EVM में कैसे होती है गड़बड़ी, दिग्विजय सिंह ने एक्सपर्ट से डेमो कर बताया, वोट दिया केले पर और गया सेव पर
Digvijay demo EVM malfunction : पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर ईवीएम वीवीपेट में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं. इसके लिए उन्होंने बाकायदा भोपाल स्थित अपने आवास पर कम्प्यूटर एक्सपर्ट की मदद से डेमो के माध्यम से बताया कि कैसे गड़बड़ी की जाती है.
ईवीएम गड़बड़ी, दिग्विजय सिंह ने एक्सपर्ट से डेमो कर बताया
भोपाल।मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जुगाड की ईवीएम से वोट डलवाकर वोटिंग में गड़बड़ी को लेकर एक फिर आशंका जाहिर की है. दिग्विजय सिंह के भोपाल स्थित सरकारी बंगले पर गुजरात के कम्प्यूटर एक्सपर्ट अतुल पटेल ने दावा किया कि ईवीएम के साथ कनेक्ट होने वाली वीवीपेट में वोट डालने के बाद 7 सेकेंड के लिए जो वोट दिखाया जाता है, वह प्रिंट ही नहीं होता. उन्होंने ईवीएम से इसका डेमो दिखाया. इसमें उन्होंने ईवीएम से जुड़ी वीवीपेट पर 10-10 वोट डलवाए. इसके बाद उन्होंने इसके रिजल्ट दिखाते हुए दावा किया कि लोगों ने जिस पर ज्यादा वोट डाले, उस पर वोट गया ही नहीं.
ऐसे दिखाया डेमो
जुगाड़ की ईवीएम और वीवीपेट पर उन्होंने इसका डेमो दिखाया. उन्होंने दस-दस लोगों से इसमें वोट डलवाए. इसमें से 4 लोगों ने केले पर, 5 लोगों ने सेव पर और एक व्यक्ति ने तरबूज पर वोट डाला. वोट डालने के बाद सभी को वीवीपेट पर 7 सेकंड के लिए पर्ची भी दिखाई गई, लेकिन जब वह पर्ची दिखाई गई तो उसमें 8 पर्ची सेव की निकली. उन्होंने दावा किया कि जो पर्ची वीवीपेट पर प्रिंट होता है, वहीं ईवीएम पर भी काउंट होता है. यानी आप भले ही केले का बटन दबाओ, वोट सेव पर ही जाएगा.
दिग्विजय बोले- वीवीपेट में छेड़छाड संभव
पत्रकारों से रूबरू हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैं अपना वोट जहां डालूं, वह सही जगह डले और उसकी गिनती सही जगह हो, यह हम सभी का संविधानिक अधिकार है. लेकिन ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. सवाल उठे तो ईवीएम के बाद वीवीपेट मशीन आ गई. ईवीएम में कोई चिप नहीं होती, लेकिन वीवीपेट मशीन में मल्टीपल प्रोग्रामेबल सॉफ्टवेयर होता है. इसमें चुनाव के समय बार-बार पार्टी के सिबंल अपलोड किए जाते हैं और इसमें छेड़छाड संभव है.
चुनाव आयोग पर आरोप
उन्होंने कहा कि कम्प्यूटर द्वारा ही तय होता है कि कौन सी मशीन किस बूथ पर जा रही है, यह जिला निर्वाचन अधिकारी भी तय नहीं करता. यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है. सॉफ्टवेयर बनाने वाले और इस सॉफ्टवेयर को डालने वाले तय करेंगे कि देश में सरकार किसकी बनेगी. चुनाव आयोग और सरकार इससे जुड़े किसी भी सवाल का जवाब आरटीआई के तहत भी नहीं दे रहे. दिग्विजय सिंह ने कहा कि हमें वीवीपेट पर भरोसा नहीं है. 31 जनवरी को इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है, लेकिन मेरी मांग है कि इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की फुल बेंच द्वारा की जाए.
मेरी ही पार्टी नहीं करती मेरा भरोसा
दिग्विजय सिंह ने कहा कि दिक्कत यह है कि जब मैं एक बात कहता हूं, तो मीडिया ही नही, मेरी पार्टी भी मेरी बात पर भरोसा नहीं करती. लेकिन मेरी बात सही निकलती है. इस बार भी वही हुआ. मुझे कई साल लग गए मेरी पार्टी को भी समझाने में. अब इंडिया अलाइंस की सभी 24 पार्टियों ने ईवीएम को लेकर उठ रहे सवालों के आधार पर ज्ञापन देकर चुनाव आयोग से मिलने का समय मांगा था, लेकिन चुनाव आयोग मिलने का समय ही नहीं दे रहा. दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग बीजेपी के दवाब में काम कर रहा है.
दिग्विजय सिंह ने कहा कि बीजेपी पहले नैरेटिव बनाती है. पहले उन्होंने पुलवामा के नाम पर वोट मांगे और दावा किया कि बीजेपी की 300 से ज्यादा सीटें आएंगी और बाद में उन्हें 302 सीटें मिलीं. अब नैरेटिव बना रहे हैं कि रामलला आए हैं. दावा कर रहे हैं कि 400 से ज्यादा सीटें आएंगी. जब दिग्विजय सिंह से सवाल किया गया कि ईवीएम में गड़बड़ी हुई तो कर्नाटक क्यों नहीं जीते, तो उन्होंने कहा कि जहां बीजेपी की रुचि नहीं होती, वहां गड़बड़ी नहीं की जाती, ताकि जनता में इसको लेकर भ्रम पैदा न हो, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर बीजेपी का वोट स्विंग परसेंटेज 20 से 25 फीसदी तक हुआ, यह संभव नहीं है.