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टेरर फंडिंग के आरोपी सांसद इंजीनियर रशीद ने हाईकोर्ट से जमानत याचिका वापस ली - RASHID WITHDRAWS PLEA FROM HC

दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी कोर्ट से जम्मू-कश्मीर के सांसद राशिद इंजीनियर द्वारा दायर जमानत याचिका पर शीघ्र निर्णय लेने को कहा है.

सांसद इंजीनियर रशीद ने हाईकोर्ट से जमानत याचिका वापस ली
सांसद इंजीनियर रशीद ने हाईकोर्ट से जमानत याचिका वापस ली (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 24, 2025, 8:30 PM IST

नई दिल्ली: टेरर फंडिंग मामले के आरोपी और सांसद इंजीनियर रशीद ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल जमानत याचिका वापस ले ली है. हाईकोर्ट ने पटियाला हाउस कोर्ट के स्पेशल एनआईए कोर्ट (NIA Special Court) को निर्देश दिया कि वो इंजीनियर रशीद की जमानत याचिका पर जितना जल्द हो सके सुनवाई कर फैसला करें.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की ओर से मिले स्पष्टीकरण के बाद दिल्ली हाईकोर्ट की रजिस्ट्री ने बताया था कि पटियाला हाउस कोर्ट का स्पेशल एनआईए कोर्ट इंजीनियर रशीद के खिलाफ दर्ज मामले की सुनवाई कर सकता है. हाईकोर्ट ने रशीद को संसद सत्र में हिस्सा लेने के लिए कस्टडी पेरोल पर रिहा करने की अनुमति दी थी. उसके बाद रशीद ने संसद सत्र में हिस्सा लिया था.

इंजीनियर रशीद को कब गिरफ्तार किया गया था: पटियाला हाउस कोर्ट ने रशीद इंजीनियर को जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए अक्टूबर 2024 तक अंतरिम जमानत दी थी. उसके बाद से कोर्ट ने रशीद इंजीनियर की दो बार अंतरिम जमानत बढ़ाई थी. रशीद इंजीनियर ने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की है. रशीद इंजीनियर को 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था.

क्या है पूरा मामला: पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को कोर्ट ने हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, रशीद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था. एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया. 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई.

क्या है आरोप: एनआईए के मुताबिक हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया. इस धन का उपयोग उन्होंने घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का लिए किया. इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा और यूएपीए की धारा के तहत केस दर्ज किया था.

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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की ओर से मिले स्पष्टीकरण के बाद दिल्ली हाईकोर्ट की रजिस्ट्री ने बताया था कि पटियाला हाउस कोर्ट का स्पेशल एनआईए कोर्ट इंजीनियर रशीद के खिलाफ दर्ज मामले की सुनवाई कर सकता है. हाईकोर्ट ने रशीद को संसद सत्र में हिस्सा लेने के लिए कस्टडी पेरोल पर रिहा करने की अनुमति दी थी. उसके बाद रशीद ने संसद सत्र में हिस्सा लिया था.

इंजीनियर रशीद को कब गिरफ्तार किया गया था: पटियाला हाउस कोर्ट ने रशीद इंजीनियर को जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए अक्टूबर 2024 तक अंतरिम जमानत दी थी. उसके बाद से कोर्ट ने रशीद इंजीनियर की दो बार अंतरिम जमानत बढ़ाई थी. रशीद इंजीनियर ने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की है. रशीद इंजीनियर को 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था.

क्या है पूरा मामला: पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को कोर्ट ने हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, रशीद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था. एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया. 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई.

क्या है आरोप: एनआईए के मुताबिक हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया. इस धन का उपयोग उन्होंने घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का लिए किया. इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा और यूएपीए की धारा के तहत केस दर्ज किया था.

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