ETV Bharat / state

जमानत मिलने के बाद भी जेल से नहीं छोड़ा, अब भरना होगा 1 लाख जुर्माना, पटना HC का बड़ा फैसला - PATNA HIGH COURT

पटना उच्च न्यायालय ने बेल मिलने के बाद भी जेल से रिहा नहीं करने पर बड़ा फैसला सुनाया है. 1 लाख का जुर्माना लगाया.

कॉसेप्ट फोटो.
कॉसेप्ट फोटो. (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 21, 2024, 10:29 PM IST

पटना : पटना हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही पर कारागार एवं सुधार सेवा विभाग पर एक लाख रुपये का आर्थिक दंड लगाया. इसके पूर्व कोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था. हलफनामा दायर कर कोर्ट को बताया गया कि दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई हैं. उन्हें निलंबित कर जवाब-तलब किया गया है.

दोषी कर्मियों से जुर्माना राशि की वसूला जाए : जस्टिस पीबी बजंथरी और जस्टिस एस बी प्रसाद सिंह की खंडपीठ ने राम निवास गुप्ता की ओर से दायर आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई की. मामले पर सुनवाई के दौरान कारागार एवं सुधार सेवा के महानिरीक्षक कोर्ट में उपस्थित थे. कोर्ट ने महानिरीक्षक को जुर्माना राशि की वसूली दोषी कर्मियों से करने की पूरी छूट दी. वहीं कोर्ट ने दोषी कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया छह माह के भीतर पूरा करने का आदेश दिया.

'एक ही प्रकार के आरोप लगा कर पांच केस' : आवेदक की ओर से अधिवक्ता अरुण कुमार ने कोर्ट को बताया कि कॉपी राइट को लेकर आवेदक के खिलाफ विभिन्न थानों में एक ही प्रकार के आरोप लगा कर पांच केस दर्ज कराया गया है. उनका कहना था कि तीन केस में जमानत मिलने के बाद जब जेल से छोड़ने के लिए कोर्ट से रिलीज आदेश जेल पर गया, तो जेल अधिकारियों ने उसे जेल से नहीं छोड़ा.

जमानत मिलने के बाद भी जेल से नहीं छोड़ा : उन्होंने कहा कि आवेदक के खिलाफ दो केस में बॉडी वारंट जारी हो चुका है, लेकिन उसे रिमांड पर नहीं लिया गया है. इस आधार पर उसे जेल से जमानत पर नहीं छोड़ा गया. वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कारागार एवं सुधार सेवा के महानिरीक्षक का बचाव करते हुए कहा कि जेल कर्मियों से गलती हुई है, लेकिन जेलकर्मी बॉडी वारंट को नजरअंदाज नहीं कर सकते. कर्मचारी आंख बंद कर किसी को जेल से नहीं छोड़ सकते.

चार सप्ताह के भीतर मुआवजा देने का आदेश : कोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मियों से गलती हुई है, जिस कारण आवेदक को बेवजह लम्बे समय तक जेल में रहना पड़ा. ऐसे में इस केस में कोई राहत नहीं दी जा सकती. बेवजह जेल में रखने पर मुआवजा देना होगा. कोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह के भीतर एक लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. साथ ही याचिका को निष्पादित कर दिया.

पटना : पटना हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही पर कारागार एवं सुधार सेवा विभाग पर एक लाख रुपये का आर्थिक दंड लगाया. इसके पूर्व कोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था. हलफनामा दायर कर कोर्ट को बताया गया कि दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई हैं. उन्हें निलंबित कर जवाब-तलब किया गया है.

दोषी कर्मियों से जुर्माना राशि की वसूला जाए : जस्टिस पीबी बजंथरी और जस्टिस एस बी प्रसाद सिंह की खंडपीठ ने राम निवास गुप्ता की ओर से दायर आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई की. मामले पर सुनवाई के दौरान कारागार एवं सुधार सेवा के महानिरीक्षक कोर्ट में उपस्थित थे. कोर्ट ने महानिरीक्षक को जुर्माना राशि की वसूली दोषी कर्मियों से करने की पूरी छूट दी. वहीं कोर्ट ने दोषी कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया छह माह के भीतर पूरा करने का आदेश दिया.

'एक ही प्रकार के आरोप लगा कर पांच केस' : आवेदक की ओर से अधिवक्ता अरुण कुमार ने कोर्ट को बताया कि कॉपी राइट को लेकर आवेदक के खिलाफ विभिन्न थानों में एक ही प्रकार के आरोप लगा कर पांच केस दर्ज कराया गया है. उनका कहना था कि तीन केस में जमानत मिलने के बाद जब जेल से छोड़ने के लिए कोर्ट से रिलीज आदेश जेल पर गया, तो जेल अधिकारियों ने उसे जेल से नहीं छोड़ा.

जमानत मिलने के बाद भी जेल से नहीं छोड़ा : उन्होंने कहा कि आवेदक के खिलाफ दो केस में बॉडी वारंट जारी हो चुका है, लेकिन उसे रिमांड पर नहीं लिया गया है. इस आधार पर उसे जेल से जमानत पर नहीं छोड़ा गया. वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कारागार एवं सुधार सेवा के महानिरीक्षक का बचाव करते हुए कहा कि जेल कर्मियों से गलती हुई है, लेकिन जेलकर्मी बॉडी वारंट को नजरअंदाज नहीं कर सकते. कर्मचारी आंख बंद कर किसी को जेल से नहीं छोड़ सकते.

चार सप्ताह के भीतर मुआवजा देने का आदेश : कोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मियों से गलती हुई है, जिस कारण आवेदक को बेवजह लम्बे समय तक जेल में रहना पड़ा. ऐसे में इस केस में कोई राहत नहीं दी जा सकती. बेवजह जेल में रखने पर मुआवजा देना होगा. कोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह के भीतर एक लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. साथ ही याचिका को निष्पादित कर दिया.

ये भी पढ़ें :-

फार्मेसी शिक्षकों को हाई कोर्ट से झटका, रिटायरमेंट की उम्र 67 करने की याचिका खारिज

भतीजी से दुष्कर्म के दोषी को पटना हाईकोर्ट से रिहाई, निचली अदालत के फैसले पर सवाल!

फतुहा CDPO पर HC ने लगाया 5 लाख का जुर्माना, जानिए क्या है वजह

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.