नई दिल्ली: त्योहारी मौसम में अक्सर खाने-पीने की चीजों या मिठाइयों में मिलावट की खबरें आप सुनी होंगी, लेकिन मिलावट सिर्फ त्योहारों तक सीमित नहीं है. ये मिलावट त्योहारों के आने से पहले भी होती है और त्योहार ना हो तो भी मिलावट का खेल तो चलता रहता है. देश की राजधानी दिल्ली में ऐसे ही मिलावट का पर्दाफाश हुआ है.
दिल्ली के करावल नगर में मिलावटी मसाले बनाने वाली फैक्ट्रियों का भंडाफोड़, (ETV BHARAT REPORTER) कहां हो रही मिलावट
मिलावट का मामला सामने आया है. हमारे रोज के खाने में पड़ने वाले मसालों में. दाल, सब्जी जो पड़ने वाले जिसने खाने में स्वाद बढ़ जाता है वहीं मसाले अब मिलावटी हो गए हैं. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के करावल नगर इलाके से करीब 15 टन मिलावटी मसाले और उससे संबंधित कच्चे माल को बरामद किया है. इस मामले में 3 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है.
क्राइम ब्रांच के मुताबिक इस तरह के मिलावटी मसाले को तैयार करने का काम करावल नगर स्थित दो फैक्ट्रियों में किया जा रहा था. इस गोरखधंधे में सड़े चावलों के अलावा सड़ा नारियल, लकड़ी का बुरादा, एसिड और दूसरे कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता था.
ये रैकेट खाने पीने की चीजों में मिलावट कर लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहा था और पूरी दिल्ली-NCR में इस नकली ब्रांड के मसालों को सप्लाई किया जाता था.
हैरान करने वाली बात ये है कि एक लंबे समय से फलफूल रहे इस मिलावटी मसाला तैयार करने वालों ने एक सप्लाई मार्केट चैन भी डेवल्प कर ली थी. आरोपी दिल्ली के मसालों के लिए जानी जाने वाली मार्केट खारी बावली, सदर बाजार, लोनी और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के दूसरे राज्यों में भी इसकी मिलावटी माल की सप्लाई होती थी. दिल्ली पुलिस की सूचना के आधार पर खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से मसालों के सैंपल एकत्र किए हैं.
क्राइम ब्रांच की ओर से पकड़े गए तीनों आरोपियों की पहचान करावल नगर के दिलीप सिंह उर्फ बंटी (46), मुस्तफाबाद के सरफराज (32) और लोनी के रहने वाले खुर्शीद मलिक (42) के रूप में की गई है. बताया जाता है कि इन घटिया मसालों को तैयार करने के लिए सड़े चावल, बाजरे, नारियल, जामुन, लकड़ी के बुरादे, यूकेलिप्टस के पत्ते, साइट्रिक एसिड, पशुओं का चोकर, मिर्च के डंठल, खराब लाल मिर्च, केमिकल वाले कलर का इस्तेमाल किया जाता है. मौके से इन सभी घटिया सामान को बरामद किया गया है. इनसे तैयार घटिया मसालों के 50-50 किलोग्राम के बड़े बोरे तैयार किए जाते थे और सप्लाई चैन वाली मार्केट में बेचा जाता था.
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