चंडीगढ़: लोकसभा चुनाव को लेकर हरियाणा में इस बार मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है. एक तरफ बीजेपी 2019 की तरह सभी दस सीटें जीतने का दावा कर रही है. दूसरी तरफ कांग्रेस बीजेपी को इतिहास बनाने से रोकने के लिए पसीना बहा रही है. इस बीच कांग्रेस के लिए अपनों से खतरा ज्यादा बना हुआ है. हालांकि बीजेपी भी इससे अछूती नहीं है.
दस में से करीब पांच सीट पर कांग्रेस को अपनों से खतरा! लोकसभा चुनाव में हरियाणा कांग्रेस को कुछ सीटों पर अपनों से ही भीतरघात का डर बना हुआ है. इसमें सबसे बड़ी भीतरघात वाली सीट हिसार लोकसभा क्षेत्र की है. जहां पर बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए चौधरी बीरेंद्र सिंह का परिवार है. उन्हें उम्मीद थी कि कांग्रेस उनके बेटे बृजेंद्र को हिसार से टिकट देगी, लेकिन उनकी जगह कांग्रेस ने जयप्रकाश को टिकट दिया है. इसके बाद बृजेंद्र सिंह का टिकट ना मिलने का दर्द मीडिया के सामने आ चुका है. इसकी वजह से हिसार सीट पर पार्टी के लिए उनका रुख चिंता का सबब बन सकता है.
भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट: दूसरी सीट भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट है. यहां पर पार्टी ने वरिष्ठ नेता किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को टिकट ना देकर राव दान सिंह को उम्मीदवार बनाया है. जिसके बाद किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी का टिकट ना मिलने का दर्द मीडिया के सामने आया. हालांकि वे खुलकर पार्टी के खिलाफ नहीं बोलीं. वे पार्टी के साथ होने की बात तो कर रही हैं, लेकिन पार्टी को उनसे भी भितरघात का खतरा बना हुआ है.
फरीदाबाद लोकसभा सीट: तीसरी सीट फरीदाबाद की है. जहां पर पार्टी ने महेंद्र प्रताप सिंह को मैदान में उतारा है. यहां से टिकट की उम्मीद कर रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता और हुड्डा के समधी करण दलाल अपना मुखर रूप दिखा चुके हैं. हालांकि वे टिकट न मिलने के बाद महापंचायत कर अपना रुख भी साफ कर चुके हैं. वो आगे क्या करेंगे. इसका भी इंतजार है. वहीं उनके रुख की वजह से फरीदाबाद लोकसभा सीट पर भी पार्टी को भितरघात का खतरा बना हुआ है.
गुरुग्राम लोकसभा सीट: चौथी सीट गुरुग्राम है. यहां पर पार्टी ने राज बब्बर को मैदान में उतारा है. इस सीट पर पार्टी के वरिष्ठ नेता कैप्टन अजय यादव दावेदारी पेश कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने राज बब्बर को मैदान में उतार दिया. कैप्टन राज बब्बर को टिकट मिलने से पहले भी इस मामले में अपना रिएक्शन सोशल मीडिया के जरिए जाहिर कर चुके थे. वहीं उन्होंने रेवाड़ी में गुरुवार अपने कार्यकर्ताओं की बैठक भी बुलाई थी. जिसमें वो खुद तो शामिल नहीं हुए, लेकिन उनके बेटे चिरंजीवी यादव इस बैठक में मौजूद रहे. जिसमें उन्होंने कहा कि वो राज बब्बर का साथ देंगे. भले ही राज बब्बर का साथ देने की बात कर रहे हों, लेकिन अजय यादव खुद इस बैठक में नहीं पहुंचे थे. जो कहीं ना कहीं पार्टी के लिए चिंता का सबब जरूर बन सकते हैं.
करनाल लोकसभा सीट: पांचवी सीट करनाल लोकसभा है. जहां से पार्टी के वरिष्ठ नेता कुलदीप शर्मा के बेटे चाणक्य पंडित दावेदार थे. पार्टी के राष्ट्रीय सचिव वीरेंद्र राठौर भी दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने टिकट टूथ कांग्रेस के अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा को दे दिया. इसके बाद अब कांग्रेस को भितरघात का खतरा इस सीट पर भी बना हुआ है.
बीजेपी की भी राह नहीं आसान! ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के लिए ही भितरघात का खतरा बना हुआ है. बीजेपी के लिए भी अपने नेताओं की नाराजगी के साथ किसानों की तरफ से हो रहा विरोध परेशानी का सबब बना हुआ है. बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चिंता हिसार सीट बनी हुई है. भले ही पार्टी का कोई भी नेता कोई बयान पार्टी विरोधी ना दे रहा हो, लेकिन इस सीट पर चुनाव लड़ने की चाह रखने वाले कैप्टन अभिमन्यु पार्टी के लिए अभी तक पहेली बने हुए हैं.