गया : कहते हैं इतिहास खुद को दोहराता है. 33 साल पहले गया में जिस उम्मीदवार ने जीतन राम मांझी को हराया था, तीन दशक बाद उसी प्रत्याशी के बेटे से फिर जीतन राम मांझी का मुकाबला हो रहा है. हम बात कर रहे हैं NDA प्रत्याशी जीतन राम मांझी और INDIA गठबंधन के प्रत्याशी कुमार सर्वजीत की. कुमार सर्वजीत के पिता ने 33 साल पहले मांझी को करारी शिकस्त दी थी. एक बार फिर वही जंग देखने को मिलेगी. जिससे मुकाबला रोचक होता दिख रहा है.
सर्वजीत के पिता से हारे थे जीतन राम मांझी: 1991 में जीतन मांझी को पिता राजेश कुमार ने हराया था. अब 33 साल बाद बेटे से मुकाबला हो रहा है. ऐसे में गया का चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है. तीन दशक पहले राजेश कुमार से जीतनराम मांझी का मुकाबला हुआ था. उस दौरान राजेश ने चुनावी मैदान में मांझी को करारी शिकस्त दी थी. एक बार फिर समय का चक्का घूमा और अब उनके बेटे मांझी को 2024 के संग्राम में टक्कर दे रहे हैं. सर्वजीत के सामने मांझी भी मजबूती से खड़े हैं.
33 साल बाद मांझी का बदला होगा पूरा?: चुनावी अखाड़े में कई पूर्व सांसद अपने धुर विरोधी रहने वाले प्रत्याशी के खिलाफ वोट मांगने के लिए निकले हुए हैं. कई पूर्व सांसद पहले की सियासी टक्कर को भूलकर समर्थन करने के लिए उतरे हुए हैं. इस सीट के लिए लड़ाई कांटे की मानी जा रही है, लेकिन चुनावी अखाड़े में जो स्थिति दिख रही है, उसमें यह भी देखा जा रहा है, कि कई पूर्व सांसद अपने धुर विरोधी रहने वाले प्रत्याशी के खिलाफ ही वोट मांगने को निकल रहे हैं.
2019 के चुनावी नतीजे: इस बार एनडीए की ओर से हम के जीतन राम मांझी प्रत्याशी है. जीतन राम मांझी अब तक लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज नहीं कर सके हैं. तीन बार वे लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. अब चौथी दफा मैदान में है. ऐसे में जीतन मांझी कई प्रत्याशियों से पूर्व के लोकसभा चुनाव में हार चुके हैं, यानि आमने-सामने की लड़ाई में थे. 2019 और 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में उनके सामने जीत दर्ज करने वाले विजय मांझी और हरि मांझी थे.
जो धुर विरोधी वही लगाएंगे मांझी की नैया पार: 2014 के लोकसभा चुनाव में जीतन राम मांझी के खिलाफ राजद की ओर से रामजी मांझी भी अखाड़े में थे. उन्हें इस चुनाव में दूसरा नंबर मिला था. तीसरे नंबर पर 2014 के चुनाव में जीतन राम मांझी रहे थे. अब राम जी मांझी भाजपा में है. वहीं, 2019 के निवर्तमान सांसद विजय कुमार मांझी हैं, जो कि जदयू के सांसद हैं और 2019 के लोकसभा चुनाव में विजयी रहे थे. वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के हरि मांझी जीते थे. विजय मांझी और हरि मांझी दोनों ने जीतन राम मांझी हार का स्वाद चखा चुके हैं.
धुर विरोधी ही कर रहे प्रचार : इस बार स्थिति काफी बदली दिख रही है. धुर विरोधी ही जीतन राम मांझी को जीत दिलाने के लिए एड़ी चोटी की मेहनत कर रहे हैं. बात करें तो निवर्तमान सांसद विजय कुमार मांझी एनडीए प्रत्याशी जीतन राम मांझी को जीत दिलाने के लिए मैदान में निकल रहे हैं और उनके समर्थन में वोट मांग रहे हैं. इसी प्रकार भाजपा के पूर्व सांसद हरि मांझी भी जीतन राम मांझी के लिए जुटे हुए हैं.
बीजेपी के पूर्व सांसदों ने कसी कमर: अब भाजपा में रहे राम जी मांझी भी जीतन मांझी के लिए एड़ी चोटी एक करते दिख रहे हैं. ये पूर्व सांसद सभा व मंच पर भी मौजूद हो रहे और जीतन राम मांझी को जीत दिलाने के लिए प्रयास में जुटे हुए हैं. राम जी मांझ़ी 1999 में गया के सांसद थे बने थे, तब वे भाजपा में थे.
सियासत का दिख रहा अजीबो गरीब रूप : इस तरह गया लोकसभा चुनाव की राजनीतिक सियासत का वर्तमान में अजीबोगरीब रूप भी देखने को मिल रहा है, क्योंकि धुर विरोधी अब अपने पुराने प्रतिद्वंदी को जीत दिलाने के लिए कमर कस चुके हैं. इस तरह कहा जा सकता है कि जंग और राजनीति में सब जायज है. जंग और राजनीति में 'सब कुछ जायज' का आईना लोकसभा चुनाव में देखा जा सकता है.
2019 में जीते थे विजय मांझी : 2019 में विजय कुमार मांझी एनडीए प्रत्याशी थे. उन्होंने जदयू के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और 4.67 लाख वोट लाकर जीतन राम मांझी को हराया था. जीतन राम मांझी को 3.14 लाख वोट मिले थे. इस प्रकार 2014 के लोकसभा चुनाव में हरि मांझी भाजपा उम्मीदवार को को 3.26 लाख वोट मिले थे और जीत दर्ज की थी. वहीं, राजद प्रत्याशी राम जी मांझी को 2.10 लाख वोट मिले थे. जीतन राम मांझी को सिर्फ एक लाख 31 हजार वोट ही प्राप्त हुए थे. 1999 में राम जी मांझी भाजपा से सांसद बने थे.
गया में जोर आजमाइश : फिलहाल लोकसभा चुनाव 2024 में राजनीतिक सरगर्मी अब बढी है और बिहार के गया लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करने के लिए एनडीए और इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. एक ओर कुमार सर्वजीत जोर आजमाइश कर रहे हैं. वहीं, धुर विरोधी कई पूर्व सांसद एनडीए से हम प्रत्याशी जीतन राम मांझी के समर्थन में जुटे दिख रहे हैं.
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