नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव का समापन होते ही सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है, जबकि कांग्रेस भी समीकरणों को प्रभावित कर सकती है. जहां अरविंद केजरीवाल की साख दांव पर है, वहीं महिला मतदाता निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं.
दिल्ली में भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है, जबकि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपना चेहरा बनाया है. ऐसे में क्या केजरीवाल एक बार फिर दिल्ली की सत्ता संभालेंगे या बीजेपी कोई बड़ा उलटफेर करेगी? आइए जानते हैं...
राजनीतिक विश्लेषक मनोज झा का कहना है कि" पखवाड़े भर के सघन अभियान के बाद दिल्ली में चुनाव प्रचार की गतिविधियां थमने के साथ ही राजनीतिक दलों ने भी सांसें थाम रखी हैं. अपने राजनीतिक जीवन में सत्तारूढ़ आम आदमीं पार्टी को इस तरह पहली बार दोतरफा चुनौतियों से जूझना पड़ा है. भाजपा के साथ-साथ अंतिम सप्ताह में कांग्रेस ने भी पूरा ज़ोर लगाया. एक बात जो तय दिख रही है, वह यह कि खुद अरविंद केजरीवाल समेत आप के कई कद्दावरों की सीट इस बार कठिन मुक़ाबले में फंसी दिख रही है. यहां कुछ भी हो सकता है. कुछ भी हो इस बार के चुनाव नतीजे आप, भाजपा और कांग्रेस तीनों के लिए आगे के राजनीतिक संदेश और संकेत लेकर आएंगे. चुनाव में सबसे बड़ा दांव केजरीवाल की साख है. नतीजे उनकी आगे की राजनीति को भी राह दिखाएंगे. लिहाजा कसौटी पर आप और उसके मुखिया केजरीवाल हैं.
''आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है, इसमें प्रमुख घोषणा ये है कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की महिलाओं को हर महीने ₹2100 देने की घोषणा की है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने 2500 रूपये हर माह महिलाओं को देने की घोषणा की. अब देखना यह होगा कि महिलाएं किसके पक्ष में मतदान करती हैं. अभी तक की स्थिति के अनुसार आम आदमी पार्टी को 70 में से 38 से 40 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं."- जगदीश मंमगई, राजनीतिक विश्लेषक
महिला जिसके पक्ष में उसके सिर सजेगा ताज: दिल्ली की राजनीति को बेहद करीब से देखने वाले राजनीतिक विश्लेषक जगदीश मंमगई का कहना है कि "इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर है. हालांकि, आम आदमी पार्टी का पलड़ा थोड़ा सा ज्यादा भारी है, महिलाएं जिसे वोट देगी दिल्ली में उसी की सरकार बनेगी.
कांग्रेस की भूमिका अहम: राजनीतिक विश्लेषक नवल किशोर सिंह का कहना है कि "मतदाता किसी एक पार्टी को वोट देने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है जैसा कि हम लोकसभा चुनाव में देखते हैं कि लोग दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी को वोट देते हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में ज्यादातर लोग आम आदमी पार्टी को वोट देते हैं. दिल्ली में आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच कांटे की टक्कर है. ऐसे में तीसरी पार्टी कांग्रेस की भूमिका अहम हो जाती है.
42 सीट तक जीत सकती है आप : राजनीतिक विश्लेषक नवल किशोर सिंह का ये भी कहना है कि कांग्रेस दिल्ली में कितना खराब या कितना अच्छा प्रदर्शन करती है, परिणाम इस पर भी निर्भर करेगा, भले ही पार्टी किसी भी सीट से ना जीत सके लेकिन मतदाताओं को प्रभावित जरूर करेगी. दिल्ली में भाजपा ने अच्छी खासी पैठ बनाई हुई है, जिससे स्थिति मजबूत हुई है. बीजेपी का मतदाता हर जगह बोलता है लेकिन आम आदमी पार्टी का जो मतदाता है वह साइलेंट है. इसलिए आम आदमी पार्टी की परफॉर्मेंस को बहुत ज्यादा इग्नोर नहीं किया जा सकता है. आम आदमी पार्टी की योजनाओं का लाभ नीचे के वर्ग के लोगों को मिला है इसमें दो राय नहीं है. आम आदमी पार्टी इस बार दिल्ली चुनाव में पूर्ण बहुमत से आएगी. हालांकि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष सीट कम रहेगी. करीब 40 से 42 सीट आम आदमी पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत सकती है."
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