पटना: वह साल 1962 था. पंडित नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे. लेकिन हिंदी चीनी भाई-भाई का नारा देने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू को उस समय गहरा सदमा लगा, जब चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया. उस समय भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी. सैनिकों के लिए हथियार और राशन के अन्य सामग्री पहुंचाने तक के लिए सरकार के पास पैसे नहीं थे. तब पंडित नेहरू ने महिलाओं से अपने गहने सरकार को देने की अपील की थी.
पंडित नेहरू ने देश की महिलाओं से मांगे थे मंगलसूत्र: देश की महिलाओं ने भी पंडित नेहरू के आह्वान पर राष्ट्र की खातिर सहर्ष अपने गहने और मंगलसूत्र तक उतार कर देश को दान कर दिए, ताकि उसे गिरवी रखकर सरकार बैंकों के माध्यम से सेना के लिए पैसे जुटा सके. बाद में जिन महिलाओं ने अपने गहने सरकार को दान में दिए थे, उन सभी महिलाओं को इंदिरा गांधी ने 1981 में प्रधानमंत्री रहते हुए रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के माध्यम से नेशनल डिफेंस गोल्ड बॉन्ड के रूप में लौटा दिए.
24 कैरेट गोल्ड बॉण्ड के रूप में लौटाया : अमूमन गहने 18 से 22 कैरेट सोना में बनते हैं, लेकिन इंदिरा सरकार ने महिलाओं को 24 कैरेट सोना लौटाया. सोने का आभूषण दान करने वाली महिलाओं में शामिल थी पटना की श्यामा शरण, जिन्होंने 58 ग्राम सोना दान किया था. सरकार ने इन्हें 24 कैरेट का 58 ग्राम सोना सोने के चार बिस्कुट के रूप में उपलब्ध कराया था.
महिलाओं ने दान किया था अपना गहना: श्यामा शरण इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनके पुत्र जो वरिष्ठ पत्रकार हैं प्रवीण बागी, वह इस घटनाक्रम के सभी साक्ष्य को संभाल के रखे हुए हैं. वह गर्व करते हैं कि देश को जब जरूरत पड़ी तो उनकी मां ने अपने मंगलसूत्र तक दान कर दिए और इस बात के लिए उनके पिता ने उनकी खूब सराहना भी की थी.
''यह वह दौर था जब लोगों में देश प्रेम की भावनाओं का उबाल था. लोग राष्ट्र हित में अपना सब कुछ दांव पर लगा देते थे. उसे दौर में उनके परिवार की कई महिलाओं ने अपना गहना देश के लिए दान कर दिया था, जबकि महिलाओं के लिए गहना सबसे मूल्यवान वस्तु माना जाता है.''-प्रवीण बागी, वरिष्ठ पत्रकार
राष्ट्र हित में सब कुछ न्योछावर को तैयार : प्रवीण बागी ने बताया कि चीन ने जब देश पर हमला किया तो देश की आर्थिक हालत खराब थी. सैनिक ऊंचे पहाड़ों पर नंगे पांव चीनी सेना से मुकाबला कर रहे थे. इसके बाद पंडित नेहरू ने सेवा के लिए पैसे जुटाना के लिए महिलाओं से उनके गहने मांगे. 2 नवंबर 1962 को इंदिरा गांधी ने भी देश के सैन्य ठिकाने पर जाकर अपने सभी गहने दान कर दिए. इंदिरा गांधी ही नहीं बल्कि देश की लाखों महिलाओं ने अपने गहने दान किए.