नई दिल्ली.दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बार फिर किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का पर्दाफाश किया है. क्राइम ब्रांच की टीम ने इस मामले में आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया है जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट चला रहे थे. यह पूरा रैकेट फर्जी दस्तावेजों के आधार पर देश के 5 राज्यों- दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, एमपी और गुजरात में स्थित अस्पतालों में चलाया जा रहा था.
क्राइम ब्रांच की ओर से की प्रेस कॉन्फ्रेंस (SOURCE: ETV BHARAT) दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश कर मामले में 8 आरोपियों की गिरफ्तारी करने के बाद इसमें आगे की जांच भी शुरू कर दी है. इस रैकेट में और लोगों की संलिप्तता होने की संभावनाओं को भी तलाशा जा रहा है. इस पूरे मामले को लेकर क्राइम ब्रांच की ओर से प्रेस कांफ्रेंस की गई है. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कैसे ये पूरा रैकेट चलाया जाता था.
कैसे पकड़ा गया रैकेट
क्राइम ब्रांच ने बताया कि इस सिंडिकेट का भंडाफोड़ के एक महिला की शिकायत के बाद हुआ जिसके पति से किडनी ट्रांसप्लांट के नाम पर 35 लाख रुपए ठग लिए गए थे. गैंग दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात में सक्रिय था. डीसीपी अमित गोयल ने बताया कि आईएससी, क्राइम ब्रांच को एक सुसंगठित रैकेट के बारे में गुप्त सूचना मिली थी जोकि भारतीय नागरिकों के अवैध किडनी प्रत्यारोपण में शामिल है. इस सूचना को पुख्ता किय गया और सिंडिकेट का पता लगाने पर काम किया गया. पीड़ितों की पहचान के दौरान, एक महिला शिकायतकर्ता ने संदीप और विजय कुमार कश्यप उर्फ सुमित के खिलाफ शिकायत दी कि उन्होंने किडनी प्रत्यारोपण के बहाने उसके पति से ₹35,00,000/- की धोखाधड़ी की है.
प्रेस कांफ्रेंस की 11 बड़ी बातें (ETV Bharat) 26 जून को टेक्निकल सर्विलांस की मदद से संबंधित पात्रों की पहचान की गई और एसीपी/आईएससी इंस्पेक्टर रमेश लांबा और सत्येंद्र मोहन की समग्र देखरेख और इंस्पेक्टर पवन और महिपाल के नेतृत्व में टीम गठित की गई और कई जगहों पर टीमों ने छापेमारी की. आरोपी सुमित उर्फ विजय कश्यप जोकि लखनऊ का रहने वाला है, उसको नोएडा से गिरफ्तार किया गया और उसके कब्जे से बहुत सारे फर्जी कागजात, स्टांप सील और रोगी/दाता फाइलें बरामद की गईं. इसके बाद संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया. इसके 28 जनू को, संदीप आर्य और देवेंद्र दोनों जोकि उत्तराखंड के रहने वाले हैं, इन दोनों को गोवा के एक फाइव स्टार होटल से गिरफ्तार किया गया.
क्राइम ब्रांच ने बताया कि इसके सरगना समेत कुल 15 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है जोकि इस पूरे गोरखधंधे का संचालन कर रहा था. इन सभी में किंगपिन के साथ अस्पतालों के ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर, मरीज और डोनर्स शामिल हैं. आरोपी व्यक्तियों के कब्जे से स्टांप, विभिन्न प्राधिकरणों की मुहर, विभिन्न अस्पतालों और प्रयोगशालाओं के खाली कागजात, मरीजों और किडनी प्रत्यारोपण के डोनर्स के जाली दस्तावेजों की फाइलें और अन्य महत्वपूर्ण जाली आईडी दस्तावेजों सहित बहुत सी आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई हैं. इनके पास से पुलिस ने 34 नकली टिकटें, 17 मोबाइल फोन, 2 लैपटॉप, 9 सिम, 1 लग्जरी कार, ₹1,50,000, जाली दस्तावेज और मरीजों/रेसीपिएंट्स और डोनर्स की फाइलें बरामद की हैं.
अस्पतालों में ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर के रूप में पहले जॉब हासिल करते थे मेंबर
पूछताछ के दौरान पता चला कि इस गिरोह के मैंबर पहले जाने माने अस्पतालों में ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर के रूप में जॉब हासिल करते थे और फिर किडनी प्रत्यारोपण के लिए संबंधित अस्पताल की ओर से अपनाई जाने वाली प्रक्रिया की ट्रेनिंग लेकर उसको सीखते थे. इसके बाद वे दिल्ली, फरीदाबाद, मोहाली, पंचकुला, आगरा, इंदौर और गुजरात के विभिन्न अस्पतालों में किडनी की बीमारी से पीड़ित और इलाज करा रहे मरीजों की पहचान करते थे.
किडनी देने को डोनर को देते थे 5 से 6 लाख रुपए
उनमें से कई आरोपी सोशल मीडिया के जरिए किडनी डोनर की तलाश करते थे. इनमें जिन आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनमें से तीन ऐसे हैं जोकि खुद किडनी डोनेट कर चुके हैं. आरोपी व्यक्ति सोशल मीडिया से डोनर्स से संपर्क साधने का काम करते थे और उनकी खराब वित्तीय बैकग्राउंड का फायदा उठाते थे और किडनी देने के लिए 5 से 6 लाख रुपये देने के बहाने उनका शोषण करते थे.
इतने अस्पताल संदेह के घेरे में
उन्होंने मरीज़ों/डोनर्स को करीबी रिश्तेदार दिखाने के लिए उनके जाली दस्तावेज़ तैयार किए क्योंकि यह अनिवार्य प्रावधानों में से एक है. कुछ मामलों में, उन्होंने फर्जी दस्तावेज़ बनाए और किसी भी संदेह से बचने के लिए डोनर और मरीज को दूसरे राज्य के अस्पताल में ट्रांसप्लांट कराने के लिए दूसरे राज्य के निवासी के रूप में दिखाते थे. जाली दस्तावेजों के आधार पर, उनकी प्रारंभिक चिकित्सा जांच की जाती थी और विभिन्न अस्पतालों में प्रत्यारोपण प्राधिकरण समिति की जांच में उत्तीर्ण होने की व्यवस्था भी की जाती थी. अब तक यह बात सामने आई है कि सिंडिकेट ने अलग-अलग राज्यों के 11 अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट के सफल ऑपरेशन किए हैं.
किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले 5 मरीजों और 2 डोनर्स की पहचान
आगे की जांच के दौरान, उनके निशानदेही/पहचान पर 5 सहयोगियों जिनमें पुनित कुमार, मोहम्मद हनीफ शेख, चीका प्रशांत, तेज प्रकाश और रोहित खन्ना उर्फ नरेंद्र प्रमुख रूप से शामिल हैं, उनको अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा, किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले 5 मरीजों और 2 डोनर्स की पहचान की गई है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है. अब तक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट के 34 मामले पहचाने जा चुके हैं और आगे भी जांच जारी है.
प्वाइंट्स में जानिए- प्रेस काफ्रेंस में क्या दी गई जानकारी
- सोशल मीडिया के माध्यम से डोनर से करते थे संपर्क, आरोपी रोहित 122 ग्रुप में जुड़ा हुआ था
- किडनी रैकेट का मुख्य आरोपी संदीप आर्य, जो 7 साथियों के साथ रैकेट को चला रहा था
- 5 मरीज और दो किडनी डोनर की पहचान कर ली गई है
- भारी मात्रा में नकली स्टैंप, सील भी बरामद हुई है जिनका इस्तेमाल फर्जी कागज बनाने के लिए किया जाता था
- एक महिला ने शिकायत की थी, संदीप आर्या मास्टरमाइंड ने महिला के पति की किडनी ट्रांसप्लांट कराने के लिए 35 लाख रुपये लिए थे
- महिला की शिकायत पर क्राइम ब्रांच ने जांच की
- जिसमें संदीप और उसके साथ सुमित के बारे में जानकारी हाथ लगी
- सुमित की निशानदेही पर संदीप और देवेंद्र को गोवा से ट्रेस किया गया
- पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो मालूम चला पूरा एक नेटवर्क चलाया जा रहा है
- इसमें 3-4 लोग पुनीत, चीका ट्रांसप्लांट कॉरडिनेटर का काम किया करते थे
- पुनीत नकली दस्तावेज बनाने का काम करता था, अस्पताल में ट्रांस्प्लांट कॉर्डिनेटर का भी काम करता था, 50 हजार से 1 लाख रुपये लेता था
- चीका प्रशांत, हनीफ शेख, और तेज प्रकाश मरीज लेकर आते थे या डोनर लेकर आते थे
- इस पूरे रैकेट में सुमित, चीका और हनीफ खुद भी किडनी डोनर रह चुके हैं, इन तीनों ने पहले पैसों के लिए किडनी डोनेट की थी
- आरोपी चीका को नकली कागजात के जरिए अस्पताल में नौकरी भी दिलवाई गई, ये हर केस का एक लाख रुपया लेता था
- सुमित डोनर के ग्रूमिंग का काम भी करता था, 50 हजार रुपये हर केस के लिए लेता था
- संदीप आर्या हर केस का 35 से 40 लाख रुपये लेता था, जिसमें से 7-8 लाख ये बचा लेता था
- जो मरीज लेकर आते थे वो हर केस का 5 लाख रुपये लेते थे, डोनर से एक लाख रुपये लिये जाते थे
- डोनर को 4 से 5 लाख रुपये दिए जाते थे
- 11 अस्पताल में 34 किडनी ट्रांसप्लांट करा चुके हैं.
- 5 राज्यों से इनका कनेक्शन जुड़ा है
- दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, एमपी और गुजरात में किडनी ट्रांसप्लांट कराए गए
- किसी अस्पताल का कोई रोल नहीं मिला
- होमवर्क करके जाते थे आरोपी, फिर पेपर्स में करते थे गड़बड़ी
- फोटो असली व्यक्ति की होती थी, लेकिन डिटेल किसी और व्यक्ति की
- इस गैंग का बांग्लादेश से कोई संबंध नहीं
- अस्पतालों की भूमिका की भी हो रही जांच
- आरोपी खुद ही फर्जी कागज़ात तैयार करते थे
क्या इंटरनेशनल किडनी रैकेट का बांग्लादेश कनेक्शन?
बता दें कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पिछले दिनों 9 जुलाई को एक इंटरनेशनल किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भी भंडाफोड़ किया था जिसमें ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट एक किडनी डोनर से 4 से 5 लाख रुपए में किडनी लेते थे और रिसीवर को 20 से 30 लाख रुपए में देते थे. इसमें जाने-माने अस्पतालों की एक महिला डॉक्टर समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में गिरफ्तार लोगों के तार बांग्लादेश से जुड़े हुए थे. यह इंटरनेशनल रैकेट भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किडनी रैकेट चला रहा था और बताया गया था कि यह पूरा रैकेट नोएडा के एक निजी अस्पताल में करीब 15 से 16 किडनी ट्रांसप्लांट भी 2021 और 2023 के बीच में कर चुका था.
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