ग्वालियर। एक तरफ नौतपा की भीषण गर्मी और दूसरी और ग्वालियर जल संकट से गुजर रहा है. बताया जा रहा है कि ग्वालियर के तिघरा डैम में सिर्फ दो हफ्ते का पानी बचा है. ऐसे में कई इलाके पेयजल समस्या की वजह से प्यासे बैठे हैं. नगर निगम पानी की आपूर्ति टैंकरों से कर रहा है लेकिन ज्यादातर इलाकों में यह पूरी नहीं हो पा रही है. ग्वालियर का रामनगर इलाका तो जैसे दशकों पीछे चला गया है. यहां जब पानी का टैंकर आता है तो पानी के लिए लोगों में भगदड़ और मारामारी की स्थिति बन जाती है. कुछ ऐसे ही हालात ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान भी बने.
टैंकरों से हो रहा पेयजल सप्लाई
जिला मुख्यालय से लगा रामनगर इलाका एक पिछड़ा और आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. स्थानीय रहवासी आज भी यहां मूलभूत सुविधाओं जैसे बिजली सड़क के लिए तरस रहे हैं, हद तो इस बात की है कि लोगों को यहां पेयजल उपलब्ध नहीं हो रहा है. ईटीवी भारत ने जब इस तपिश भरी गर्मी में पानी की व्यवस्था को लेकर रामनगर का रुख किया तो पता चला कि इस क्षेत्र में प्रतिदिन टैंकरों के जरिए करीब 400 लोगों की आबादी को पानी सप्लाई किया जा रहा है.
टैंकर आते ही मचती है भगदड़
हमारे सामने ही नगर निगम का एक 5000 लीटर कैपेसिटी वाला पानी का टैंकर आया तो स्थानीय लोगों ने जैसे बर्तन लेकर दौड़ लगा दी. देखते ही देखते लोगों ने पानी के टैंकर को घेर लिया कोई सर पर ड्रम रख कर लाया तो कोई हाथों में बर्तन लेकर दौड़ता दिखाई दिया. कुछ ही देर में टैंकर के आसपास पानी भरने वालों की भीड़ और बर्तनों का जमावड़ा लग गया. पानी भरने की होड़ और इस बात का डर की कहीं पानी खत्म हो गया तो अगले दिन तक क्या होगा हर तरफ सिर्फ चिल्लाने की आवाज थी.
रामनगर में फेल हो गयी नलजल योजना
लोगों ने बताया कि यहां नल-जल योजना की लाइन तो डाली गई लेकिन नलों में पानी नहीं आता है. ना ही गांव में लगे हैंडपंपों से पानी निकल रहा है. यहां पानी भर रही महिलाओं और लोगों से बातचीत की. महिलाओं ने अपनी पीड़ा तो बताई पर साथ ही अपने हालात और मजबूरी का दर्द भी उनकी आवाज में साफ झलकता दिखाई दिया.
महिलाओं ने बताई जलसंकट की पीड़ा
महिलाओं का कहना था कि पानी को लेकर बहुत परेशानी है. अपने घर से दूर जाकर पानी ढोकर लाने में हालत खराब हो रही है. पानी की इतनी शॉर्टेज है कि घर में पूर्ति नहीं हो पाती. महिला ने बताया कि नलों में पानी नहीं आता. पानी एक बड़ी समस्या बन गई है यहां जनता प्यासी मर रही है. सर्दियों और बरसात में तो टैंकर भी दो-तीन दिन में आता है हालांकि अभी लगभग हर रोज एक टैंकर यहां आ रहा है.