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दीपावली पर गंगा-जमुनी तहजीब: बनारस में मुस्लिम महिलाओं ने भगवान राम की आरती उतारी, रंग-बिरंगे दीपक सजाए

मुस्लिम फाउण्डेशन की महिलाएं 18 साल से सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल पेश कर रहीं हैं.

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मुस्लिम फाउण्डेशन की महिलाएं 18 साल से सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल पेश कर रहीं हैं. (Photo Credit- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 5 hours ago

Updated : 4 hours ago

वाराणसी: दीपावली पर लमही के सुभाष भवन में मुस्लिम महिला फाउंडेशन एवं विशाल भारत संस्थान के प्रोग्राम में मुस्लिम महिलाओं ने अपने हाथों से रंगोली बनाई. भगवान श्रीराम की प्रतिमा को पुष्पों से सजाया और भगवान राम की आरती गायी. इन मुस्लिम महिलाओं का मानना है कि राम नाम के दीपक से दुनिया में नफरत का अंधकार खत्म हो सकता है.

पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास महाराज ने श्रीराम स्तुति की. आरती में मुस्लिम महिलाओं का साथ दिया और भेदभाव खत्म करने का संदेश दिया. हिन्दू और मुसलमानों को एक दूसरे के करीब लाने, दिलों को जोड़ने और सांस्कृतिक एकता की स्थापना के लिये मुस्लिम महिलाओं का यह प्रयोग सबसे कारगर साबित हुआ. मुस्लिम महिलाएं वर्ष 2006 से भगवान श्रीराम की आरती कर सांप्रदायिक एकता और सौहार्द्र का संदेश देती आ रही हैं.

राम नाम के दीपक से दुनिया में नफरत का अंधकार खत्म हो सकता है. (Video Credit- ETV Bharat)

इस अवसर पर मुख्य अतिथि महंत बालक दास महाराज ने कहा कि हर पंथ और मजहब अपने सिद्धांतों और नियमों में इतने कड़े हैं कि मानवता का पाठ ही भूल गए. उन्होंने अपने तरीके से न रहने वालों को अस्वीकार कर दिया, लेकिन भगवान राम ने सबको हृदय से लगाया और सबको स्वीकार किया. इसलिए प्रत्येक देश को अपने यहां राम के महान आदर्शों को अपना कर शांति स्थापित करनी चाहिए. मुस्लिम महिलाओं का यह प्रयास दिलों को जोड़ने वाला है.

वहीं मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाजनीन अंसारी ने कहा कि शांति स्थापना के लिये अनिवार्य शर्त भगवान श्रीराम के आदर्श और रामराज्य हैं. रामराज्य की परिकल्पना लोगों को भेदभाव से मुक्त कर सकती है. सबको गले से लगाकर स्वीकार कर सकती है. इजराइल और फिलिस्तीन दोनों को भगवान श्रीराम के रास्ते पर चलना चाहिए. यदि भारत का मुसलमान सबके बीच में प्रिय होना चाहता है तो अपने घरों में राम के चरित्र की शिक्षा दे. भगवान राम ही पूरी दुनियां के पूर्वज हैं. उनके रास्ते पर चलकर ही दिलों में प्रेम और भावना विकसित होगी.

सांस्कृतिक एकता की स्थापना के लिये मुस्लिम महिलाओं का यह प्रयोग सबसे कारगर साबित हुआ. (Photo Credit- ETV Bharat)

इस प्रोग्राम में डॉ. अर्चना भारतवंशी, डॉ. मृदुला जायसवाल, आभा भारतवंशी, खुर्शीदा बानो, रोशनजहां, नूरजहां, हफिजुननिशा, अजीजुननिशा, सायना, नरगिस, रुकैया बीबी, जुलेखा बीबी, नगीना बेगम, सरोज, गीता, पूनम, उर्मिला, किसुना, इली, खुशी, उजाला, दक्षिता भारतवंशी आदि लोग शामिल हुईं.

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