फॉल्स फायर अलर्ट उत्तराखंड में वनकर्मियों के लिए बना परेशानी. (ETV Bharat) देहरादून: उत्तराखंड के जंगलों में इन दिनों वनाग्नि की घटनाएं वन विभाग के कर्मचारियों को खूब दौड़ा रही हैं. हर दिन मिलने वाले अलर्ट वनकर्मियों को सांस लेने की भी फुर्सत नहीं दे रहे हैं. स्थिति यह है कि वन मुख्यालय से लेकर जंगलों में मौजूद कर्मी तक सब व्यस्त हैं.
अलर्ट कर रहा वनकर्मियों की फजीहत : दरअसल फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की तरफ से अलर्ट आने के बाद वन मुख्यालय से सूचनाएं फील्ड तक पहुंचाई जाती हैं. इसके फौरन बाद संबंधित रेंज के वन कर्मी घटना वाली जगह के लिए दौड़ पड़ते हैं. बड़ी वजह यह भी है कि वन विभाग ने पूरे सिस्टम को तकनीक से जोड़ दिया है. वनाग्नि की सूचना के बाद फर्स्ट रिस्पॉन्स को त्वरित कार्रवाई कर कम से कम समय में मौके पर पहुंचना होता है. लेकिन वनकर्मियों की परेशानी उस समय बढ़ जाती है, जब मौके पर उन्हें वनाग्नि की कोई घटना ही नहीं मिलती. बस इसी तरह के फॉल्स अलर्ट अब उत्तराखंड वन विभाग के लिए सिरदर्द बन गए हैं.
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया से आता है अलर्ट: ऐसा नहीं है कि फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की तरफ से मिलने वाले अलर्ट पूरी तरह से गलत हों. दरअसल सेंसर के माध्यम से अलर्ट देने वाला यह सिस्टम रिजर्व फॉरेस्ट के बाहर के क्षेत्र में लगी आग को भी फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को भेज देता है. यानी जंगलों के आसपास रिहाइसी बस्ती या कृषि भूमि में लगी आग का अलर्ट भी वन विभाग को मिल रहा है. इस कारण वनकर्मी जंगल में आग बुझाने के लिए दौड़ते हैं, लेकिन उन्हें जंगल में कहीं आग मिलती ही नहीं.
कंट्रोल फायर भी बन जाती है मुसीबत: अधिकारी बताते हैं कि कई बार आसपास लगी आग का धुंआ भी सेंसर बढ़े हुए तापमान के साथ अलर्ट के रूप में वनाग्नि में दर्शा देता है. इतना ही नहीं वन विभाग द्वारा खुद से कंट्रोल फायर के तहत लगाई गई आग को भी सेंसर पकड़ लेता है और आग लगने का अलर्ट भेज देता है. इस तरह वन विभाग से संबंधित नहीं होने के बावजूद कई अलर्ट वन विभाग को मिल जाते हैं और इसमें बेवजह वन कर्मियों को जंगलों में दौड़ना पड़ता है.
बिना आग वनाग्नि का अलर्ट: जानकारी के अनुसार 50% से ज्यादा अलर्ट इसी तरह के मिल रहे हैं, जिसके कारण वन विभाग के कर्मचारियों को जंगलों में आग नहीं लगने के बावजूद भी दौड़ना पड़ रहा है. करीब 3% मामले ऐसे हैं, जिसमें वन विभाग के कर्मचारी खुद कंट्रोल फायर के लिए आग लगाते हैं और इसी को लेकर फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के अलर्ट वन विभाग को मिल जाते हैं.
फॉल्स अलर्ट ने छीना चैन: उत्तराखंड वन विभाग हालांकि पिछले दो हफ्तों से वनाग्नि की घटनाओं में आई कमी के कारण राहत की सांस ले रहा है. लेकिन अब भी ऐसे अलर्ट परेशानी की वजह बने हुए हैं, जो संरक्षित वन क्षेत्र से जुड़े नहीं निकलते. हालांकि बड़ी संख्या में फॉल्स अलर्ट मिलने के बावजूद भी आग की घटनाओं को वेरीफाई करने के लिए हर अलर्ट पर कर्मचारियों को मौके पर जाना पड़ता है और इसके बाद ही असल स्थिति पता चल पाती है.
तकनीक को सटीक बनाने का अनुरोध: उत्तराखंड वन विभाग में एडिशनल प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट निशांत वर्मा कहते हैं कि ऐसी स्थितियों को देखते हुए फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया को इस संदर्भ में जानकारी दे दी गई है. तकनीक को और बेहतर करते हुए सटीक अलर्ट वन विभाग को मिल सके, इसके लिए कदम उठाए जाने से जुड़ा अनुरोध भी फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया से किया गया है.
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