हैदराबाद: तेलंगाना के सरूरनगर स्थित एक अस्पताल में किडनी रैकेट का खुलासा होने के बाद राज्य की राजधानी को हिलाकर रख दिया. स्वास्थ्य मंत्री दामोदर राजनरसिम्हा ने शुक्रवार को मामले की सीआईडी को सौंपे जाने की घोषणा की. मंत्री ने चेतावनी दी कि इस जघन्य अपराध में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा. बता दें कि रैकेट सामने आने के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने डॉ. नागेंद्र के नेतृत्व में प्रारंभिक जांच के आदेश दिये थे. जांच रिपोर्ट के बाद सरकार ने सीआईडी को जांच सौंप दी है.
तीन राज्यों तक फैला है रैकेटः किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट के तार तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु से जुड़े हैं. तमिलनाडु की दो महिलाओं को एजेंटों द्वारा हैदराबाद लाया गया, और उसकी गरीबी का फायदा उठाते हुए किडनी दान करने के लिए राजी किया था. 17 जनवरी को दो प्राप्तकर्ताओं, एक वकील और कर्नाटक की एक नर्स में किडनी प्रत्यारोपित की गई. कथित तौर पर दानकर्ताओं को 4 लाख का भुगतान किया गया, जबकि प्राप्तकर्ताओं से प्रति प्रत्यारोपण के लिए 55 लाख का भारी भरकम शुल्क लिया गया था.
कैसे हुआ रैकेट का खुलासाः 21 जनवरी को रंगारेड्डी जिले के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. वेंकटेश्वरलू को मिली गुप्त सूचना के बाद इस रैकेट का पर्दाफाश हुआ. डीसीपी प्रवीण कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने अस्पताल पर छापा मारा, तो डॉक्टर और कर्मचारी परिसर से भाग गए. चार व्यक्तियों, दो दानकर्ताओं और दो प्राप्तकर्ताओं को गांधी अस्पताल ले जाया गय. चिकित्सा परीक्षणों से पुष्टि हुई कि प्रत्यारोपण हुआ था.
पुलिस को किसने सूचना दीः जांचकर्ता अब उस गुमनाम मुखबिर की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं जिसकी सूचना पर इस रैकेट का पर्दाफाश हुआ. ऐसा संदेह है कि इस व्यक्ति के पास महत्वपूर्ण सबूत हो सकते हैं, क्योंकि कथित तौर पर यह रैकेट कई सालों से चल रहा था. यह पहली बार नहीं है जब हैदराबाद को अवैध अंग व्यापार से जोड़ा गया है. पहले भी, शहर से दानकर्ताओं को प्रत्यारोपण के लिए श्रीलंका भेजा जाता था. दानकर्ताओं को ईरान ले जाने के भी मामले सामने आए हैं.