दतिया:बेटी बोझ नहीं वरदान हैं. ये केवल एक नारा नहीं बल्कि समाज में बदलाव करने का बेटियां संदेश भी दे रही हैं. दतिया जिले की एक बेटी मंजेश बघेल ने अपनी दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं बल्कि अपनी ताकत बनाया और कभी हार नहीं मानी. मुंह से कलम पकड़कर स्कूली शिक्षा से लेकर ग्रेजुएशन और फिर बीएड की पढ़ाई की. अब मंजेश सरकारी शिक्षक बनना चाहती हैं ताकि अपने साथ माता-पिता और बहन का भरण पोषण कर सकें.
हौसला और जज्बा किसी से कम नहीं
दतिया जिले के थरेट के छपरा गांव की रहने वाली मंजेश दिव्यांग हैं लेकिन उनका हौसला और जज्बा किसी से कम नहीं है. मंजेश ने कभी भी अपनी शारीरिक दिव्यांगता अपने हौसले पर हावी नहीं होने दी. मंजेश ने बताया कि मेरा सपना है कि "मैं पढ़ लिखकर एक शिक्षक बनूं. जिससे हम समाज में भी जागृति ला सकें और अपने जैसे बच्चों के लिए एक मिसाल पेश कर सकें. ऐसे में कभी भी कोई बच्चा अपने हालातों को देख अपनी शिक्षा से दूर न रह सके."