कोच्चि:केरल हाईकोर्ट ने हेमा समिति की रिपोर्ट से निपटने के तरीके को लेकर राज्य सरकार की तीखी आलोचना की है और कार्रवाई में देरी पर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने रिपोर्ट में बताए गए गंभीर मुद्दों पर सरकार की प्रतिक्रिया की कमी पर आश्चर्य जताया और पूरी रिपोर्ट विशेष जांच दल (SIT) को सौंपने की मांग की. इसके साथ ही कोर्ट ने जांच दल को रिपोर्ट गोपनीय रखने का भी निर्देश दिया. हेमा समिति की पूरी, बिना संपादित रिपोर्ट की एसआईटी समीक्षा करेगी और इस पर फैसला लिया जाएगा कि एफआईआर दर्ज की जाए या नहीं.
जस्टिस ए.के. जयशंकर नांबियार और जस्टिस सी.एस. सुधा की विशेष खंडपीठ हेमा समिति की रिपोर्ट से जुड़े मामलों की निगरानी कर रही है. कोर्ट ने कहा कि मीडिया को रिपोर्टिंग से नहीं रोका जा सकता, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि मीडिया को जांच दल पर दबाव नहीं डालना चाहिए. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि महिलाएं अल्पसंख्यक नहीं बल्कि बहुसंख्यक हैं.
मंगलवार सुबह सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जानना चाहा कि रिपोर्ट के निष्कर्षों के जवाब में सरकार ने क्या कार्रवाई की है. जवाब में एडवोकेट जनरल (एजी) ने कोर्ट को बताया कि मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित किया गया है. हालांकि, कोर्ट इस बात से चिंतित है कि हेमा कमेटी की रिपोर्ट के खुलासे के आधार पर कोई ठोस कार्रवाई की गई है या नहीं.
महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में आपराधिक प्रक्रिया के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है. लेकिन, रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई किए बिना ही जांच दल गठित कर दिया गया. कोर्ट ने यह सवाल एजी के इस बयान के बाद उठाया कि हेमा कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद सार्वजनिक मंचों पर लगाए गए आरोपों के आधार पर कार्रवाई की गई है.