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मिसमैनेजमेंट, गेट सिस्टम, मौतों का आंकड़ा, जानिये इस साल क्यों चर्चाओं में रही गंगोत्री-यमुनोत्री की यात्रा

शीतकाल के लिए बंद हुए गंगोत्री धाम के कपाट, कल बंद होंगे यमुनोत्री धाम के कपाट

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क्यों चर्चाओं में रही गंगोत्री-यमुनोत्री की यात्रा (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 4 hours ago

Updated : 4 hours ago

देहरादून: उत्तराखंड चारधाम यात्रा में कपाट बंद होने का सिलसिला 2 नवंबर से शुरू हो गया. आज गंगोत्री धाम के कपाट पूरे विधि विधान के साथ बंद हुये. गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने से पहले धाम में पूजा अर्चना की गई. हजारों श्रद्धालु इसके गवाह बने. कपाट बंद होने के बाद मां गंगा की डोली मुखवा के लिए रवाना हो गई है. कल यानी रविवार के दिन यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट भी बंद होंगे. इस बार की यात्रा पिछले साल के मुताबिक कम दिन चली. इस साल गंगोत्री और यमुनोत्री दोनों ही धाम यात्रा व्यवस्थाओं को लेकर चर्चाओं में रहे. इसके साथ ही इन दोनों धामों में हुई मौत के आंकड़ों ने भी सुर्खियां बटोरी.

गेट सिस्टम दोनों धामों ने चर्चा का कारण:गंगोत्री और यमुनोत्री दोनों धामों की यात्रा के शुरुआती दिनों में यात्रियों की संख्या और अव्यवस्था खूब चर्चाओं में रही. गंगनानी के पास गेट सिस्टम का विरोध भी हुआ. भीड़ के विजवल्स ने भी देश दुनिया का ध्यान खींचा. इसका नतीजा ये हुआ कि खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इन दोनों धामों के रास्तों में मोर्चा संभालना पड़ा. इसके साथ ही साथ सचिवालय में बैठे अधिकारियों की भी तैनाती इन दोनों धामों में की गई. मानसून से पहले मई के महीने में गंगोत्री और खासकर यमुनोत्री धाम के पैदलमार्ग की अव्यवस्था के मामले में सरकार की खूब किरकिरी हुई. यात्रियों की भीड़, अव्यवस्था, लोगों की शिकायतों के बाद यात्रा को रोक रोक कर आगे बढ़ाया गया. इतना ही नहीं सरकार की तरफ से अत्यधिक भीड़ होने के बाद यात्रियों को कैंची धाम और अन्य धार्मिक स्थलों की जानकारी भी दी गई. जिससे भीड़ सीधे चारधाम न पहुंचकर दूसरे स्थानों से होते हुए यहां पहुंचे.

गंगोत्री-यमुनोत्री यात्रा में भीड़ (ETV BHARAT)

जाम के झाम से भी यात्री रहे परेशान:गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में अव्यवस्था ही नहीं बल्कि ट्रैफिक जाम ने भी खूब परेशान किया. 10 किलोमीटर से लेकर 15 किलोमीटर के जाम की वजह से शुरुआती दिनों में ही यात्रा पटरी से उतरने लगी. ऐसा पहली बार हुआ जब उत्तरकाशी, झाला, धराली के आसपास हजारों यात्री 24-24 घंटे तक जाम में फंसे रहे. जाम की समस्या को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यात्रा प्रबंधन के लिए आईपीएस अधिकारी अरुण मोहन जोशी की तैनाती की. अरुण मोहन जोशी को चारधाम यात्रा मार्ग प्रबंधन की जिम्मेदारी यमुनोत्री और गंगोत्री में लगे जाम के बाद ही सौंपी गई. इसके बाद अरुण मोहन जोशी ने गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में पैदल पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया. उन्होंने हालातों में सुधार किया. ऐसा भी इस बार पहली बार हुआ जब तीर्थ पुरोहितों ने गंगोत्री मंदिर को भक्तों के लिए बंद करने के बाद मंदिर के सामने ही विरोध प्रदर्शन किया.

गंगोत्री धाम में तीर्थ पुरोहितों का विरोध प्रदर्शन (ETV BHARAT)

मौत के आंकड़े ने भी चौंकाया: इस बार की यात्रा के दौरान गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में 15 लाख 21752 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं. जिसमें अकेले यमुनोत्री धाम में 71210 लोगों ने दर्शन किए हैं. गंगोत्री धाम में 8 लाख 11542 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं. शुरुआती दिनों में यात्रियों की अत्यधिक संख्या की वजह से मौत का आंकड़ा भी अचानक बढ़ा. सबसे अधिक मौत केदारनाथ के बाद अगर कहीं हुई है तो वह यमुनोत्री धाम में हुई. यमुनोत्री धाम में श्रद्धालुओं को पैदल अत्यधिक चलना पड़ता है. शायद यही कारण है कि 10 मई से लेकर 2 नवम्बर तक जो आंकड़े आपदा प्रबंधन विभाग में जारी किए हैं उसमें 40 लोगों की मौत एक ही धाम में बताई गई है. गंगोत्री धाम में भी 16 श्रद्धालुओं की मौत इस यात्रा सीजन में हुई है.

गंगोत्री हाईवे जाम (ETV BHARAT)

इस बार की चारधाम यात्रा पिछले साल के लिहाज से कुछ कम रही. 2013 के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब केदारनाथ और बदरीनाथ यात्रा को लंबे समय के लिए रोकना पड़ा. मौसम खराब होने के साथ ही यात्रा रूटों के वॉश आउट होने के कारण भी ऐसा फैसला लिया गया. कपाट बंद होने के मौके पर उत्तराखंड सरकार के पर्यटन और धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने कहा इस बार यात्रा अंहल्की रही. इसके बाद भी अंतिम दिनों में भक्तो का सैलाब उमड़ा. उन्होंने कहा शुरुआती दिनों में चारधाम यात्रा में कुछ दिक्कतें आई, लेकिन खुद मुख्यमंत्री और सभी अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर मोर्चा संभाला. जिसके बाद यात्रा पटरी पर लौटी. उन्होंने कहा राज्य सरकार की कोशिश पूरे सीजन में सकुशल यात्रा संचालन की रही है.

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