चेन्नई: महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए शुक्रवार 10 जनवरी को तमिलनाडु विधानसभा में दो संशोधन विधेयक पेश किए गए. विधानसभा में भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम 1998 में संशोधन पेश किए गए. उपरोक्त दोनों अधिनियमों में संशोधन किया गया और तमिलनाडु आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 2025 और महिला उत्पीड़न रोकथाम संशोधन अधिनियम, 2025 में अधिकतम दंड जोड़ा गया.
उम्रकैद का प्रावधानः भारतीय न्याय संहिता की धारा-64 (1) में संशोधन कर कम से कम 14 वर्ष का कठोर कारावास किया गया है, जबकि यौन उत्पीड़न के लिए सजा 10 वर्ष से कम नहीं थी. वहीं, अगर दोषी की सजा आजीवन कारावास तक बढ़ा दी जाती है, तो उसे स्वाभाविक रूप से मृत्यु होने तक जेल में रहना होगा. धारा 65 (2) - अगर 12 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ यौन हिंसा की जाती है, तो अपराधी को कम से कम 20 वर्ष का कठोर कारावास या आजीवन कारावास, वर्तमान में आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी.
जुर्माना और मौत की सजा: धारा 70 (2) - 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ सामूहिक यौन अपराध आजीवन कारावास या एक अवधि के लिए जुर्माना और मौत की सजा से दंडनीय होगा. धारा 71 - बार-बार यौन अपराध मृत्युदंड या आजीवन कारावास से दंडनीय है. धारा 72 (1) - यौन घटना में पीड़िता की पहचान का खुलासा करने पर कम से कम तीन साल की कैद और अधिकतम पांच साल की सजा हो सकती है. धारा 77 - यौन इरादे से पीछा करने के अपराध के लिए सजा दो साल या पांच साल तक होगी. संशोधन अधिनियम की कुछ धाराओं के तहत दर्ज मामलों में आरोपी को जमानत नहीं मिल सकती.