झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / bharat

बीहड़ों में मानसून में भी जारी रहेगा जंगल वार, नक्सलियों के साथ-साथ सांप, बिच्छु और मच्छरों से भी हो रहा सामना - Naxal Operation in Monsoon

Anti Naxal Operation. मानसून का महीना जंगलों और बीहड़ों में पनाह लेने वाले नक्सलियों के लिए थोड़ा राहत भरा होता है, लेकिन इस बार मानसून भी नक्सलियों के लिए राहत लेकर नहीं आया है. सारंडा से लेकर पूरे ट्राई जंक्शन तक सुरक्षा बलों के द्वारा घनघोर बारिश में भी नक्सलियों के खिलाफ जोरदार अभियान जारी है. फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार नक्सलियों के साथ-साथ जवानों को सांप, बिच्छू और मच्छरों से भी निपटना पड़ रहा है.

Etv Bharat
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 16, 2024, 7:32 PM IST

Updated : Jul 16, 2024, 7:53 PM IST

रांची: नक्सल अभियान में लगे अफसरों और जवानों के लिए मानसून हमेशा एक बड़ी चुनौती बनकर आता है. झारखंड पुलिस के लिए इस वर्ष का मानसून बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले दो सालों में अथक प्रयास और अदम्य वीरता दिखाते हुए झारखंड पुलिस ने केंद्रीय बलों के साथ मिलकर बूढ़ा पहाड़, ट्राई जंक्शन, पारसनाथ और बुलबुल जैसे घोर नक्सल प्रभावित इलाकों से नक्सलियों को खदेड़ने में कामयाब हो पाई है.

मानसून के दौरान नक्सल विरोधी अभियान की चुनौतियां (ईटीवी भारत)

वहीं अब सारंडा जीत को लेकर भी अभियान जोरदार तरीके से चलाया जा रहा है. हालांकि यह भी सच है कि सारंडा जैसे इलाकों में मानसून के दौरान परिस्थितियां बिल्कुल विपरीत हो जाती हैं. इस विपरीत परिस्थिति का कहीं नक्सली फायदा ना उठा लें इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है. ऐसे में विषम परिस्थितियों के बावजूद इस बार के मानसून में भी कोल्हान और सारंडा के बीहड़ों में जवानों ने डेरा डाल दिया है.

इस मानसून में भी नक्सली से लेकर सांप, बिच्छू और मच्छर सुरक्षाबलों का इंतिहान लेंगे. झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल वी होमकर ने बताया कि मानूसन अभियान में एक बड़ी चुनौती है लेकिन इसका भी सामना करने के लिए पुलिस फोर्स पूरी तरह से तैयार है.

अब नक्सलियों को बीहड़ों से दूर रखने की चुनौती

बूढ़ा पहाड़, पारसनाथ, बुलबुल और ट्राई जंक्शन जैसे इलाके हैं जिसके बारे में कभी यह कहा जाता था कि यहां से नक्सलियों को भगाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. लेकिन पिछले तीन वर्षों के दौरान झारखंड पुलिस ने केंद्रीय बलों के साथ मिलकर ऐसा अभियान चलाया कि बूढ़ा पहाड़ से नक्सलियों की सल्तनत ही खत्म हो गई. कुछ ऐसा ही बुलबुल, पारसनाथ और ट्रांई जंक्शन में भी किया गया.

सारंडा के कुछ क्षेत्रों में नक्सली आईईडी बमों के सहारे टिके हुए हैं वहां भी ऑपरेशन क्लीन चलाया जा रहा है. आशंका है कि नक्सली दस्ते कोशिश करेंगे कि वे मानसून का फायदा उठा कर दोबारा अपने आसपास के इलाकों में सक्रिय हो. हालांकि यह बेहद मुश्किल भरा काम होगा नक्सलियों के लिए क्योंकि मानसून के दौरान बूढ़ा पहाड़ और सारंडा का टेरेन बेहद खतरनाक हो जाएगा. कमजोर हो चुके नक्सली इस खतरनाक टेरेन में शायद ही फंसे, लेकिन चूंकि नक्सलियों के पास भी मानसून एक बड़ा मौका होता है जब वे यहां से वहां जा सके.

विषम परिस्थितियों में करना होगा काम

अगले दो महीने जंगलों में रहने वाले सुरक्षाबलों के लिए परिस्थितियां बिल्कुल उलट होंगी. पूरे मानसून के दौरान इन इलाकों में जबरदस्त बारिश होती है. इस दौरान नदी नाले उफान पर रहते है. जिन्हें पार करना बेहद खतरनाक हो जाता है. कई-कई जगह तो लोगों का संपर्क भी दूसरे हिस्सों से कट जाता है क्योंकि पानी इतनी तेज बहाव से गुजरता है कि नदी नाले तक ढक जाते हैं या फिर टूट जाते हैं. सुरक्षा बलों के लिए वैसे नदी नालों का मरम्मत करवाया जाता है जिनके पुलिया पानी के तेज बहाव में बह जाते हैं.

मच्छर, सांप बिच्छू बनेंगे विलेन

मानसून के दौरान चलने वाले अभियान में नक्सलियों से ज्यादा खतरा सांप, बिच्छू और मच्छरों से होता है. मलेरिया की वजह से एक दर्जन से ज्यादा जवान अपनी जान झारखंड में गंवा चुके हैं. इस बार भी मानसून में परिस्थितियां बेहद कठिन होगी. इस दौरान मच्छरों का प्रकोप तो फैलता ही है. कदम-कदम पर सांप और बिच्छू नजर आते हैं. अक्सर मच्छरों के प्रकोप की वजह से झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों के जवान मलेरिया के साथ-साथ ब्रेन मलेरिया के भी शिकार होते हैं.

झारखंड जगुआर के सभी मारक दस्ते में दो-दो पारा मेडिकल कर्मी

झारखंड पुलिस के आइजी ऑपरेशन अमोल होमकर ने बताया कि नक्सल विरोधी अभियान में बरसात एक चुनौती जरूर है लेकिन बाधक नहीं है. इसका अभियान पर कोई असर नहीं होगा. सभी जवानों को जंगलों में होने वाली समस्या से संबंधित मेडिकल किट, मच्छरदानी, लोशन और उपकरण उपलब्ध करवाए गए हैं ताकि वे हर परिस्थिति से खुद को सुरक्षित रख सकें.

झारखंड जगुआर का असाल्ट ग्रुप और सीआरपीएफ पिकेट और कैम्प में तैनात है, जिन्हें मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अलग से प्रत्येक ग्रुप में दो-दो पारा मेडिकल कर्मी दिए गए हैं. हमारे जवान भी कमांडो जैसी ट्रेनिंग ले चुके हैं ऐसे में वे जंगली जानवर सहित सांप और बिच्छू से निपटने में भी माहिर हो चुके हैं.

ये भी पढ़ें-

नक्सलियों के गढ़ को ध्वस्त करने में सफल हुए सुरक्षाबल, अंतिम चरण में लड़ाई: हेमंत सोरेन

नक्सल विरोधी अभियान में अहम भूमिका निभाने वाले मुखबिरों को नहीं मिल रहा वेतन, फंड की कमी बनी वजह

Last Updated : Jul 16, 2024, 7:53 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details