ETV Bharat / state

अलीगढ़ नुमाइश में हाथ से बनी कश्मीरी शॉल की डिमांड, 40 साल से बेच रही तीसरी पीढ़ी - ALIGARH NUMAISH

नुमाइश में कश्मीरी शॉल की काफी डिमांड है. खरीदारी होने से कश्मीर से आए व्यापारी भी खुश हैं.

नुमाइश में कश्मीरी कपड़ों की काफी डिमांड है.
नुमाइश में कश्मीरी कपड़ों की काफी डिमांड है. (Photo Credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 19, 2025, 10:57 PM IST

अलीगढ़: 145 साल पुरानी ऐतिहासिक अलीगढ़ नुमाइश में कश्मीरी शॉल की डिमांड है. कश्मीरी व्यापारियों के चेहरे भी खिले हुए हैं. पिछले 60 साल से लगभग 50 दुकानें लगती आ रही हैं.

नुमाइश में हाथ और मशीन की कढ़ाई के सूट, शॉल, कुर्ते, दुपट्टे आदि की खरीदारी करने लोग आते हैं. कश्मीरी व्यापारियों ने इस बार नुमाइश में अपेक्षित कारोबार पर खुशी जाहिर की.

2 फरवरी से 28 फरवरी तक चलने वाली नुमाइश में हाथ से कढ़ाई किए गए कश्मीरी शॉल, सूट, साड़ियां, पश्मीना शॉल की मांग है. अलीगढ़ नुमाइश में कश्मीरी व्यापारी ठंडा और गर्म दोनों मौसम के लिए कपड़े लेकर आते हैं.

नुमाइश में ग्राहकों के पहुंचने से व्यापारी खुश हैं. (VIDEO Credit; ETV Bharat)

कश्मीरी व्यापारियों की नुमाइश है पहली पसंद: नुमाइश में आए कश्मीरी व्यापारियों ने यहां का माहौल, लोगों का व्यवहार, बिक्री और प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाओं की सराहना की. व्यापारियों ने बताया कि यहां के लोग कश्मीरी परिधान को पसंद करते हैं, जिससे अच्छा कारोबार हो जाता है. यही वजह है कि हम सालों से यहां पर आ रहे हैं. पहले हमारे दादा उसके बाद पिता और अब हम यहां पर दुकान लगाकर कश्मीरी सामान बेचते हैं.

40 साल से कर रहे व्यापार: कश्मीरी व्यापारी नासिर ने बताया कि यहां सभी धर्मों के लोग आते हैं. दिन-ब-दिन कश्मीरी परिधान देश के अलग-अलग हिस्सों में लोगों की पहली पसंद बनते जा रहे हैं. पिछले 40 साल से अलीगढ़ प्रदर्शनी में आ रहे हैं.

नासिर ने बताया, कश्मीर से अलीगढ़ व्यापार करने में हमें कभी कोई परेशानी नहीं होती. हम कश्मीर में हाथ से बने पुरुषों और महिलाओं के परिधान बेचने के लिए लाते हैं.

सफाई नहीं होने से मायूस व्यापारी: कश्मीरी व्यापारी सरताज, अशरफ और सफदर ने बताया की सभी मजहब के खरीदार आते हैं, जिनका व्यवहार बहुत अच्छा होता है. जहां तक प्रशासन की बात की जाए तो वह भी हम लोगों को हर सुविधा देने की कोशिश करते हैं. इस बार पहले के मुकाबले में नुमाइश के अंदर सफाई कम दिखाई दे रही है.

नुमाइश में खरीदारी करने पहुंच रही महिलाएं.
नुमाइश में खरीदारी करने पहुंच रही महिलाएं. (Photo Credit; ETV Bharat)



महिला खरीदार बोली- कश्मीरी कपड़े और कहीं नहीं मिलते: नुमाइश में खरीदारी करने पहुंचीं सुनीता ने कश्मीरी शॉल और सूट की तारीफ करते हुए कहा कि कश्मीरी कपड़े अलग होते हैं. उनके रंग, डिजाइन और गुणवत्ता अलग होती है, जो कश्मीरी दुकानदारों के अलावा कहीं और नहीं मिलती.

इसलिए मैं हर साल अलीगढ़ प्रदर्शनी में कश्मीरी कपड़े खरीदने आती हूं. कश्मीरी कपड़ों की गुणवत्ता और डिजाइन बेहतरीन होती है. कश्मीरी कपड़े दूसरी जगह नहीं मिलते हैं, यही वजह है कि हर साल कश्मीरी कपड़े खरीदने यहां आती हूं.

नुमाइश में एक से बढ़कर एक कपड़ों की प्रदर्शनी लगी है.
नुमाइश में एक से बढ़कर एक कपड़ों की प्रदर्शनी लगी है. (Photo Credit; ETV Bharat)

नुमाइश का इतिहास: 1880 में पहली बार अलीगढ़ में प्रदर्शनी आयोजित की गई थी, तब घोड़ों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई थी. जिसमें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के घोड़ों ने भी भाग लिया.

अलीगढ़ प्रदर्शनी देश भर में आयोजित होने वाले मेलों में गंगा-जमनी संस्कृति का उदाहरण है, जहां एक ही मंच पर कविता पाठ और मुशायरा का आयोजन किया जाता है.

इस प्रदर्शनी में बॉलीवुड कलाकार भी अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं. भारत में होने वाली सभी प्रदर्शनियों की तरह अलीगढ़ प्रदर्शनी में भी झूले, सर्कस, खाने-पीने के स्टॉल और खिलौने हैं जो लोगों को अलग-अलग तरीकों से आकर्षित करते हैं.

यह भी पढ़ें: अलीगढ़ नुमाइश: 145 साल पुरानी ऐतिहासिक प्रदर्शनी का इतिहास और क्या है AMU से नाता, जानिए - ALIGARH EXHIBITION 2025



अलीगढ़: 145 साल पुरानी ऐतिहासिक अलीगढ़ नुमाइश में कश्मीरी शॉल की डिमांड है. कश्मीरी व्यापारियों के चेहरे भी खिले हुए हैं. पिछले 60 साल से लगभग 50 दुकानें लगती आ रही हैं.

नुमाइश में हाथ और मशीन की कढ़ाई के सूट, शॉल, कुर्ते, दुपट्टे आदि की खरीदारी करने लोग आते हैं. कश्मीरी व्यापारियों ने इस बार नुमाइश में अपेक्षित कारोबार पर खुशी जाहिर की.

2 फरवरी से 28 फरवरी तक चलने वाली नुमाइश में हाथ से कढ़ाई किए गए कश्मीरी शॉल, सूट, साड़ियां, पश्मीना शॉल की मांग है. अलीगढ़ नुमाइश में कश्मीरी व्यापारी ठंडा और गर्म दोनों मौसम के लिए कपड़े लेकर आते हैं.

नुमाइश में ग्राहकों के पहुंचने से व्यापारी खुश हैं. (VIDEO Credit; ETV Bharat)

कश्मीरी व्यापारियों की नुमाइश है पहली पसंद: नुमाइश में आए कश्मीरी व्यापारियों ने यहां का माहौल, लोगों का व्यवहार, बिक्री और प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाओं की सराहना की. व्यापारियों ने बताया कि यहां के लोग कश्मीरी परिधान को पसंद करते हैं, जिससे अच्छा कारोबार हो जाता है. यही वजह है कि हम सालों से यहां पर आ रहे हैं. पहले हमारे दादा उसके बाद पिता और अब हम यहां पर दुकान लगाकर कश्मीरी सामान बेचते हैं.

40 साल से कर रहे व्यापार: कश्मीरी व्यापारी नासिर ने बताया कि यहां सभी धर्मों के लोग आते हैं. दिन-ब-दिन कश्मीरी परिधान देश के अलग-अलग हिस्सों में लोगों की पहली पसंद बनते जा रहे हैं. पिछले 40 साल से अलीगढ़ प्रदर्शनी में आ रहे हैं.

नासिर ने बताया, कश्मीर से अलीगढ़ व्यापार करने में हमें कभी कोई परेशानी नहीं होती. हम कश्मीर में हाथ से बने पुरुषों और महिलाओं के परिधान बेचने के लिए लाते हैं.

सफाई नहीं होने से मायूस व्यापारी: कश्मीरी व्यापारी सरताज, अशरफ और सफदर ने बताया की सभी मजहब के खरीदार आते हैं, जिनका व्यवहार बहुत अच्छा होता है. जहां तक प्रशासन की बात की जाए तो वह भी हम लोगों को हर सुविधा देने की कोशिश करते हैं. इस बार पहले के मुकाबले में नुमाइश के अंदर सफाई कम दिखाई दे रही है.

नुमाइश में खरीदारी करने पहुंच रही महिलाएं.
नुमाइश में खरीदारी करने पहुंच रही महिलाएं. (Photo Credit; ETV Bharat)



महिला खरीदार बोली- कश्मीरी कपड़े और कहीं नहीं मिलते: नुमाइश में खरीदारी करने पहुंचीं सुनीता ने कश्मीरी शॉल और सूट की तारीफ करते हुए कहा कि कश्मीरी कपड़े अलग होते हैं. उनके रंग, डिजाइन और गुणवत्ता अलग होती है, जो कश्मीरी दुकानदारों के अलावा कहीं और नहीं मिलती.

इसलिए मैं हर साल अलीगढ़ प्रदर्शनी में कश्मीरी कपड़े खरीदने आती हूं. कश्मीरी कपड़ों की गुणवत्ता और डिजाइन बेहतरीन होती है. कश्मीरी कपड़े दूसरी जगह नहीं मिलते हैं, यही वजह है कि हर साल कश्मीरी कपड़े खरीदने यहां आती हूं.

नुमाइश में एक से बढ़कर एक कपड़ों की प्रदर्शनी लगी है.
नुमाइश में एक से बढ़कर एक कपड़ों की प्रदर्शनी लगी है. (Photo Credit; ETV Bharat)

नुमाइश का इतिहास: 1880 में पहली बार अलीगढ़ में प्रदर्शनी आयोजित की गई थी, तब घोड़ों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई थी. जिसमें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के घोड़ों ने भी भाग लिया.

अलीगढ़ प्रदर्शनी देश भर में आयोजित होने वाले मेलों में गंगा-जमनी संस्कृति का उदाहरण है, जहां एक ही मंच पर कविता पाठ और मुशायरा का आयोजन किया जाता है.

इस प्रदर्शनी में बॉलीवुड कलाकार भी अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं. भारत में होने वाली सभी प्रदर्शनियों की तरह अलीगढ़ प्रदर्शनी में भी झूले, सर्कस, खाने-पीने के स्टॉल और खिलौने हैं जो लोगों को अलग-अलग तरीकों से आकर्षित करते हैं.

यह भी पढ़ें: अलीगढ़ नुमाइश: 145 साल पुरानी ऐतिहासिक प्रदर्शनी का इतिहास और क्या है AMU से नाता, जानिए - ALIGARH EXHIBITION 2025



ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.