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गजब..! 300 सालों से इस गांव का हर आदमी है शाकाहारी, शराब को छूते भी नहीं, जानें यहां की कहानी

बिहार में एक गांव ऐसा है, जहां सभी लोग शाकाहारी हैं. इस परंपरा को लोग काफी समय से निभा रहे हैं. कहानी बेहद दिलचस्प है.

शाकाहारी गांव
शाकाहारी गांव (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 5 hours ago

Updated : 4 hours ago

गया: ये दुनिया अजीबो-गरीब कहानियों से भरी पड़ी है. इनमें कुछ चीजों पर यकीन होता है, तो कुछ के बारे में जानकर काफी हैरानी होती है. कुछ ऐसी ही अनोखी कहानी है बिहार के एक गांव की है जहां सभी लोग शाकाहारी है. ये बात सुनकर भले आपको यकीन ना आ रहा हो, लेकिन यह पूरी तरह सच है. गया जिले में बसे इस गांव का नाम है बिहिआइन है. इस अनोखा गांव में तकरीबन 400 की आबादी है, लेकिन पूरा गांव निरामिष है.

300 साल से चली आ रही परंपरा: बिहार के गया के इस गांव में यह परंपरा पिछले कई सदियों से चली आ रही है. आज भी बुजुर्ग हो या युवा पीढ़ी, हर कोई इस परंपरा को निभाते हैं. यहां आने वाली बहू भी निरामिष हो जाती है. कहा जाता है कि ब्रह्म बाबा के कोप से बचने के लिए यह गांव 300 से अधिक सालों से मांसाहार का सेवन नहीं करते हैं.

बिहिआइन गांव का हर शख्स शाकाहारी (ETV Bharat)

पूरा गांव है वैष्णव : गया जिले के वजीरगंज प्रखंड अंतर्गत सकर दास नवादा पंचायत में पड़ता है. यहां 300 सालों से भी अधिक समय की परंपरा के बारे में जानकर हर कोई हैरान रह जाता है. इस गांव की प्रसिद्धी निरामिष वाले गांव के रूप में है, क्योंकि यहां के लोग किसी भी तरह के मांस का सेवन नहीं करते हैं. पूरा गांव शाकाहारी है.

गया का बिहिआइन गांव
गया का बिहिआइन गांव (ETV Bharat)

प्याज और लहसुन भी नहीं खाते: बिहिआइन गांव में शराब का सेवन भी कई सदियों से इस गांव में कोई नहीं करता. यहां तक की प्याज-लहसुन खाना भी वर्जित है. हालांकि अब कुछ युवा पीढ़ी ने प्याज लहसुन का सेवन करना शुरू किया है, लेकिन गांव के ज्यादातर घरों में आज भी प्याज-लहसुन तक लोग नहीं खाते हैं.

"ब्रह्मा बाबा के कारण हम लोग मांस, अंडा या मदिरा का सेवन नहीं करते हैं. प्याज-लहसुन आज भी कई घरों में नहीं डाला जाता है. ब्रह्मा बाबा हमारे गांव की रक्षा भी करते हैं. गांव में विपत्तियां नहीं आती. यह गांव खुशहाली रहता है. अकाल का असर भी हमारे गांव में नहीं देखा जाता." - रणविजय सिंह, ग्रामीण

गांव में राजपूत और यादव समाज के लोग रहते हैं: बिहिआइन गांव में तकरीबन 50 घर राजपूत समाज के हैं. इसके अलावा दर्जनों घर यादव जाति के हैं. कुल मिलाकर तकरीबन 400 से अधिक की आबादी है. यहां ब्रह्म स्थान विराजमान है. ब्रह्मस्थान में ब्रह्म बाबा हैं. ब्रह्म बाबा का पिंड तब से है, जब से यहां के लोग मांसाहार मदिरा का सेवन नहीं करने की परंपरा शुरू किए हैं.

बिहिआइन गांव की अनोखी कहानी
बिहिआइन गांव की अनोखी कहानी (ETV Bharat)

"ब्रह्मा बाबा के किस्से काफी दूर-दूर तक है. ब्रह्मा बाबा मन्नतों को पूरा करते हैं. यहां दूर-दूर से मन्नत मांगने लोग आते हैं. कष्टों से निपटारा को लेकर भी यहां आते हैं. यहां हम लोग सदियों से मीट, मांस, अंडा या मदिरा का सेवन नहीं कर रहे हैं. यहां राजपूत और यादव जाति के लोग रहते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है." -किशोरी सिंह, ग्रामीण

नाराज होते हैं ब्रह्म बाबा: बिहिआइन गांव का रहने वाला कोई भी व्यक्ति यदि बाहर दूसरे राज्यों में भी जाकर मांस का सेवन नहीं करता है. मांस के सेवन करने से ब्रह्म बाबा नाराज हो जाते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि यहां के रहने वाले लोग गांव में रहें या किसी और जगह पर उन्हें यहां की परंपरा का हर हाल में पालन करना होता है, जो पालन नहीं करते हैं उन्हें भुगतना पड़ता है.

गांव में ब्रह्म बाबा स्थान
गांव में ब्रह्म बाबा स्थान (ETV Bharat)

"हम लोग युवा हैं, लेकिन जो परंपरा चली आ रही है, उसे मानते हैं. हम लोग ब्रह्म बाबा को मानते हैं. उनके आशीर्वाद से हमारा गांव खुशहाल है. ब्रह्म बाबा के कोप से बचने के लिए हम लोग प्याज लहसुन तक वर्जित रखते हैं. मीट, मांस, अंडा या मदिरा का सवाल ही नहीं है. यदि कोई परंपरा को तोड़ता है तो उसे भुगतना पड़ता है. हमारा पूरा गांव वैष्णव है." - अमितेश प्रकाश उर्फ क्रांति सिंह, ग्रामीण

बहुएं भी हो जातीं है निरामिष: गांव में एक और खासियत यह भी है कि यहां आने वाली बहू को भी निरामिष होना पड़ता है. इसके बारे में गांव के लोग पहले ही दुल्हन के घर वालों को पूरी जानकारी देते हैं. इसके बाद ही यहां परंपरा को निभाने की शर्त पर शादियां होती है. यहां जो भी बहुएं आती हैं वह मांंस, अंडा का सेवन नहीं करती है. वहीं, यहां की बेटी दूसरी जगह ब्याही जाती है तो उसे निरामिष का पालन करना होता है.

बिहार के गया में है बिहिआइन गांव
बिहार के गया में है बिहिआइन गांव (ETV Bharat)

"बिहिआइन गांव में मांस मदिरा का सेवन नहीं होता है. यहां ब्रह्म बाबा की शक्ति है. गांव में मांस मदिरा खाने पीने वालों का बुरा हाल हो जाता है. किसी की भी हिम्मत नहीं है कि परंपरा को तोड़ सके. यहां ब्रह्म बाबा की पूजा के लिए मुझे पंडित के तौर पर रखा गया है. पिछले लंबे समय से यहां का पुजारी हूं. मुख्य रूप से जहानाबाद का रहने वाला हूं, लेकिन यहां ब्रह्म स्थान में पूजा करने के लिए गांव के लोगों ने स्पेशल तौर पर मुझे रखा है."- राजकुमार पांडे, पुजारी, ब्रह्म बाबा, मंदिर

क्या शाकाहारी गांव की कहानी: दरअसल, गांव में एकबार अखंड पूजा का आयोजन हो रहा था. वहीं दूसरी ओर मूसलाधार वर्षा शुरू हो गई. अखंड स्थल की ओर वर्षा गांव के लोगों के लिए चिंता का सबब बन गई. ऐसे में ब्रह्म बाबा ने चमत्कार दिखाया और सिर्फ यज्ञ स्थल के पास पानी नहीं हुई. वहीं, पूरे गांव में इस कदर मूसलाधार बारिश हुई की ठेहुने भर पानी जमा हो गया था. इस तरह के कई चमत्कार ब्रह्मा बाबा के हैं. ब्रह्म बाबा के कारण गांव में खुशहाली भी है. रोग दुख की पीड़ा, संतान, शादी विवाह के कष्टों को हरते हैं. यहां के लोग ब्रह्म बाबा को मानते हैं.

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गया: ये दुनिया अजीबो-गरीब कहानियों से भरी पड़ी है. इनमें कुछ चीजों पर यकीन होता है, तो कुछ के बारे में जानकर काफी हैरानी होती है. कुछ ऐसी ही अनोखी कहानी है बिहार के एक गांव की है जहां सभी लोग शाकाहारी है. ये बात सुनकर भले आपको यकीन ना आ रहा हो, लेकिन यह पूरी तरह सच है. गया जिले में बसे इस गांव का नाम है बिहिआइन है. इस अनोखा गांव में तकरीबन 400 की आबादी है, लेकिन पूरा गांव निरामिष है.

300 साल से चली आ रही परंपरा: बिहार के गया के इस गांव में यह परंपरा पिछले कई सदियों से चली आ रही है. आज भी बुजुर्ग हो या युवा पीढ़ी, हर कोई इस परंपरा को निभाते हैं. यहां आने वाली बहू भी निरामिष हो जाती है. कहा जाता है कि ब्रह्म बाबा के कोप से बचने के लिए यह गांव 300 से अधिक सालों से मांसाहार का सेवन नहीं करते हैं.

बिहिआइन गांव का हर शख्स शाकाहारी (ETV Bharat)

पूरा गांव है वैष्णव : गया जिले के वजीरगंज प्रखंड अंतर्गत सकर दास नवादा पंचायत में पड़ता है. यहां 300 सालों से भी अधिक समय की परंपरा के बारे में जानकर हर कोई हैरान रह जाता है. इस गांव की प्रसिद्धी निरामिष वाले गांव के रूप में है, क्योंकि यहां के लोग किसी भी तरह के मांस का सेवन नहीं करते हैं. पूरा गांव शाकाहारी है.

गया का बिहिआइन गांव
गया का बिहिआइन गांव (ETV Bharat)

प्याज और लहसुन भी नहीं खाते: बिहिआइन गांव में शराब का सेवन भी कई सदियों से इस गांव में कोई नहीं करता. यहां तक की प्याज-लहसुन खाना भी वर्जित है. हालांकि अब कुछ युवा पीढ़ी ने प्याज लहसुन का सेवन करना शुरू किया है, लेकिन गांव के ज्यादातर घरों में आज भी प्याज-लहसुन तक लोग नहीं खाते हैं.

"ब्रह्मा बाबा के कारण हम लोग मांस, अंडा या मदिरा का सेवन नहीं करते हैं. प्याज-लहसुन आज भी कई घरों में नहीं डाला जाता है. ब्रह्मा बाबा हमारे गांव की रक्षा भी करते हैं. गांव में विपत्तियां नहीं आती. यह गांव खुशहाली रहता है. अकाल का असर भी हमारे गांव में नहीं देखा जाता." - रणविजय सिंह, ग्रामीण

गांव में राजपूत और यादव समाज के लोग रहते हैं: बिहिआइन गांव में तकरीबन 50 घर राजपूत समाज के हैं. इसके अलावा दर्जनों घर यादव जाति के हैं. कुल मिलाकर तकरीबन 400 से अधिक की आबादी है. यहां ब्रह्म स्थान विराजमान है. ब्रह्मस्थान में ब्रह्म बाबा हैं. ब्रह्म बाबा का पिंड तब से है, जब से यहां के लोग मांसाहार मदिरा का सेवन नहीं करने की परंपरा शुरू किए हैं.

बिहिआइन गांव की अनोखी कहानी
बिहिआइन गांव की अनोखी कहानी (ETV Bharat)

"ब्रह्मा बाबा के किस्से काफी दूर-दूर तक है. ब्रह्मा बाबा मन्नतों को पूरा करते हैं. यहां दूर-दूर से मन्नत मांगने लोग आते हैं. कष्टों से निपटारा को लेकर भी यहां आते हैं. यहां हम लोग सदियों से मीट, मांस, अंडा या मदिरा का सेवन नहीं कर रहे हैं. यहां राजपूत और यादव जाति के लोग रहते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है." -किशोरी सिंह, ग्रामीण

नाराज होते हैं ब्रह्म बाबा: बिहिआइन गांव का रहने वाला कोई भी व्यक्ति यदि बाहर दूसरे राज्यों में भी जाकर मांस का सेवन नहीं करता है. मांस के सेवन करने से ब्रह्म बाबा नाराज हो जाते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि यहां के रहने वाले लोग गांव में रहें या किसी और जगह पर उन्हें यहां की परंपरा का हर हाल में पालन करना होता है, जो पालन नहीं करते हैं उन्हें भुगतना पड़ता है.

गांव में ब्रह्म बाबा स्थान
गांव में ब्रह्म बाबा स्थान (ETV Bharat)

"हम लोग युवा हैं, लेकिन जो परंपरा चली आ रही है, उसे मानते हैं. हम लोग ब्रह्म बाबा को मानते हैं. उनके आशीर्वाद से हमारा गांव खुशहाल है. ब्रह्म बाबा के कोप से बचने के लिए हम लोग प्याज लहसुन तक वर्जित रखते हैं. मीट, मांस, अंडा या मदिरा का सवाल ही नहीं है. यदि कोई परंपरा को तोड़ता है तो उसे भुगतना पड़ता है. हमारा पूरा गांव वैष्णव है." - अमितेश प्रकाश उर्फ क्रांति सिंह, ग्रामीण

बहुएं भी हो जातीं है निरामिष: गांव में एक और खासियत यह भी है कि यहां आने वाली बहू को भी निरामिष होना पड़ता है. इसके बारे में गांव के लोग पहले ही दुल्हन के घर वालों को पूरी जानकारी देते हैं. इसके बाद ही यहां परंपरा को निभाने की शर्त पर शादियां होती है. यहां जो भी बहुएं आती हैं वह मांंस, अंडा का सेवन नहीं करती है. वहीं, यहां की बेटी दूसरी जगह ब्याही जाती है तो उसे निरामिष का पालन करना होता है.

बिहार के गया में है बिहिआइन गांव
बिहार के गया में है बिहिआइन गांव (ETV Bharat)

"बिहिआइन गांव में मांस मदिरा का सेवन नहीं होता है. यहां ब्रह्म बाबा की शक्ति है. गांव में मांस मदिरा खाने पीने वालों का बुरा हाल हो जाता है. किसी की भी हिम्मत नहीं है कि परंपरा को तोड़ सके. यहां ब्रह्म बाबा की पूजा के लिए मुझे पंडित के तौर पर रखा गया है. पिछले लंबे समय से यहां का पुजारी हूं. मुख्य रूप से जहानाबाद का रहने वाला हूं, लेकिन यहां ब्रह्म स्थान में पूजा करने के लिए गांव के लोगों ने स्पेशल तौर पर मुझे रखा है."- राजकुमार पांडे, पुजारी, ब्रह्म बाबा, मंदिर

क्या शाकाहारी गांव की कहानी: दरअसल, गांव में एकबार अखंड पूजा का आयोजन हो रहा था. वहीं दूसरी ओर मूसलाधार वर्षा शुरू हो गई. अखंड स्थल की ओर वर्षा गांव के लोगों के लिए चिंता का सबब बन गई. ऐसे में ब्रह्म बाबा ने चमत्कार दिखाया और सिर्फ यज्ञ स्थल के पास पानी नहीं हुई. वहीं, पूरे गांव में इस कदर मूसलाधार बारिश हुई की ठेहुने भर पानी जमा हो गया था. इस तरह के कई चमत्कार ब्रह्मा बाबा के हैं. ब्रह्म बाबा के कारण गांव में खुशहाली भी है. रोग दुख की पीड़ा, संतान, शादी विवाह के कष्टों को हरते हैं. यहां के लोग ब्रह्म बाबा को मानते हैं.

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Last Updated : 4 hours ago
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