महासमुंद वन विभाग का कमाल, गज यात्रा से हाथी मानव संघर्ष को दी मात, हाथी मेरे साथी का भाव लोगों में आया
gaj yatra छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में गज यात्रा चल रही है. इस यात्रा के जरिए हाथी मानव संघर्ष को रोकने की कवायद की जा रही है. मानव हाथी द्वंद को रोकने के लिए इस पहल की चर्चा हर ओर हो रही है. human elephant conflict
महासमुंद: छत्तीसगढ़ घने जंगलों से घिरा प्रदेश है. यहां के कई जिले हाथी प्रभावित जिलों में आते हैं. इनमें महासमुंद, धमतरी. बालोद, कोरबा, रायगढ़, सरगुजा, जशपुर और सूरजपुर जैसे जिले शामिल हैं. हाथियों के आतंक और हाथी मानव द्वंद को कम करने के लिए वन विभाग कई तरह की योजनाएं चला रहा है. जिसमें महासमुंद में चल रही गज यात्रा काफी कारगर साबित हो रही है. इन दिनों भी महासमुंद में गज यात्रा चलाई जा रही है. यह मुहिम इस जिले में अक्टूबर 2021 से चलाई जा रही है. कई बार इस जिले को हाथी मानव संघर्ष को रोकने के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम के लिए गज गौरव सम्मान से सम्मानित भी किया जा चुका है.
गज यात्रा में क्या होता है: महासमुंद वन रेंज के अधिकारी प्रत्यूष तांडेय ने गज यात्रा को लेकर मीडिया को जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि हम लोगों को हाथी मानव संघर्ष रोकने के लिए कई तरह से अवेयर कर रहे हैं. इसमें वन रक्षक को लेकर टीम बनाई जाती है जो लोगों को हाथियों के प्रति जागरुक करने का काम करता है. वह अपनी टीम के साथ गांव गांव का भ्रमण करता और जन चौपाल लगाकर लोगों को हाथी के हमले से बचने के बारे में जागरुक करता है.
"गजयात्रा तीन चरणों में की जाती है. पहले चरण में हम स्कूली बच्चों को हाथियों के प्रति जागरुक करते हैं. इसके तहत वन विभाग की टीम स्कूलों का दौरा करती है फिर स्कूलों में जाकर स्कूली बच्चों को हाथियों में बारे में जानकार दी जाती है. दूसरे चरण के तहत हम हाट बाजार का रुख करते हैं और लोगों को हाथियों के हमले को लेकर जागरुक करते हैं. तीसरे चरण के तहत हम गांव और कस्बों में जाकर हाथी से जुड़े फिल्म को प्रोजेक्टर के माध्यम से दिखाते हैं": प्रत्यूष तांडेय, महासमुंद वन रेंज के अधिकारी
कैसे काम करता है गज रथ और गज यात्रा: हाथी मानव द्वंद को रोकने के लिए गजयात्रा अहम भूमिका अदा कर रहा है. इसकी अवधारणा हमारे डीएफओ साहब पंकज राजपूत सर का कॉन्सेप्ट है. आठ अक्टूबर 2021 को इसकी शुरुआत हुई . इसमें हाथी से बचने के उपाय लोगों को प्रचार प्रसार कर बताया जाता है. लोगों को बताया जाता है कि हाथियों के आने पर आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. हम पहले चरण के तहत सुबह में स्कूल में जाते हैं और बच्चों को हाथियों के आचार और व्यव्हार के बारे में बताते हैं. दूसरे चरण में हम दोपहर में हाट बाजार का रुख करते हैं और लोगों को पंपलेट के माध्यम से लोगों को जागरुक करते हैं. शाम को हम लोगों को मोर संगवारी करके मूवी दिखाते हैं और हाथियों के हमले से बचने के बारे में बताते हैं. लोगों को जागरुक किया जाता है
महासमुंद में लगातार जारी है गज यात्रा: महासमुंद में लगातार गजयात्रा जारी है. जिले में अब तक वन विभाग की टीम ने 8 हजार 910 गांवों को गज यात्रा के जरिए कवर किया है. वन विभाग के अधिकारी के मुताबिक जिले में करीब 23 हजार लोगों को इस गज यात्रा के जरिए हाथी से बचने में फायदा हुआ है. लोगों में हाथी मानव संघर्ष को लेकर जागरुकता आई है. जब से गज यात्रा शुरू हुआ तब से सिर्फ एक घटना हाथी को लेकर घटी है वो भी बसना में हुआ है. ढाई साल के अंदर यह एक घटना हाथी से संबंधित है. पंकज राजपूत साहब की इसमें काफी मदद मिली है.