भोपाल।हरदा में पटाखा फैक्ट्री अब मलबे में तब्दील हो चुकी है. राख के ढेर में स्वाहा जिंदगियां हो चुकी हैं. हरदा में हुए इस हादसे को क्या रोका जा सकता था. क्या मुमकिन था कि इस विस्फोट में इतनी मासूम जिंदगियां बचा ली जाती. इस पूरे मामले में लापरवाही की परतें कितनी हैं. हरदा ब्लास्ट का आरोपी राजू अग्रवाल परिवार समेत फरार है. कौन है राजू अग्रवाल. कौन सा सियासी रसूख है कि एक बार पहले भी ब्लास्ट के मामले में गिरफ्तारी के बावजूद मौत की फैक्ट्री बंद नहीं हुई.
मौत की फैक्ट्री के मालिक के सिर पर हाथ किसका
हरदा में पटाखा फैक्ट्री में हुई घटना को लेकर जांच कमेटी गठित कर दी गई है. बावजूद इसके कई सवाल बाकी है. सवाल ये कि आखिर फैक्ट्री मालिक राजू अग्रवाल किसकी शह पर निकाय सीमा में पटाखे की अवैध फैक्ट्री चला रहा था. इसके पहले भी इसी फैक्ट्री में जब विस्फोट हुआ. तब राजू अग्रवाल और उसके साथी के खिलाफ हरदा के द्वितीय अपर सत्र न्यायधीश ने धारा 5 (क) विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 में इसे आरोपी मानते हुए दस वर्ष के साधारण कारावास और 10 -10 हजार के जुर्माने का दंड दिया था.
उसके बाद भी राजू कैसे बेखौफ फैक्ट्री चलाता रहा. कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा सवाल उठाते हैं कि 'राजू अग्रवाल की फैक्ट्री का लाइसेंस भी रद्द हो चुका था. फिर उसके लाइसेंस का रिन्यूअल किसने करवाया. किसकी पहुंच से हुआ. सामने राजू अग्रवाल है, लेकिन क्या इसके पीछे दोषियों की पूरी चेन नहीं है.'
25 साल पुरानी अवैध फैक्ट्री चलती कैसे रही
राजू अग्रवाल जो इस फैक्ट्री का मालिक है, उसके खिलाफ प्रकरण क्रमांक 1893/15 पुलिस थाना हरदा के अपराध क्र. 443/15 अंतर्गत धारा-286, 308/34 भादंवि 1860 के अंतर्गत दो साल पहले 7 जुलाई, 2021 को सजा और अर्थदण्ड से दंडित किया जा चुका है. ना राजू अग्रवाल बाज आया ना सिस्टम ने इस सजायाफ्ता अपराधी पर कोई बंदिश लगाई. राजू की फैक्ट्री हरदा के बैरागढ़ इलाके में 25 वर्ष से संचालित थी.