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सोशल, रिलीजियस बहस और लीगल स्क्रूटनी के बाद मंथन से बनेगा कानून, उत्तराखंड UCC पर बोले अमित शाह

Uttarakhand Uniform Civil Code 2024 उत्तराखंड, देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक सदन से पास किया गया है. विधेयक को कानून के रूप में उत्तराखंड में लागू करने के लिए आगे की कार्रवाई भी जारी है. यूसीसी को लेकर अब केंद्र और राज्य में भी चर्चाएं तेज हो गई है. अमित शाह ने भी उत्तराखंड यूसीसी पर सोशल और रिलीजियस बहस और लीगल स्क्रूटनी की बात कही है.

Amit shah
अमित शाह

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 10, 2024, 3:55 PM IST

देहरादूनःउत्तराखंड समान नागरिक संहिता 2024 विधेयक (यूनिफॉर्म सविल कोड) 8 फरवरी 2024 को उत्तराखंड की विधानसभा से पास हुआ. यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को पास करके उत्तराखंड विधानसभा देश की पहली यूनिफॉर्म सविल कोड (यूसीसी) बिल पास करने वाली विधानसभा बन गई है. बिल को राज्य में कानून के तौर पर लागू करने के लिए राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजने की प्रक्रिया सरकार द्वारा अपनाई जा रही है. इसके बाद बिल केंद्र सरकार और अंत में राष्ट्रपति भवन के लिए जाएगा. राष्ट्रपति की मोहर लगते ही उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून लागू हो जाएगा.

उत्तराखंड यूसीसी में संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत वर्णित हमारी अनुसूचित जनजातियों को बाहर रखा गया है. यूसीसी में लिव इन रिलेशनशिप, महिलाओं को हक, सभी धर्मों में शादी की न्यूनतम लड़का लड़की की उम्र, शादी के लिए रजिस्ट्रेशन, धर्म समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक कानून का प्रावधान है. इसके साथ ही महिलाओं और पुरुषों को एक समान अधिकारों की सिफारिश की गई है. कई राज्यों में उत्तराखंड यूसीसी को लेकर बहस छिड़ी हुई है. कई राज्य की सरकारें यूसीसी को अपने राज्य में भी अपनाने की बात कह रहे हैं. हालांकि, अभी तक केंद्र सरकार ने यूसीसी कानून को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की है. लेकिन उत्तराखंड यूसीसी पर लीगल स्क्रूटनी की बात जरूर कही है.

एक निजी टीवी चैनल को इंटरव्यू देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, यूसीसी भाजपा का एजेंडा जनसंघ से रहा है. लेकिन यूसीसी संविधान का एजेंडा है. आर्टिकल 44 में संविधान निर्माताओं ने विधानमंडल और संसद को कहा है कि जब भी जरूरत पड़े, देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड होना चाहिए. यहां तक कि इस पर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, मौलाना प्रसाद, राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल के हस्ताक्ष हैं, ये बात कांग्रेस भूल गई है. यूसीसी को कांग्रेस ने एपिसमेंट के कारण भुला दिया. जबकि भाजपा ने रिलीजियसली पकड़ कर रखा.

यूसीसी सामाजिक बदलाव का बहुत बड़ा मुद्दा है. उत्तराखंड यूसीसी कानून पर सोशल और रिलीजियस ग्रुप की बहस होनी चाहिए. इसकी लीगल स्क्रूटनी भी होगी. इस सबके चर्चा के बाद जो मंथन आएगा, वे सभी राज्यों की विधानसभा को अपनाना चाहिए. पंथ निरपेक्ष देश में धर्म के नाम पर कानून हो ही नहीं सकता. ये देश को भी स्वीकार्य है और भाजपा का भी एजेंडा है.

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