जोधपुर.रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की जोधपुर रक्षा प्रयोगशाला द्वारा विकसित मध्यम दूरी के माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट टेक्नोलॉजी (एमआर-एमओसीआर) बुधवार को भारतीय नौ सेना को सौंप दी गई. इससे भारतीय नौ सेना के जहाज और एयरक्राफ्ट दुश्मन देशों के लड़ाकू विमानों के मिसाइल हमलों से बचे रहेंगे. भारत दुनिया में पहला ऐसा देश है कि जिसने ऑब्स्क्यूरेंट चैफ टेक्नोलॉजी विकसित की है. ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट राडार विकिरणें अवशोषित करता है जिससे ऑब्जेक्ट ही गायब हो जाता है. यानी की दुश्मन देश का रडार किसी ऑब्जेक्ट के होने का संकेत का इंतजार करता रहेगा. उसकी स्क्रीन से ऑब्जेक्ट गायब हो जाएगा. यह तकनीक 2021 में विकसित चैफ रॉकेट प्रणाली का उत्तम रूप है. नई तकनीक का दो अलग चरणों में अरब सागर में परीक्षण किया गया. जबकि अमेरिका और चीन अभी इस पर शोध कर रहे हैं.
इस तरह से अलग ऑब्स्क्यूरेंट चैफ टेक्नोलॉजी : डीआरडीओ जोधपुर के वैज्ञानिकों ने विशिष्ट फाइबर्स की मदद से ऑब्स्क्यूरेंट चैफ टेक्नोलॉजी तैयार की है. इसमें छोटे छोटे रॉकेट हैं जो खतरे के समय नौ सेना के जहाज से फायर करने होंगे. आकाश में फाइबर्स एक तरह की अदृश्य ढाल तैयार कर लेंगे. दुश्मन देशों के लड़ाकू विमान के राडार से आने वाली किरणों को ये फाइबर्स अवशोषित कर लेंगे जिससे लड़ाकू विमानों को पता नहीं चलेगा कि नौ सेना जहाज की वास्तविक स्थिति क्या है. इससे हमला करना संभव नहीं होगा.