भोपाल: देश में आमतौर पर पाए जाने वाले पाकड़ की ऊंचाई 50 फीट तक होती है, लेकिन इसके बोनसाई पौधे की ऊंचाई है ढाई फीट और उम्र करीबन 45 साल. भोपाल के जीएस ब्रिंदा के इस बोनसाई को दुनिया के 100 खूबसूरत बोनसाई में शामिल किया जा चुका है. लेक सिटी बोनसाई एसोसिएशन भोपाल के अध्यक्ष जीएस बिंद्रा ने इस तरह के करीबन 300 बोनसाई तैयार किए हैं. उन्हें खूबसूरत बोनसाई के लिए इंटरनेशनल स्तर पर 5 बार अवार्ड भी मिल चुके हैं. भोपाल के रोज गार्डन में शुरू हुई बोनसाई प्रदर्शनी में इन बोनसाई को भी रखा गया है.
5 बार सिलेक्ट हो चुके बोनसाई
लेक सिटी बोनसाई एसोसिएशन भोपाल के अध्यक्ष जीएस बिंद्रा कहते हैं कि, ''हर साल इंटरनेशनल स्तर पर होने वाली बोनसाई प्रदर्शनी के लिए दुनिया भर से 100 बोनसाई को सिलेक्ट किया जाता है. इनमें उनके बोनसाई को 5 बार सिलेक्ट किया जा चुका है.'' वे कहते हैं कि, ''उन्होंने करीबन 50 साल पहले बोनसाई करना शुरू किया, तब मेरी उम्र 25 साल रही होगी. गार्डनिंग का शौक मुझ मेरी मां से मिला. मैं बचपन से उन्हें सुबह-शाम गार्डन में पौधों के बीच देखता आया हूं. बाद में मैं भी पौधों से जुड़ता गया, लेकिन मैंने बोनसाई करना शुरू किया और शुरूआत के 2 साल में ही करीब 350 बोनसाई बनाना शुरू किए.''
जीएस बिंद्रा ने कहा, ''आज मेरे पास 30 साल से लेकर 45 साल पुराना भी पौधा है. मधुकामनी का एक पौधा 43 साल पुराना है. फाइकस (फाइकस वीरेंस) का पौधा 45 साल का है. बोनसाई की उम्र जैसे-जैसे बढ़ती जाती है, उनकी सुंदरता भी बढ़ती जाती है. इसके साथ उनकी कीमत भी बढ़ती जाती है.''
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बोनसाई करने में लगे हैं 5 साल
बोनसाई तैयार करने में कम से कम 5 साल का समय लगता है. इनकी केयर बच्चों की तरह करनी पड़ती है. तब यह एक पेड़ का स्वरूप ले पाते हैं. इसमें खाद-पानी का विशेष ध्यान रखना होता है. मिट्टी कम होती है, इन्हें न्यूट्रिशन भरपूर मिल सके, इसकी पूति कई तरह की खाद से करनी पड़ती है.
कौन-से पौधे बोनसाई के लिए बेहतर
जीएस बिंद्रा कहते हैं कि, ''यहां का क्लाइमेट ट्रॉपिकल है, इसलिए यहां छोटी पत्तियों वाले पौधों को ही बोनसाई के लिए सिलेक्ट किया जाता है. ऐसे पौधों को बोनसाई बनाया जाता है, जिनकी उम्र 2 हजार साल तक होती है, जैसे गूलर, पाकड़ आदि पौधे. पहले इन्हें बड़े गमलों में लगाया जाता है फिर इन्हें छोटे गमलों से ट्रे में लाया जाता है.''