हैदराबाद : पिछले कुछ सालों में भारत ने हथियारों की खरीद मामले में रूस पर अपनी निर्भरता कम की है. हालांकि, आंकड़े बताते हैं कि 2014-18 के मुकाबले 2019-23 के दौरान भारत ने 4.7 फीसदी अधिक हथियारों का आयात किया है.
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 2009-13 के दौरान भारत द्वारा हथियारों की होने वाली खरीद में 76 फीसदी तक रूस का हिस्सा हुआ करता था, वह हिस्सा घटकर अब 36 फीसदी तक आ चुका है. ये आंकड़े स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के हैं.
साठ के दशक के बाद यह पहली बार है कि भारत आयातित होने वाले हथियारों में से रूस की भागीदारी 50 फीसदी से कम है. सिप्री ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके अनुसार भारत हथियारों की जरूरतों के मामले में रूस के मुकाबले फ्रांस और अमेरिका को अधिक प्राथमिकता दे रहा है.
ये बदलाव बताते हैं कि भारत हथियार आपूर्ति के मामलों में अपने स्रोतों का विविधिकरण कर रहा है. यानी वह किसी एक देश पर निर्भर नहीं रहना चाहता है. दूसरी बात यह है कि भारत सैन्य सामानों की जरूरतों के आधार पर फैसले ले रहा है. भारत जो भी फैसले ले रहा है, वह पाकिस्तान और चीन को ध्यान में रखकर करता है. इस क्षेत्र की सामरिक स्थिति अलग है, लिहाजा उसके लिए जो भी हथियार बेहतर हो सकता है, भारत उसे प्राप्त कर रहा है.
रक्षा खरीद में फ्रांस भारत का मजबूत साझेदार बना है. भारत ने फ्रांस को कई ऑर्डर दिए हैं, जिनमें युद्धक विमान भी शामिल हैं. जहां तक अमेरिका का सवाल है, तो वह भारत का रणनीतिक साझेदार है. उसे भी कई अहम ऑर्डर दिए गए हैं. धीरे-धीरे कर अमेरिका भी भारत की सूची में ऊपर जा रहा है.
हथियारों के आयात करने के मामले में पाकिस्तान का पूरी दुनिया में पांचवां स्थान है. पाकिस्तान सबसे अधिक चीन से हथियारों का आयात करता है. बल्कि पाकिस्तान की जरूरत का 82 फीसदी हथियार चीन से आयातित होता है. इसकी वजह से क्षेत्रीय सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित हुई है. भारत इस पर नजर बनाए हुए है.
बदलते भूराजनीतिक परिदृश्य के मद्देनजर भारत फैसला ले रहा है. उसने पश्चिमी देशों को रूस के मुकाबले अधिक प्राथमिकताएं दी हैं, पर साथ-ही-साथ भारत मेक इन इंडिया पर भी जोर दे रहा है. भारत में हथियारों का उत्पादन भी पहले के मुकाबले बढ़ा है.
सिप्री के अनुसार वैश्विक स्तर पर 2019-23 के दौरान जितने भी हथियारों का निर्यात हुआ है, उनमें से 72 फीसदी हिस्सेदारी अमेरिका और पश्चिम यूरोप का रहा है. जबकि 2014-19 के दौरान इनकी हिस्सेदारी 62 फीसदी तक थी. हथियार निर्यात में अमेरिका की अकेले की भागीदारी 17 फीसदी है.
फ्रांस ने हथियार निर्यात के मामले में 47 फीसदी तक बढ़ोतरी की है. भारत, कतर और इजिप्ट उसके प्रमुख ग्राहक बने हैं. इन देशों ने फ्रांस से सबसे ज्यादा युद्धक विमान हासिल किए हैं. हथियारों के निर्यात मामले में प्रतिशत के हिसाब से फ्रांस रूस से आगे है.
2014-19 के मुकाबले 2019-23 में रूस ने हथियारों का निर्यात 53 फीसदी तक कम कर दिया है. हथियारों के निर्यात के मामले में रूस अब तीसरे स्थान पर आ गया है. यानि अमेरिका पहले स्थान पर और दूसरे स्थान पर फ्रांस है. यह पहली बार है कि फ्रांस भी रूस से आगे हो गया है. क्योंकि रूस इस समय यूक्रेन के साथ युद्ध कर रहा है, लिहाजा उसने हथियारों का निर्यात कम कर दिया है.
यूरोपीय देश भी अमेरिका से अधिक से अधिक हथियार आयात कर रहे हैं. यूरोप जितने भी हथियारों का आयात कर रहा है, 55 फीसदी भागीदारी अमेरिकी हथियारों की है. यूरोपीय देशों ने 94 फीसदी हथियारों का आयात बढ़ाया है. रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से यूरोपीय देशों में सबसे अधिक हथियारों की खरीद यूक्रेन कर रहा है.
हथियारों के बड़े आयातक देश
भारत - 10 फीसदी