नई दिल्ली: सीबीआई ने पूर्वी तटीय रेलवे के एक डिविजनल रेलवे मैनेजर को एक प्राइवेट कंपनी के मालिक से 25 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि आरोपी सौरभ प्रसाद को शनिवार को मुंबई में गिरफ्तार किया गया था.
प्रसाद भारतीय रेलवे मैकेनिकल इंजीनियरिंग सर्विस के 1991 बैच के अधिकारी हैं. वह विशाखापट्टनम में वाल्टेयर डिवीजन के मंडल रेल प्रबंधक के पद पर तैनात हैं. वह मुंबई स्थित डी एन मार्केटिंग के मालिक सानिल राठौड़ से कथित तौर पर रिश्वत ले रहे थे. उन्होंने यह रिश्वत पूर्वी तटीय रेलवे द्वारा दिए गए ठेकों में अडंर-परफोर्मेंस के लिए लगाए गए जुर्माने को कम करने और 3.17 करोड़ रुपये के बिलों के पेमेंट के बदले में ली थी.
CBI arrests a DRM (1991 batch IRSME-level 15 officer) for taking a bribe of Rs 25 lakhs. Bribe giver and one more arrested: Central Bureau of Investigation (CBI)
— ANI (@ANI) November 17, 2024
CBI ने 11 स्थानों पर तलाशी ली
ये कॉन्ट्रैक्ट डीएन मार्केटिंग और पुणे स्थित एचआरके सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा एग्जिक्यूट किए गए थे, जिसका नियंत्रण आनंद भगत के पास था. सीबीआई ने कहा कि उसने राठौड़ और भगत को भी गिरफ्तार किया है. गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने मुंबई, विशाखापट्टनम, पुणे, वडोदरा और कोलकाता में 11 स्थानों पर तलाशी ली.
प्रसाद के मुंबई स्थित आवास पर रविवार को भी तलाशी जारी रही, क्योंकि घर में रखीं तीन अलमारियों की चाबियां नहीं मिल पा रही थीं. सीबीआई के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, "जारी तलाशी के दौरान सीबीआई ने अब तक 87.6 लाख रुपये (लगभग) नकद, लगभग 72 लाख रुपये के आभूषण, संपत्ति के दस्तावेज, लॉकर की चाबियां आदि बरामद की हैं."
इनाम के रूप में मिले थे पैसे
एजेंसी ने बताया कि कल्याण में एक फ्लैट के लिए किए गए निवेश, लॉकर की चाबी और प्रसाद के बैंक बैलेंस सहित कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए. एजेंसी ने कहा कि रिश्वत कथित तौर पर ईस्ट कोस्ट रेलवे द्वारा दिए गए एक कॉन्ट्रैक्ट में अंडर परफोर्म करने के लिए लगाए गए जुर्माने को कम करने के लिए 'इनाम' के रूप में दी गई थी.
25 लाख रुपये की रिश्वत
सीबीआई प्रवक्ता ने बयान में कहा, "यह भी आरोप लगाया गया है कि एक निजी कंपनी द्वारा उठाए गए 3.17 करोड़ रुपये के बिल विशाखापतट्टनम के ईस्ट कोस्ट रेलवे के पास लंबित थे. हालांकि, अनुबंध के एग्जिक्यूट में देरी के कारण, उक्त कंपनी को भारी जुर्माना लगाने का सामना करना पड़ा." उन्होंने कहा कि राठौड़ और भगत ने कथित तौर पर प्रसाद से संपर्क किया, जिन्होंने जुर्माना राशि कम करने के लिए 25 लाख रुपये की रिश्वत मांगी.
प्रवक्ता ने कहा, " मामले में आरोपी डीआरएम के हस्तक्षेप के बाद कम जुर्माना लगाया गया और निजी कंपनी का बिल पास कर दिया गया. बिल पास करने के लिए, मुंबई स्थित निजी फर्म के आरोपी मालिक (राठौड़) ने 16 नवंबर को मुंबई दौरे के दौरान आरोपी डीआरएम को 25 लाख रुपये की रिश्वत देने की व्यवस्था की." उन्होंने कहा कि सीबीआई ने जाल बिछाया और 25 लाख रुपये के अनुचित लाभ के लेन-देन के दौरान डीआरएम और मुंबई स्थित निजी फर्म के मालिक को पकड़ लिया.
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