नवादा: बिहार के नवादा में एक गांव ऐसा है, जहां बिना आधार कार्ड दिखाए गांव में एंट्री नहीं की जा सकती है. यह कोई तुगलकी फरमान या कोई सरकारी आदेश नहीं है, बल्कि चोरी की लगातार घटना से परेशान ग्रामीणों ने फरमान जारी किया गया है. बता दें कि नवादा जिले के रोह प्रखंड अंतर्गत यह सुंदरा गांव है, जहां चोरी की घटना से भयभीत ग्रामीणों ने अब सुरक्षा की कमान खुद संभाल ली है.
बिना आधार कार्ड गांव में नो एंट्री: यहां प्रतिदिन रात में ग्रामीण सामूहिक रूप से न केवल पहरा दे रहे हैं,बल्कि देर रात गांव में प्रवेश करने वाले अनजान व्यक्ति का सबसे पहले वे आधार कार्ड देखते हैं. जब सारी जानकारी सही पाते हैं, इसके बाद ही गांव में घुसने देते हैं. स्थानीय गौतम कुमार ने बताया कि गांव के बसंत कुमार के घर 3 सितंबर की रात चोरी होने के बाद ग्रामीणों द्वारा बैठक की गई. गांव की सुरक्षा के लिए टीम बनाई गई.
"इसमें हर घर से एक व्यक्ति को शामिल किया गया है,जो रतजगा कर गांव में पहरा देंगे. इसके लिए सात दिनों के लिए कुल सात टीम बनाई गई है. ग्रामीण लाठी-डंडे, मोबाइल और टार्च से लैस हैं. इनके द्वारा गांव के गली, मोहल्ले, चौराहे, खलिहान में गश्त जारी है. अपरिचित और बाहरी लोगों की पहचान की पुष्टि होने पर ही उन्हें गांव में घुसने दिया जाता है."- गौतम कुमार, ग्रामीण, सुंदरा गांव
लाठी-डंडा से लैस होकर ग्रामीण देते हैं पहरा: ग्रामीण विकास कुमार, अरविंद कुमार, पप्पू , संजय कुमार, विवेक कुमार, किशोरी लाल, राकेश कुमार, मुन्नी प्रसाद ने बताया कि चोरी की घटना से परेशान होकर उन्हें ऐसा कदम उठाना पड़ा. इधर, मरूई पंचायत की मानपुर, जागीर और राजा विगहा में भी ग्रामीणों द्वारा रात में पहरा दिया जा रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि रविवार की रात्रि में संदिग्ध लोगों को घूमते देखा गया, जिसके बाद से ग्रामीणों ने टीम बनाकर रात में पहरा देना शुरू किया.
"गांव में चोरी घटना से हम सभी बहुत परेशान हैं. इससे बचाव के लिए ऐतिहातन हमने एक टीम बनायी है. यह टीम लाठी डंडा लेकर गांव की सीमा पर रात को पहरा दे रही है. अनजान व्यक्ति की एंट्री के पहले हमलोग अच्छे से छानबीन करते हैं."-विकास कुमार,ग्रामीण, सुंदरा गांव