ETV Bharat / bharat

कोचिंग फैकल्टी पिता ने पढ़ाया मैथ्स, बेटा अर्णव बन गया JEE MAIN टॉपर, बोले- नहीं दिया था कोई टारगेट - JEE MAIN RESULT 2025

जेईई मेन 2025 में अर्णव सिंह ने भी 100 परसेंटाइल हासिल की है. ईटीवी भारत ने अर्णव से खास बातचीत की.

100 परसेंटाइल में शामिल अर्णव सिंह
100 परसेंटाइल में शामिल अर्णव सिंह (ETV Bharat Kota)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 12, 2025, 1:27 PM IST

कोटा : जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम मेन (JEE MAIN 2025) के जनवरी सेशन के परिणाम में कोटा से कोचिंग कर रहे अर्णव सिंह भी 100 परसेंटाइल के क्लब में शामिल हुए हैं. उनके पिता कोटा में ही एक निजी कोचिंग के फैकल्टी हैं और अर्णव को मैथ्स पढ़ा रहे हैं. उनके पिता का कहना है कि उन्होंने अर्णव को कोई टारगेट नहीं दिया था, लेकिन तैयारी काफी अच्छी और मजबूत ढंग से करवाई थी. अगर वह 100 परसेंटाइल के क्लब में शामिल भी नहीं होता तब भी उन्हें कोई गम नहीं था, क्योंकि तैयारी में अर्णव ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी.

अर्णव का कहना है कि काफी अच्छा लग रहा है. 10वीं से आईआईटी एंट्रेस की लिए तैयारी शुरू की थी. अब पहले पड़ाव जेईई मेन में 300 से 295 और 100 परसेंटाइल देखकर सभी को खुशी हुई है. लोगों का मुझे फोन आया, मुझे काफी अच्छा लगा. पहले जब वह मध्य प्रदेश के भोपाल में पढ़ रहे थे, छोटी क्लास थी, लेकिन तब भी कोचिंग ले रहे थे, तब कोचिंग इतनी महत्वपूर्ण नहीं थी. कोटा में आने के बाद कोचिंग और स्कूल को बैलेंस करना पड़ता है. सुबह स्कूल और दोपहर में कोचिंग यहां पर कर रहे हैं. कोचिंग में काफी टाइम इन्वेस्ट होता है, इसलिए बोर्ड की एग्जाम की तैयारी करने के लिए भी काफी एफर्ट देना पड़ता है.

ईटीवी भारत ने अर्णव से खास बातचीत की. (ETV Bharat Kota)

इसे भी पढे़ं. JEE MAIN 2025 : मां ने बेटे के लिए छोड़ी जॉब, पिता ने कराया ट्रांसफर, अब ओम प्रकाश ने बनाया परफेक्ट स्कोर

साल भर की तैयारी ज्यादा महत्वपूर्ण : अर्णव के पिता अजीत सिंह का कहना है कि बच्चों से उम्मीद करना गलत है, बच्चों को तैयार करना ज्यादा सही है. बच्चों से कहें कि वह तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ें, क्योंकि रिजल्ट तो अंतिम प्रोडक्ट होगा. रिजल्ट से आप डिस्टर्ब हो रहे हैं तो आपकी तैयारी में कमियां हैं. अर्णव, उनका छोटा बेटा आर्यन और वे तीनों घर में क्रिकेट भी खेलते हैं. यह रोज का रुटीन है, हमने बच्चों को यह सिखाया है कि सामने कौन सा एग्जाम आ रहा है, उसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है. उसकी तैयारी पहले से अच्छी करके रखें. साल भर की तैयारी ज्यादा महत्वपूर्ण रहती है. इसमें बच्चे ने मेहनत की है तो फिर सफलता निश्चित मिलेगी. आपकी तैयारी ही आपको विजेता बनाती है. आज के दिन में ही जीना है, कल का टेंशन नहीं लेना चाहिए और इसी फलसफे से हम जी रहे हैं.

नहीं किया था 100 परसेंटाइल का प्लान : अजीत सिंह का यह भी कहना है कि पेपर के पहले भी उनकी बात होती थी तो यही बोलता था कि अच्छी तैयारी रखें, मेंटली कूल रहें, जो भी परिणाम आएगा मंजूर होगा. जब अर्णव एग्जाम देकर बाहर आया था तब उसने कहा था कि पेपर अच्छा गया है. उसने बताया कि एक क्वेश्चन पर उसे डाउट है. इसके बाद जब फाइनल आंसर की आई तब उसने कहा कि मेरा एक क्वेश्चन गलत हो गया है और 295 बन रहे हैं. तब भी 100 परसेंटाइल का इंतजार किया. रिजल्ट में यह हो भी गया. हालांकि, 100 परसेंटाइल का प्लान पहले नहीं किया था.

इसे भी पढे़ं. NTA ने जारी किया रिजल्ट, राजस्थान के पांच कैंडिडेट सहित 14 Candidates के आए 100 परसेंटाइल

स्वस्थ रहे और अच्छा इंसान बने, यही कोशिश: अजीत सिंह का कहना है कि अभी बच्चों से उम्मीद नहीं करनी चाहिए, बच्चा अपने आप अच्छा कर लेगा. अभी लाइफ शुरू हुई है. यह तो केवल एंट्रेंस एग्जाम है. आगे बीटेक के लिए कॉलेज में जाना है, चार साल की डिग्री करनी है. इसके बाद समझ आएगा की लाइफ में क्या करना है. परिवार की कोशिश यही रहेगी कि बच्चा स्वस्थ रहे और अच्छा इंसान बने. हालांकि, इस तरह का रिजल्ट आएगा, तो हर पिता अपने आप पर गर्व महसूस करेगा.

डाउट क्लियर करने पर पूरा जोर : अर्णव का कहना है कि फिलहाल भविष्य को लेकर कोई प्लान नहीं है. मैथ्स में काफी इंटरेस्ट है. ओलंपियाड में कैंप लेवल तक जा चुका हूं. आईआईटी बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस में बीटेक करना प्राथमिकता है, जिसके लिए जेईई एडवांस्ड क्रैक करना है. अर्णव का कहना है वो रोज क्लास के बाद होमवर्क को गंभीरता से पूरा करते हैं. होमवर्क से प्रैक्टिस होने के साथ-साथ डाउट्स भी सामने आते हैं. आप जितने ज्यादा डाउट्स क्लियर करेंगे, उतनी ही टॉपिक पर आपकी पकड़ मजबूत होगी. अर्णव रोजाना 10-12 घंटे स्टडी करते हैं. इस दौरान उनके पिता भी डाउट्स क्लियर कराते हैं. उनके पहले 10वीं कक्षा में 97 प्रतिशत आए थे.

इसे भी पढे़ं. कोटा के बदौलत इस बार राजस्थान टॉपर, पेपर पैटर्न के बदलाव से 100 परसेंटाइल भी कम हुए

यह है कोटा और दूसरे शहरों में अंतर: अजीत सिंह का कहना है कि कोटा और दूसरे शहरों में पढ़ाई का माहौल अलग है. यहां स्टूडेंट्स के बीच कंपटीशन से पियर या प्रेशर ग्रुप बनता है. अर्णव के बेस्ट फ्रेंड राजित, सक्षम और ओम तीनों ही 100 परसेंटाइल लेकर आए हैं. इस तरह का फ्रेंड सर्कल भारत के किसी कोने में नहीं मिलेगा. कोटा ही एक ऐसा शहर है जहां पर 24 घंटे और सातों दिन एजुकेशन पर ही फोकस होकर काम होता है.

बता दें कि अर्णव सिंह का परिवार मूल रूप से बिहार निवासी है, लेकिन उनका जन्म पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में हुआ. इसके बाद में निचली कक्षाओं में महाराष्ट्र के नागपुर में पढ़े. बाद में मध्य प्रदेश के भोपाल और साल 2019 से कोटा में पढ़ रहे हैं. उनके पिता अजीत सिंह कोटा के एक कोचिंग में 2018 से फैकल्टी हैं. अर्णव का छोटा भाई आर्यन अभी दसवीं में पढ़ रहा है और मां नेहा भारती हाउसवाइफ हैं.

कोटा : जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम मेन (JEE MAIN 2025) के जनवरी सेशन के परिणाम में कोटा से कोचिंग कर रहे अर्णव सिंह भी 100 परसेंटाइल के क्लब में शामिल हुए हैं. उनके पिता कोटा में ही एक निजी कोचिंग के फैकल्टी हैं और अर्णव को मैथ्स पढ़ा रहे हैं. उनके पिता का कहना है कि उन्होंने अर्णव को कोई टारगेट नहीं दिया था, लेकिन तैयारी काफी अच्छी और मजबूत ढंग से करवाई थी. अगर वह 100 परसेंटाइल के क्लब में शामिल भी नहीं होता तब भी उन्हें कोई गम नहीं था, क्योंकि तैयारी में अर्णव ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी.

अर्णव का कहना है कि काफी अच्छा लग रहा है. 10वीं से आईआईटी एंट्रेस की लिए तैयारी शुरू की थी. अब पहले पड़ाव जेईई मेन में 300 से 295 और 100 परसेंटाइल देखकर सभी को खुशी हुई है. लोगों का मुझे फोन आया, मुझे काफी अच्छा लगा. पहले जब वह मध्य प्रदेश के भोपाल में पढ़ रहे थे, छोटी क्लास थी, लेकिन तब भी कोचिंग ले रहे थे, तब कोचिंग इतनी महत्वपूर्ण नहीं थी. कोटा में आने के बाद कोचिंग और स्कूल को बैलेंस करना पड़ता है. सुबह स्कूल और दोपहर में कोचिंग यहां पर कर रहे हैं. कोचिंग में काफी टाइम इन्वेस्ट होता है, इसलिए बोर्ड की एग्जाम की तैयारी करने के लिए भी काफी एफर्ट देना पड़ता है.

ईटीवी भारत ने अर्णव से खास बातचीत की. (ETV Bharat Kota)

इसे भी पढे़ं. JEE MAIN 2025 : मां ने बेटे के लिए छोड़ी जॉब, पिता ने कराया ट्रांसफर, अब ओम प्रकाश ने बनाया परफेक्ट स्कोर

साल भर की तैयारी ज्यादा महत्वपूर्ण : अर्णव के पिता अजीत सिंह का कहना है कि बच्चों से उम्मीद करना गलत है, बच्चों को तैयार करना ज्यादा सही है. बच्चों से कहें कि वह तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ें, क्योंकि रिजल्ट तो अंतिम प्रोडक्ट होगा. रिजल्ट से आप डिस्टर्ब हो रहे हैं तो आपकी तैयारी में कमियां हैं. अर्णव, उनका छोटा बेटा आर्यन और वे तीनों घर में क्रिकेट भी खेलते हैं. यह रोज का रुटीन है, हमने बच्चों को यह सिखाया है कि सामने कौन सा एग्जाम आ रहा है, उसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है. उसकी तैयारी पहले से अच्छी करके रखें. साल भर की तैयारी ज्यादा महत्वपूर्ण रहती है. इसमें बच्चे ने मेहनत की है तो फिर सफलता निश्चित मिलेगी. आपकी तैयारी ही आपको विजेता बनाती है. आज के दिन में ही जीना है, कल का टेंशन नहीं लेना चाहिए और इसी फलसफे से हम जी रहे हैं.

नहीं किया था 100 परसेंटाइल का प्लान : अजीत सिंह का यह भी कहना है कि पेपर के पहले भी उनकी बात होती थी तो यही बोलता था कि अच्छी तैयारी रखें, मेंटली कूल रहें, जो भी परिणाम आएगा मंजूर होगा. जब अर्णव एग्जाम देकर बाहर आया था तब उसने कहा था कि पेपर अच्छा गया है. उसने बताया कि एक क्वेश्चन पर उसे डाउट है. इसके बाद जब फाइनल आंसर की आई तब उसने कहा कि मेरा एक क्वेश्चन गलत हो गया है और 295 बन रहे हैं. तब भी 100 परसेंटाइल का इंतजार किया. रिजल्ट में यह हो भी गया. हालांकि, 100 परसेंटाइल का प्लान पहले नहीं किया था.

इसे भी पढे़ं. NTA ने जारी किया रिजल्ट, राजस्थान के पांच कैंडिडेट सहित 14 Candidates के आए 100 परसेंटाइल

स्वस्थ रहे और अच्छा इंसान बने, यही कोशिश: अजीत सिंह का कहना है कि अभी बच्चों से उम्मीद नहीं करनी चाहिए, बच्चा अपने आप अच्छा कर लेगा. अभी लाइफ शुरू हुई है. यह तो केवल एंट्रेंस एग्जाम है. आगे बीटेक के लिए कॉलेज में जाना है, चार साल की डिग्री करनी है. इसके बाद समझ आएगा की लाइफ में क्या करना है. परिवार की कोशिश यही रहेगी कि बच्चा स्वस्थ रहे और अच्छा इंसान बने. हालांकि, इस तरह का रिजल्ट आएगा, तो हर पिता अपने आप पर गर्व महसूस करेगा.

डाउट क्लियर करने पर पूरा जोर : अर्णव का कहना है कि फिलहाल भविष्य को लेकर कोई प्लान नहीं है. मैथ्स में काफी इंटरेस्ट है. ओलंपियाड में कैंप लेवल तक जा चुका हूं. आईआईटी बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस में बीटेक करना प्राथमिकता है, जिसके लिए जेईई एडवांस्ड क्रैक करना है. अर्णव का कहना है वो रोज क्लास के बाद होमवर्क को गंभीरता से पूरा करते हैं. होमवर्क से प्रैक्टिस होने के साथ-साथ डाउट्स भी सामने आते हैं. आप जितने ज्यादा डाउट्स क्लियर करेंगे, उतनी ही टॉपिक पर आपकी पकड़ मजबूत होगी. अर्णव रोजाना 10-12 घंटे स्टडी करते हैं. इस दौरान उनके पिता भी डाउट्स क्लियर कराते हैं. उनके पहले 10वीं कक्षा में 97 प्रतिशत आए थे.

इसे भी पढे़ं. कोटा के बदौलत इस बार राजस्थान टॉपर, पेपर पैटर्न के बदलाव से 100 परसेंटाइल भी कम हुए

यह है कोटा और दूसरे शहरों में अंतर: अजीत सिंह का कहना है कि कोटा और दूसरे शहरों में पढ़ाई का माहौल अलग है. यहां स्टूडेंट्स के बीच कंपटीशन से पियर या प्रेशर ग्रुप बनता है. अर्णव के बेस्ट फ्रेंड राजित, सक्षम और ओम तीनों ही 100 परसेंटाइल लेकर आए हैं. इस तरह का फ्रेंड सर्कल भारत के किसी कोने में नहीं मिलेगा. कोटा ही एक ऐसा शहर है जहां पर 24 घंटे और सातों दिन एजुकेशन पर ही फोकस होकर काम होता है.

बता दें कि अर्णव सिंह का परिवार मूल रूप से बिहार निवासी है, लेकिन उनका जन्म पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में हुआ. इसके बाद में निचली कक्षाओं में महाराष्ट्र के नागपुर में पढ़े. बाद में मध्य प्रदेश के भोपाल और साल 2019 से कोटा में पढ़ रहे हैं. उनके पिता अजीत सिंह कोटा के एक कोचिंग में 2018 से फैकल्टी हैं. अर्णव का छोटा भाई आर्यन अभी दसवीं में पढ़ रहा है और मां नेहा भारती हाउसवाइफ हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.