शर्मा सहित भाजपा नेताओं ने उनका स्वागत किया. यहां से राष्ट्रपति मुर्मू सीधे अपने तय शेड्यूल के मुताबिक मृगनयनी एंपोरियम पहुंची. जहां उन्होंने हस्तशिल्पियों एवं जनजाति कारीगरों से चर्चा के बाद अपने लिए साड़ियों की शॉपिंग भी की. उन्होंने कहा कि, ''कारीगरों की कला को उत्कृष्ट मंच प्रदान करने के लिए राज्य सरकार हरसंभव कार्य कर रही है.''
राष्ट्रपति को भायीं चंदेरी और महेश्वरी साड़ियां
राष्ट्रपति ने मृगनयनी एंपोरियम पहुंचकर सबसे पहले बुनकरों द्वारा हाथकरघा पर तैयार की गई रेशम एवं कॉटन की चंदेरी और महेश्वरी साड़ियों को देखा. इस दौरान उन्होंने आदिवासी क्षेत्र के हस्तशिल्पी, बुनकरों एवं जनजाति कारीगरों से रूबरू होकर चर्चा की और उनकी कला को सराहा. इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा सभी कलाकार अपनी विधा में पारंगत हैं. राष्ट्रपति से मिलकर अभिभूत हुए कलाकारों ने राष्ट्रपति को अपने हाथों से निर्मित हस्तशिल्प एवं अपनी कलाकृति भी भेंट की. इस अवसर पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव तथा लघु उद्योग निगम के प्रबंध संचालक एवं सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के सचिव डॉ. नवनीत मोहन कोठारी भी मौजूद थे.
कारीगरों और हस्तशिल्पियों से हुआ आत्मीय संवाद
धार जिले के कारीगर मुबारिक खत्री से चर्चा के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनकी कला के बारे में जानकारी ली और पूछा कि वे कब से यह काम कर रहे हैं. इस पर मुबारिक खत्री ने बताया कि, ''उनकी 11 पीढ़ियों से बाग प्रिंट का कार्य किया जा रहा है. वे अपनी इस कला को आने वाली पीढ़ियों को भी सिखा रहे हैं.'' उन्होंने कॉटन के कपड़े पर बाग प्रिंट कैसे किया जा सकता है, यह करके भी दिखाया और बताया कि अब बांस एवं सिल्क की साड़ियों पर भी बाग प्रिंट किया जाता है.
कलाकार की कलाकारी से प्रभावित द्रौपदी मुर्मू
खरगोन जिले के महेश्वर के बुनकर अलाउद्दीन अंसारी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हथकरघा साड़ी के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि नर्मदा नदी में दोपहर के समय सूर्य की जो किरणें पड़ती हैं और उनसे नदी में जो लहरें चमकती हैं. उन्हीं लहरों का प्रिंट हथकरघा साड़ियों की बॉर्डर पर उतारा जाता है. द्रौपदी मुर्मू इस कलाकारी से बहुत प्रभावित हुई और उन्होंने पूछा कि वे यह काम कब से कर रहे हैं. तब अलाउद्दीन अंसारी ने बताया कि उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी यह कार्य कर रहा है. वर्तमान समय में वे अपने इस कार्य से 300 से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं, जिसमें 70 महिलाएं शामिल हैं.
नि:शुल्क प्रशिक्षण दे रहे कलाकार
वर्तमान में भोपाल निवासी एवं मूलत: डिंडोरी की निवासी गोंड भित्तिचित्र की कलाकार पदमश्री दुर्गा बाई व्याम की कला को देखकर राष्ट्रपति मुर्मू बहुत प्रभावित हुईं और उसकी इस बात के लिये सराहना की कि वे संस्कृति एवं कला को जीवित रखने और उसे आगे बढ़ाने के लिये कार्य कर रही हैं. दुर्गा बाई ने बताया कि वे बच्चों को इस कला को सीखा रही है और एक संस्था के माध्यम से अन्य लोगों को भी नि:शुल्क इस कला का प्रशिक्षण दे रही है. झाबुआ जिले के कलाकार दंपत्ति पदमश्री रमेश एवं शांति परमार द्वारा निर्मित गुड़ियों को देखकर राष्ट्रपति मुर्मू ने उनसे पूछा कि क्या यह गुड़िया मिट्टी से बनाई गई है. तब इन कलाकारों ने बताया कि उनके द्वारा कपास एवं कपड़े से आकर्षक गुड़ियों का निर्माण किया जाता है. वे अपनी इस कला को जीवित रखने के लिये अन्य लोगों को भी नि:शुल्क प्रशिक्षण देते हैं. उन्होंने बताया कि बाजार, मेलों में वे जितनी गुड़िया लेकर जाते हैं, वे सभी बिक जाती हैं.