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नेतागिरी के शौकीनों के लिए खास है 'मथ भुकव्वल' होटल, MP-MLA बनने के बाद भी लोग यहां करते हैं चर्चा - Mathbhukval Hotel In Gaya

Mathbhukval Hotel In Gaya: गया के एक झोपड़ी वाले होटल में विधायक और सांसद बनने के बाद भी नेता चाय पर चर्चा करने आते हैं. यहां आने वाले लोग अलग-अलग दल के होते हैं, लेकिन बेहद समझदारी के साथ राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा कर अपने-अपने घर और काम की ओर चले जाते हैं. इस होटल को कई लोग अपने आप में एक विधानसभा मानते हैं.

Mathbhukval Hotel In Gaya
गया के मथभुक्ववल होटल की अपनी अलग पहचान

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 19, 2024, 6:00 AM IST

गया: बिहार के गया शहर में एक झोपड़ी वाला होटल है. इसका नाम मथ भुकव्वल है. मथ भुक्व्वल (चर्चा करके दिमाग खा जाने वाला)नाम इसलिए क्योंकि यहां राजनीति के हर मुद्दों पर चाय के साथ चर्चा होती है. बात चाहे राजनीति की हो, सामाजिक घटनाक्रम की हो या अन्य मुद्दों की, यहां आने वाले लोग गांव से लेकर देश स्तर तक के मुद्दों पर चर्चा करते हैं. नेता, वकील, आमजन, खास सभी लोग यहां जुटते हैं. यहां तक कि इस झोपड़ी में बहस कर जो लोग सांसद और विधायक भी बन जाते हैं, वह भी यहां आना नहीं भूलते.

गया के मथभुक्ववल होटल की अपनी अलग पहचान

सभी पार्टी के नेताओं का होता है जुटान: इस झोपड़ी वाले होटल में हर पार्टी के लोग आते हैं. राजनीतिक पार्टी के रूप में कांग्रेस, जदयू, भाजपा, भाजपा माले यानी कि कम्युनिस्ट से लेकर तमाम राजनीतिक पार्टियों के नेता यहां जुटते हैं. हर मुद्दों पर बात होती है. अभी फिलहाल ज्यादा चर्चा लोग राजनीति पर कर रहे हैं, क्योंकि लोकतंत्र का महापर्व जो है.

गया के मथभुक्ववल होटल की अपनी अलग पहचान

होटल पर लगता जीत-हार का अनुमान: गया लोकसभा का चुनाव 19 अप्रैल को होना है. ऐसे में अब इस झोपड़ी वाले मथ भुकव्वल होटल में सरगर्मी तेज है. यहां बैठने वाले लगातार चर्चा कर रहे हैं. गया लोकसभा से लेकर जहानाबाद, नवादा, जमुई तक की चर्चा हो रही है. गया को लेकर यहां बैठने वाले नेता, आम लोग बताते हैं, कि लोकसभा चुनाव का रिजल्ट किस कदर बैठेगा, यहां अनुमान लगाने वाले काफी लोग आते हैं. यहां बहस का दौर जब शुरू होता है, तो घंटों तक चलता है.

गया के मथभुक्ववल होटल की अपनी अलग पहचान

चाय पीते और राजनीतिक आनंद लेते:अशोक कुमार बताते हैं कि इस होटल का नाम मथ भुकव्वल है. काम छोड़कर जब भी मौका मिलता है, तो यहां चाय पीने जरूर चले आते हैं और राजनीतिक आनंद लेते हैं. यहां विभिन्न दलों के लोग चर्चा करते हैं. यहां आम लोग से लेकर खास लोग आते हैं. हार-जीत का अनुमानित चर्चा होता है. विशेषता यह है कि हारने जीतने के बाद आते हैं, तो फिर से सामान्य रूप से हम लोग साथ होते हैं. इस तरह विभिन्न राजनीतिक दलों के लोग यहां जुड़ते हैं, लेकिन हार -जीत के बावजूद प्रेम भाव वही बना रहता है.

गया के मथभुक्ववल होटल की अपनी अलग पहचान

सांसद-विधायक बनने के बाद भी आते: उन्होंने कहा कि इस तरह यह होटल हम राजनीतिक पार्टियों को प्रेम के भाव में बांधकर भी रखता है. यहां से कई सांसद बन गए और विधायक बन गए, लेकिन उन्होंने यहां आना नहीं छोड़ा. प्रत्याशियों पर भी चर्चा करते हैं. कोई कहता है कुमार सर्वजीत इंजीनियर है, उसे जिताओ, तो कोई कहता है जीतन राम मांझी को जिताइए. इस तरह की चर्चा हम लोग करते रहते हैं.

गया के मथभुक्ववल होटल की अपनी अलग पहचान

सभी दलों के लोग जुटते: यहां पर बैठे बिंदेश्वरी सिंह और अधिवक्ता सत्येंद्र कुमार संतू बताते हैं कि इस होटल पर राजनीतिक चर्चा होता है. राम जी मांझी और सतीश प्रसाद जो संसद और विधायक बने, वह यहां अब भी आते है. यहां कम्युनिस्ट पार्टी हो या कांग्रेसी, भाजपा हो या राजद सभी दलों के लोग जुटते हैं. यहां राजनीतिक के अलावे सामाजिक, देश के घटनाक्रम के मुद्दों पर चर्चा होती है. एक बात को हर तरह के लोग चिंतन करते हैं, रखते हैं.

गया के मथभुक्ववल होटल की अपनी अलग पहचान

"हर जगह चुनाव का माहौल है. उस पर चर्चा भी काफी हो रही है. कोई नरेंद्र मोदी की सराहना करता है तो कोई लालू यादव की तो कोई राहुल गांधी की. यहां हम लोग राजनीतिक चर्चा कर आनंद लेते हैं और चाय की चुस्की के साथ काफी कुछ आपस में बोलते हैं, बहस करते है, लड़ते हैं, लेकिन किसी की भी जीत हो या हार, रिजल्ट के बाद हम लोग आपसी प्रेम भाव के साथ ही मिलते है. आज तक यहां की परंपरा बनी हुई है." - सत्येंद्र कुमार संतू, अधिवक्ता

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