देहरादून (उत्तराखंड):धामी सरकार का बहुप्रतीक्षित यूसीसी बिल आज विधानसभा में पेश कर दिया हैं.उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी विधेयक 2024 सदन में टेबल किया. जैसे ही सीएम धामी ने यूसीसी विधेयक 2024 पेश किया, विपक्ष ने इतना हंगामा किया कि सदन की कार्यवाही आगे सुचारू नहीं की जा सकी. हंगामे को देखते हुए स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने विधानसभा की कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी. दोपहर 2 बजे दोबारा से सदन की कार्यवाही शुरू हुई. फिर यूसीसी विधेयक पर चर्चा शुरू की गई. हालांकि शाम को सदन की कार्यवाही आज सुबह 11 बजे तक लिए स्थगित कर दी गई है.
सीएम धामी ने सदन में पेश किया यूसीसी विधेयक 2024:सीएम धामी के यूसीसी विधेयक 2024 करते समय सदन मेंवंदे मातरम के नारे गूंजने लगे. उधर विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने विधानसभा सदन की कार्यवाही दोपहर 2 तक के लिए स्थगित कर दी. इसके साथ ही विधायकों को यूसीसी विधेयक पढ़ने के लिए दोपहर 2 बजे तक का समय दिया गया. दोपहर 2 बजे फिर से सदन की कार्यवाही शुरू हो गई.
यह विधेयक पूरे उत्तराखंड और राज्य के उन लोगों पर भी लागू होता है जो इसके क्षेत्रों से बाहर रहते हैं. हालांकि, अनुसूचित जनजातियों को विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है. विधेयक में कहा गया है, "इस संहिता में निहित कोई भी बात किसी भी अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर लागू नहीं होगी.'' इसके साथ ही जनसंख्या नियंत्रण को भी बाहर रखा गया है. वहीं, बिल में महिलाओं और बच्चों पर खास फोकस रखा गया है. समान नागरिक संहिता विधेयक में शादी, तलाक, उत्तराधिकार, संपत्ति का अधिकार, विरासत और गोद लेना जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक विषयों को मुख्य रूप में ध्यान में रखा गया है.
समान नागरिक संहिता विधेयक में शामिल प्रमुख बिंदू-
- शादी के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी.
- सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य होगी जबकि लड़के की उम्र 21 वर्ष रखी गई है.
- अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं होगा.
- विवाह के समय दोनों ओर से, न तो वर की ओर से जीवित पत्नी हो और न वधु की ओर से जीवित पति हो.
- बहूविवाह गैरकानूनी:एक पति/पत्नी का नियम सभी धर्मों पर लागू होगा.
- पति-पत्नी को तलाक लेने का समान हक. तलाक के लिए सभी धर्मों का एक कानून.
- तलाक के बाद भरण पोषण का एक नियम बनाया गया है.
- बच्चा गोद लेने के लिए भी सभी धर्मों के लिए एक कानून मान्य होगा.
- संपत्ति बंटवारे में लड़की का समान अधिकार रहेगा और ये सभी धर्मों में लागू होगा.
- लिव-इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी. रजिस्ट्रेशन न करवाने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान.
- प्रदेश की जनजातियों को इस कानून से बाहर रखा गया है.