हैदराबाद :कई हजार लोगों में से एक ऐसे होते हैं, जिनमें अनूठी प्रतिभा होती है. उनमें से एक शकुंतला देवी थीं. 4 नवंबर 1929 को कर्नाटक के बेंगलुरु शहर स्थित ब्राह्मण परिवार में उनका जन्म हुआ था. बचपन से ही शकुंता देवी की गणीतीय क्षमता अनूठी थीं. वह बड़े-बड़े गणीतीय गणना को पल भर में हल देती थीं. असाधारण गणितीय कौशल के कारण उन्हें ह्यूमन कंप्यूटर की उपाधि दी गई थी. उनकी गणीतीय कौशल से भारत ही नहीं दुनिया भर के कई देशों के लाखों लोग प्रेरित हैं. सांस संबंधी बीमार से पीड़ित होने के कारण 21 अप्रैल 2013 को बेंगलुरु में उनका निधन हो गया.
शकुंतला देवी के बारे में रोचक तथ्य
- शकुंतला देवी निम्न निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार से थीं. उनके पिता एक सर्कस में काम करते थे.
- बचपन से उनकी गणीतीय कौशल दिखने लगी थी. बचपन से ही गणितीय प्रतिभा शो में शामिल होती थीं.
- उनके घरवाले अपनी बच्ची की स्कूल फीस नहीं दे पा रहे थे. अद्भूत प्रतिभा के कारण अंततः उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा.
- औपचारिक स्कूली शिक्षा पूर्ण किये बिना शकुंतला देवी कठीन से कठीन गणीतीय गणनाओं को हल करने में सक्षम थीं.
- छह साल की उम्र से ही, वे मैसूर विश्वविद्यालय, अन्नामलाई विश्वविद्यालय, उस्मानिया विश्वविद्यालय जैसे बड़े संस्थानों में गणीतीय गणना प्रतियोगिता में हिस्सा लेने लगीं थीं.
- समय के साथ धीरे-धीरे उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी और बचपन से ही उनकी कमाई भी बढ़ने लगी.
- 1960 की शुरुआत में शकुंतला ने परितोष बनर्जी नाम के एक आईएएस अधिकारी से शादी कर ली.
- 1979 में कुछ कारणों से दोनों का का तलाक हो गया.
- शकुंतला देवी 1980 के दशक के दौरान मुबई दक्षिण और आंध्र प्रदेश के मेडक से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में तत्कालीन पूर्व प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के खिलाफ लोक सभा चुनाव में भाग्य आजमाया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई.
- 84वीं जयंती पर 2013 में गूगल ने उनपर डूडल जारी कर उन्हें सम्मानित किया गया था.
- उन्होंने एक पुस्तक 'फिगरिंग-ए जॉय ऑफ नंबर्स' लिखी थीं.
- 1988 में शकुंतला देवी की क्षमताओं का अध्ययन शैक्षिक मनोविज्ञान के प्रोफेसर आर्थर जेन्सन ने किया था.
- रोम में, एक गणना मशीन ने उसके एक उत्तर को गलत पाया. हालांकि, उत्तर को दोबारा जांचने के बाद, कंप्यूटर द्वारा दिया गया समाधान गलत साबित हुआ और उसका समाधान सही साबित हुआ.
- शकुंतला देवी की जीवन कहानी ने हिंदी भाषा की फिल्म 'शकुंतला देवी' को प्रेरित किया है. अनुभवी बॉलीवुड अभिनेत्री विद्या बालन ने देवी की भूमिका निभाई. फिल्म का निर्देशन अनु मेनन ने किया था.
- उनकी मृत्यु से एक महीने पहले, 2013 में उन्हें मुंबई में 'लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया था.
- डलास में सोथर्न मेथोडिस्ट कॉलेज में, उन्होंने 50 सेकंड में 201 अंकों की संख्या के 23वें घनमूल की गणना की, जिससे उत्तर 546,372,891 आया, जबकि UNIVAC 1101 कंप्यूटर को समान गणना करने में लगभग 12 सेकंड से अधिक समय लगता था.
- 1980 में इंपीरियल कॉलेज लंदन में उन्होंने 28 सेकंड में 26 अंकों के उत्तर की गणना करते हुए 7686369774870 और 2465099745779 को गुणा किया. इस सबसे तेज मानव गणना के लिए उनके नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड है.
- स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी यूएस, 1988 में, उन्होंने 95443993 के घनमूल की गणना 2 सेकंड में 457 के रूप में की. उन्होंने 2373927704 के घनमूल की गणना 10 सेकंड में 1334 के रूप में की, उन्होंने 20047612231936 के 8वें मूल की गणना महज 10 सेकंड में कर सबको चौका दिया.
- न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, 'प्रश्न पूछने में लगने वाले समय में वह आपको 188,132,517 का घनमूल - या लगभग कोई अन्य संख्या - बता सकती है। यदि आप उसे पिछली सदी की कोई तारीख बता दें, तो वह आपको बता देगी कि वह सप्ताह का कौन सा दिन था.'
- उनकी अनूठी प्रतिभा ने उन्हें वर्ष 1982 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह दिलाई. उन्हें अपने समय की प्रामाणिक नायिका के रूप में सराहा गया और वह समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में सुर्खियां बटोर सकती थीं. ऐसा कहा गया था कि वह अपने समय के सबसे तेज कंप्यूटरों से बेहतर प्रदर्शन कर सकती थीं.
समलैंगिकता पर अनोखी किताब
समलैंगिकों के प्रति उनका हृदय नरम था. उन्होंने समलैंगिकता को सकारात्मक दृष्टि से देखा और द वर्ल्ड ऑफ होमोसेक्सुअल नामक पुस्तक लिखी, जो भारत में समलैंगिकता पर पहली पुस्तक है. उन्होंने तर्क दिया कि सभी लोग अलग-अलग समय पर अलग-अलग यौन प्रवृत्ति और रुझान प्रदर्शित करते हैं और दुनिया में समलैंगिकता या विषमलैंगिकता नाम की कोई चीज नहीं है. उन्होंने ज्योतिष और पाक कला पर कई किताबें भी लिखी हैं.
शकुंतला देवी को ह्यूमन-कंप्यूटर शीर्षक कभी पसंद नहीं आया. यह उपाधि उन्हें तब दी गई जब वह बीबीसी चैनल के साथ एक साक्षात्कार में शामिल हुईं. इस शो को 5 अक्टूबर 1950 को लेस्ली मिशेल ने होस्ट किया था. चैनल ने उनसे एक बेहद मुश्किल सवाल पूछा था जिसका उन्होंने सही जवाब दिया. लेकिन चैनल के पास गलत जवाब था, इसलिए उन्होंने जवाब को गलत बताया. हालांकि, बाद में जब उन्होंने इसकी जांच की तो शकुंतला देवी की ओर दिया गया जवाब बिल्कुल सही था. इसके बाद उन्हें ह्यूमन-कंप्यूटर का खिताब मिला और वह एक घरेलू नाम बन गईं.