नई दिल्ली: दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को 1984 सिख विरोधी दंगों से जुड़े पुलबंगश गुरुद्वारा हिंसा मामले में जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दे दिया. अब कांग्रेस नेता टाइटलर को भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 149,153A,188, 109, 295,, 380, 302 के तहत आरोपों का सामना करना पड़ेगा.
स्पेशल जज राकेश स्याल ने कहा कि टाइटलर के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं. एक गवाह ने पहले आरोप पत्र में प्रस्तुत किया था कि टाइटलर 1 नवंबर, 1984 को गुरुद्वारा पुल बंगश के सामने एक सफेद एंबेसडर कार से बाहर आया और "सिखों को मार डालो, उन्होंने हमारी मां को मार डाला है" कहकर भीड़ को उकसाया, जिसके बाद तीन लोग मारे गए.
अदालत ने कई अपराधों के लिए आरोप तय करने का आदेश दिया, जिसमें गैरकानूनी रूप से एकत्र होना, दंगा करना, विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, घर में जबरन घुसना और चोरी शामिल है. अदालत ने औपचारिक रूप से आरोप तय करने के लिए मामले को 13 सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया है.
19 जुलाई को कोर्ट ने सुरक्षित रख लिया था फैसलाः 19 जुलाई को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. इससे पहले सुनवाई के दौरान टाइटलर के वकील मनु शर्मा ने कहा था कि सीबीआई ने इस मामले में दो क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी. 2009 में सह-आरोपी सुरेश कुमार पानेवाला के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी, जिसे ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया. शर्मा ने कहा कि 1984 से 2022-23 तक इस मामले में कोई गवाह नहीं था. इतने लंबे समय बाद बनाए गए गवाहों पर भरोसा कैसे किया जा सकता है. मनु शर्मा ने जगदीश टाइटलर को इस मामले से बरी करने की भी मांग की थी.
वहीं, जगदीश टाइटलर की ओर से गुरपतवंत पन्नू का नाम लेते हुए कहा गया था, चूंकि पन्नू गवाहों का वकील था और उसे भारत ने आतंकवादी घोषित कर रखा था, ऐसे में जगदीश टाइटलर के खिलाफ केस चलाने का कोई मतलब नहीं है. उसे बरी किया जाना चाहिए.
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16 अप्रैल को पूरी हो गई थीं दलीलें:इस मामले में सीबीआई ने 16 अप्रैल को आरोप तय करने पर दलीलें पूरी कर ली थी. वहीं 4 अगस्त, 2023 को राऊज एवेन्यू कोर्ट की सेशंस कोर्ट ने जगदीश टाइटलर को अग्रिम जमानत दी थी. कोर्ट ने 26 जुलाई, 2023 को जगदीश टाइटलर के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. सीबीआई ने इस मामले में टाइटलर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 109 और 302 के तहत लगाया है.
बता दें, जगदीश टाइटलर पर आरोप है कि उन्होंने लोगों को हमले के लिए उकसाया था, जिसके बाद भीड़ ने पुलबंगश गुरुद्वारे में आग लगा दी थी. साथ ही वह दंगा कराने वाली भीड़ का हिस्सा थे. साथ ही उन्होंने विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को भी बढ़ावा दिया.
क्या है पुलबंगश गुरुद्वारा हिंसाःअक्टूबर 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगों में तकरीबन 3000 सिख दंगाइयों के हाथों मारे गए थे. 1 नवंबर 1984 को उत्तरी दिल्ली के पुलबंगश गुरुद्वारा के पास तीन सिखों की हत्या हुई थी, जिसमें टाइटलर पर भड़काऊ भाषण देने और भीड़ की अगुवाई करने के आरोप अब तय हुआ है. हालांकि, इसी मामले में 29 सितंबर 2007 को सीबीआई ने क्लोज़र रिपोर्ट दायर कर दी थी, जिससे टाइटलर को बड़ी राहत मिली थी. सीबीआई की इस रिपोर्ट में कहा गया था कि 1 नवंबर 1984 को पुलबंगश में हुए दंगे के दौरान टाइटलर मौके पर मौजूद नहीं थे.
सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जगदीश टाइलटर उस वक्त स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निवास तीन मूर्ति भवन में थे. उसी रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा था कि इस मामले का मुख्य गवाह जसबीर सिंह लापता है और वो नहीं मिल रहा है. लेकिन कैलिफोर्निया में रह रहे जसबीर सिंह को जब यह सूचना मिली तो उन्होंने कहा सीबीआई ने कभी उससे पूछताछ ही नहीं की. इसके बाद कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए मामले की फिर से जांच करने का निर्देश दिया था. कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने कुल छह गवाहों के बयान दर्ज किए इसमें जसबीर सिंह भी शामिल था. तब सीबीआई ने कैलिफोर्निया जाकर जसबीर सिंह का बयान दर्ज किया था.
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