हैदराबादः 8 जून को भारत में राष्ट्रीय नशा उन्मूलन दिवस (ड्रग डिस्ट्रक्शन डे) मनाया जाता है. चरस, गांजा, कोकीन, हेरोइन, एलएसडी, मॉर्फिन और अफीम जैसे नशीले पदार्थ भारत में आम जनता द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले अवैध पदार्थों में से हैं. इनका अक्सर इस्तेमाल नशा करने के लिए किया जाता है. यह दिन देश भर में नशीले पदार्थों के खिलाफ चल रहे युद्ध के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है, जिसमें हमारा समाज कई सालों से लगा हुआ है. ड्रग्सफ्री भारत हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए सबसे बड़ा तोहफा होगा.
हाल के वर्षों में तस्करों पर बढ़ा है शिकंजा
हमारा देश नशीले पदार्थों की पहचान और नशीले पदार्थों के नेटवर्क को नष्ट करके इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 2006 से 2013 की अवधि के दौरान दर्ज किए गए मामलों की संख्या 1257 थी, जो 2014-2023 के दौरान 3 गुना बढ़कर 3755 हो गई. गिरफ्तारियां 2006-13 की अवधि में 1363 से 4 गुना बढ़कर 2014-23 की अवधि में 5745 हो गईं.
हाल के वर्षों के दौरान जब्त की गई नशीली दवाओं की मात्रा दोगुनी होकर 3.95 लाख किलोग्राम हो गई. जबकि 2006-13 के दौरान 1.52 लाख किलोग्राम जब्त की गई थी. वर्तमान सरकार के दौरान जब्त की गई दवाओं की कीमत 2006-13 की अवधि में हासिल 768 करोड़ रुपये से 30 गुना बढ़कर 22,000 करोड़ रुपये हो गई.
गुजरात के तट पर फरवरी की शुरुआत में एक संयुक्त अभियान में भारतीय नौसेना और एनसीबी ने लगभग 3,300 किलोग्राम प्रतिबंधित पदार्थ ले जा रही एक संदिग्ध नाव को जब्त किया था. 1 जून 2022 से 15 जुलाई 2023 तक एनसीबी और राज्य मादक पदार्थ निरोधक कार्यबलों की सभी क्षेत्रीय इकाइयों ने लगभग 8,76,554 किलोग्राम जब्त की गई दवाओं को नष्ट कर दिया, जिनकी कीमत लगभग 9,580 करोड़ रुपये थी - जो लक्ष्य से 11 गुना अधिक है.
ड्रग्स, कानून और सजा
आजकल जब भी 'ड्रग्स' शब्द का इस्तेमाल होता है, तो हमारे दिमाग में 'नशा' आता है, लेकिन भारतीय इतिहास में भांग और चरस जैसी दवाओं का इस्तेमाल लंबे समय से औषधीय उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है. अब जब भारत में ड्रग्स का सकारात्मक इस्तेमाल किया जाता था, तो ड्रग्स के दुरुपयोग को किसने जन्म दिया? इसका जवाब पड़ोसी देशों, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान से मिलता है, जो गोल्डन क्रिसेंट बनाते हैं. गोल्डन क्रिसेंट अफ़ीम और हेरोइन जैसी दवाओं का सबसे बड़ा उत्पादक है, जो दुनिया में एकाधिकार बनाता है. इन तीन देशों से, ड्रग्स का एक बड़ा प्रवाह भारत में भारत-पाक सीमा के माध्यम से प्रवेश करता है. पंजाब में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के परिणाम दिखाई देते हैं. पूर्वी तरफ, हमारे पास म्यांमार (बर्मा), थाईलैंड और लोआस हैं जो गोल्डन ट्राइंगल बनाते हैं जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अफीम उत्पादक है. इन सभी देशों में अफीम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है.