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हसदेव अरण्य से संबंधित जनहित याचिका पर SC में हुई सुनवाई - PIL RELATED TO HASDEO ARANYA

सुप्रीम कोर्ट में हसदेव अरण्य को संरक्षित करने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. जानिए सुनवाई में क्या हुआ ?

PIL RELATED TO HASDEO ARANYA
सुप्रीम कोर्ट में हसदेव अरण्य पर हुई सुनवाई (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 5, 2024, 8:57 PM IST

नई दिल्ली: हसदेव अरण्य को संरक्षित करने की मांग वाली जनहित याचिका पर पांच नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया की सिफारिश के हिसाब से हसदेव को खनन मुक्त करने और संरक्षित करने की मांग वाली जनहित याचिका SC में दायर हुई थी. इसकी सुनवाई करते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार, राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम और अडानी समूह की दो कंपनियों को नोटिस जारी किया है.

वकील सुदीप श्रीवास्तव ने दायर की थी याचिका: इस केस में अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने जनहित याचिका दायर की थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. कोर्ट ने इस याचिका के अलावा परसा कॉल ब्लॉक में खनन प्रारंभ न करने के आवेदन पर भी नोटिस जारी किया है. जिसमें यह बताया गया है कि पहले से चालू खदान पीएकेबी का उत्पादन राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के कोयले की वार्षिक आवश्यकता को पूरा कर रहा है. इस कारण भी किसी नए खदान को खोलने की जरूरत नहीं है.

याचिकाकर्ता के वकील ने क्या कहा?: मंगलवार को हुई इस सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण और नेहा राठी ने खंडपीठ के सामने तर्क दिए. उन्होंने बताया कि यह पूरा क्षेत्र केंद्र सरकार के द्वारा ही नो गो क्षेत्र घोषित किया गया था. बाद में केंद्र सरकार द्वारा ही इस क्षेत्र को खनन के लिए निश्चित क्षेत्र इन वायलेट भी घोषित किया गया. इसके बाद भी राजस्थान विद्युत उत्पादन और अडानी समूह के खनन के लिए यहां खदानें आवंटित की गई.

खनन होने से चार लाख से अधिक पेड़ काटे जाएंगे: याचिका कर्ता के वकीलों की तरफ से आज हुई सुनवाई के दौरान खंडपीठ को जानकारी दी गई. जिसमें बताया गया कि वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया की तरफ से भी इस क्षेत्र को खनन मुक्त रखने की सिफारिश की गई है. उसके बाद भी छत्तीसगढ़ की सरकार और केंद्र सरकार ने पीईकेबी खदान के चरण दो और परसा कोयला खदान की परमिशन जारी की है. जिसे इस याचिका में चुनौती दी गई है. इस क्षेत्र में खनन होने से चार लाख से अधिक पेड़ काटे जाएंगे.

कोर्ट ने जारी किया नोटिस:सुनवाई के दौरान राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नादकर्णी और अडानी समूह की कंपनियों की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी की. उन्होंने याचिका के औचित्य पर सवाल उठाए. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी किया. कोर्ट ने उस आवेदन पर भी नोटिस जारी किया जिसमें कहा गया है कि पीई केबी खदान से कोयले की पूरी सप्लाई होने के बाद भी नई खदान बिना किसी वजह खोली जा रही है. जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट ने 4 सप्ताह का समय दिया है. जिसके बाद इस मामले की आगे सुनवाई की जाएगी.

इस याचिका के साथ अंबिकापुर के अधिवक्ता दिनेश सोनी की याचिका भी लंबित है. इस याचिका में राजस्थान और अडानी समूह के बीच हुए अनुबंधों को गैरकानूनी बताया गया है. जिसमें कहा गया है कि राजस्थान को अपने ही खदान का कोयला बाजार दर से महंगे में मिल रहा है. पूरा मुनाफा और लाभ अदानी समूह ले जा रहा है जो की सरकारी कंपनियों को कॉल ब्लॉक दिए जाने की पॉलिसी के उद्देश्यों के खिलाफ है.

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