कानपुर :दोस्तों के साथ गंगा में नहाने गए स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर उन्नाव के नानामऊ घाट पर डूब गए थे. घटना शनिवार की है. 5 दिनों की तलाश के बावजूद उनका पता नहीं चल पाया है. आज छठवें दिन भी सर्च अभियान जारी है. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिविल पुलिस, गोताखोरों की करीब 100 लोगों की टीम नदी का चप्पा-चप्पा छान रही है. नौसेना के गोताखोर भी लगाए गए हैं. ड्रोन का भी सहारा लिया जा रहा है. वहीं एनडीआरएफ के गोताखोरों ने आशंका जताई है कि डिप्टी डायरेक्टर को या तो जानवर खा गए या वह बहकर कहीं कटान की मिट्टी में दब गए. पीएसी के जवानों ने भी ऐसी की आशंका जताई है. इससे परिवार के लोगों की उम्मीद टूटती नजर आ रही है. पांचवें दिन घाट पर परिवार का कोई सदस्य नहीं पहुंचा. वहीं अब करीब 65 किमी के दायरे में तलाश की जा रही है. पहले यह दायरा 30 किमी ही था,
डिप्टी डायरेक्टर का पता न चलने के कई कारण :गोताखोरों के अनुसार आम तौर पानी में डूबकर अगर किसी की मौत होती है तो 24 घंटे में बॉडी फूलकर ऊपर आ जाती है. अगर डिप्टी डायरेक्टर की मौत हुई है तो ऐसा ही होना चाहिए था, लेकिन कुछ पता नहीं चल रहा है. हो सकता है कि डिप्टी डायरेक्टर डूबन के बाद रेत में दब गए हो. काफी ज्यादा मात्रा में रेत उनके ऊपर आ गई हो, इससे वह ऊपर नहीं आ पाए. कई जगहों पर गंगा किनारों पर कटान भी कर रही है. वह इसकी मिट्टी में भी दबे हो सकते हैं. कोई जानवर भी खा सकता है. डीसीपी वेस्ट राजेश कुमार सिंह के अनुसार ड्रोन के जरिए भी तलाश की गई, लेकिन पता नहीं चल पाया. नानमऊ घाट, शिवराजपुर से कानपुर तक तलाशा गया लेकिन पता नहीं चला.
एसडीएमबिल्हौर रश्मि लांबा ने बताया कि गंगा का जलस्तर गिरा है. डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन जिस स्थान पर डूबे थे वहां की ड्रेजिंग (तल से मलबा हटाने की प्रक्रिया) भी कराई जा सकती है. बिठूर से लेकर गंगा बैराज तक एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिविल पुलिस, गोताखोरों की टीम ने एक बार फिर से सुबह से ही सर्च अभियान शुरू कर दिया है. बीच धारा से लेकर गंगा की लहरों के साथ ही किनारों पर झाड़ियों की भी कांबिंग कराई जा रही है. टीमों ने आदित्यवर्धन को तलाशने में पूरा जोर लगा दिया है.
परिजन घाट पर डटे :वाराणसी में स्वास्थ्य विभाग में उपनिदेशक आदित्य वर्धन शनिवार की सुबह बिल्हौर के नाना मऊ घाट पर डूब गए थे. उनके परिजन लगातार कानपुर आ रहे हैं. सोमवार को ऑस्ट्रेलिया से उनके पिता रमेश सिंह, मां शशि प्रभा कानपुर आ गए थे. उनके चचेरे भाई बिहार सीएम के सचिव अनुपम सिंह लगातार तीन दिनों से नाना मऊ घाट पर ही बैठे हैं. कानपुर के जिला प्रशासन के अफसर से भी अनुपम सिंह संपर्क बनाए हुए हैं. परिजनों का कहना है कि जब तक आदित्य वर्धन का कुछ पता नहीं लगता कब तक वह कानपुर में ही मौजूद रहेंगे. मौजूदा समय में आदित्य वर्धन की बहन प्रज्ञा व गुड़िया, मां शशि प्रभा, पिता रमेश सिंह समेत कई अन्य परिजन मौजूद हैं.
गंगा की लहरों में कैसे समा गए तैराक आदित्य वर्धन :बताया जा रहा है कि डिप्टी डायरेक्टर अच्छे तैराक माने जाते हैं. उन्हें तैरीकी में खुद पर पूरा भरोसा था. घाट पर नहाने आए उनके साथ के लोग भी इसे लेकर बेफिक्र थे. घाट के किनारे डिप्टी डायरेक्टर पास के मंदिर में सेवारत पवन उपाध्याय समेत अन्य के साथ वहां पहुंचे थे. पवन नहाकर बाहर निकल आए थे. डिप्टी डायरेक्टर जब डूबने लगे तो उन्होंने चेताया लेकिन उनके साथ आए लोगों ने समझा कि वह तैर रहे हैं. तैराक भला कैसे डूब सकता है, इसी अति आत्मविश्वास और गलतफहमी में डिप्टी डायरेक्टर डूब गए.