लखनऊःहाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक मामले की सुनवाई करते हुए एतिहासिक फैसला दिया है. कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि स्टाम्प पेपर पर घोषणा कर देने से एक हिन्दू विवाह समाप्त नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने कहा कि विवाह विच्छेद (तलाक) के लिए हिन्दू विवाह अधिनियम में जो प्रक्रिया दी गई है. उसी के तहत तलाक किया जा सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने एक पति की ओर से दाखिल पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए दिया.
याची पति ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत परिवार न्यायालय श्रावस्ती द्वारा उसकी पत्नी के पक्ष में 22 सौ रुपये प्रतिमाह के भरण-पोषण के आदेश को चुनौती दी थी. पति का कहना था कि 29 नवंबर 2005 को पत्नी ने स्वयं दस रुपये के स्टाम्प पर लिखकर घोषणा की थी कि वह उससे तलाक ले रही है. स्टाम्प पर तमाम गवाहों के साथ-साथ उसके के भी बतौर गवाह हस्ताक्षर हैं.