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पंडित अजॉय चक्रवर्ती ने खोला यादों का पिटारा, बोले- जाकिर हुसैन ने सिखाया, कैसे करें कलाकारों की इज्जत - PANDIT AJOY CHAKRABORTY INTERVIEW

भारत के प्रसिद्ध संगीतकार तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन हो गया है. उनके निधन से संगीत जगत में शोक की लहर है. वहीं ग्वालियर में चल रहे तानसेन समारोह में संगीतकार पंडित अजॉय चक्रबर्ती ने ईटीवी भारत से जाकिर हुसैन को लेकर कुछ बातें शेयर की है.

PANDIT AJOY CHAKRABORTY INTERVIEW
पंडित अजॉय चक्रवर्ती ने खोला यादव का पिटारा (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 16, 2024, 7:32 PM IST

Updated : Dec 16, 2024, 8:53 PM IST

ग्वालियर (पीयूष श्रीवास्तव):भारत के प्रसिद्ध संगीतकार जिन्हें तबला वादन का पर्याय माना गया, वो उस्ताद जाकिर हुसैन इस दुनिया को अलविदा कह गए. उनके निधन से संगीत जगत में शोक की लहर है. उस्ताद जाकिर हुसैन से जुड़ी यादें तानसेन समारोह में शामिल होने ग्वालियर आए उनके साथी व प्रसिद्ध भरतीय शास्त्रीय संगीतकार पंडित अजॉय चक्रबर्ती ने ईटीवी भारत संवाददाता पीयूष श्रीवास्तव से साझा की.

वाह उस्ताद... ये शब्द सुनकर आपके जहन में भी उस्ताद जाकिर हुसैन की तस्वीर आ गई होगी, लेकिन अपनी तबले की थाप और संगीत का लोहा मनवा चुके जाकिर हुसैन साहब अब इस दुनिया में नहीं हैं. जिन्होंने तबले को जीवंत कर दिया, उन उस्ताद जाकिर हुसैन की उंगलियां अब थम गई है. सोमवार सुबह उनके इंतकाल की खबर आई है. जिसके बाद से ही संगीत जगत वेदना से भर गया है. जाकिर हुसैन साहब को अपना बड़ा भाई मानने वाले हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार पंडित अजॉय चक्रबर्ती भी उनके करीबियों में से एक रहे हैं. जिन्होंने ना जाने कितने टूर साथ किए. देश के कई शहरों में साथ परफॉर्म किया, लेकिन इस तरह अचानक उनके चले जाने पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं.

तानसेन समारोह में आने वाले थे जाकिर हुसैन

ग्वालियर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय तानसेन संगीत समारोह में शामिल होने आए पंडित अजॉय चक्रवर्ती ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहते हैं कि, जाकिर हुसैन पहले तानसेन समारोह में आ चुके थे. इस बार भी उनका आना तय था, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी समस्या के चलते उन्होंने अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए थे. अगर बात स्वास्थ्य की नहीं होती तो वे जरूर आते.

पंडित अजॉय चक्रवर्ती से ईटीवी भारत ने की बात (ETV Bharat)

'उन्हें मेरी परवाह थी, लेकिन ख़ुद बेपरवाह रहे'

पंडित अजॉय चक्रबर्ती बताते हैं कि "करीब 6 साल पहले उस्ताद जाकिर हुसैन साहब के हार्ट में स्टेंट डाले गए थे, लेकिन यह अस्थायी व्यवस्था है. स्टेंट थोड़े समय के बाद ब्लॉक हो जाते हैं और जाकिर भाई बहुत ही व्यस्त कलाकार थे. ऐसा भी होता था की एक दिन लॉस एंजलिस दूसरे दिन दिल्ली और तीसरे दिन सैन फ्रांसिस्को में परफॉर्म किया. उन्हें परवाह नहीं थी, लेकिन शरीर हर स्टेंट को हर वक्त ग्रहण नहीं करता. ये दुनिया का नियम है, लेकिन दिल में पड़ने वाले स्टेंट की नियमित जांच करायी जाती है, जो उन्होंने शायद नहीं कराई.

जब मई महीने में मेरी सर्जरी हुई, तो उन्होंने दुआएं भेजी, लेकिन जब खुद को उन्हें जरूरत पड़ी तो नहीं कर पाए, शायद डर की वजह से, ऐसा होता है कभी कभी कलाकार सर्जरी में डर जाते हैं. अगर नहीं डरते तो शायद 15-20 वर्ष और ऐसे ही बजाते. हम कह नहीं सकते क्योंकि यह सब उपरवाले के हाथ में है." उन्होंने कहा आने वाले और 50 वर्षों तक उनका तबला लोगों को प्रेरित करे."

दिल्ली के किस्से ने दी बड़ी सीख

उस्ताद जाकिर हुसैन को याद करते हुए उन्होंने यादों के कुछ पन्ने पलटे तो एक किस्सा याद आया. उन्होंने उसका जिक्र करते हुए बताया की, अक्सर वे जाकिर साहब के साथ म्यूजिक कंसर्ट के लिए टूर करते थे. देशभर में जाते थे. कई दफा मध्य प्रदेश भी आए. एक बार दिल्ली में आईटीसी संगीत सम्मेलन कार्यक्रम था. वे दोनों वहां थे, अचानक जाकिर हुसैन ने कहा कि-"मुझे जरा यहां आजर्णा घराने के तबलिये से मिलना है, वो यहीं रहता है." हमने पूछा कहां तो बोले- "यहीं मेरठ के पास, यहां से सात मील दूर, मैं उनसे मिलने जाऊंगा." उन्होंने बताया की वह कलाकार भी तबला बजाते थे, लेकिन उनमें जमीन असमान का अंतर था, लेकिन वे फिर भी गए.

तबलिए को खुद नजराना देने चले गए थे दिल्ली से दूर

जाकिर साहब खुद गाड़ी चलाते थे. उनके पास वोल्वो गाड़ी थी, जो उनकी प्रिय थी. दोनों साथ में उनके घर पहुंचे, वो जाकिर हुसैन को देखकर ही ताज्जुब में था कि ये कहां से आ गये, तो जाकिर साहब ने कहा कि "आप इतने बड़े घराने के कलाकार हैं. मैं आपको थोड़ा नजराना देने आया हूं." इसके बाद उन्होंने 5 हजार रुपये हाथ पर दिए तो वह तबलिये इतना खुश हुए कि जाकिर हुसैन ने घर आकर उन्हें नजराना दिया.

पंडित अजॉय चक्रबर्ती ने कहा की "इस दृश्य में मैंने देखा की ऐसे भी कलाकार को इज्जत करना पड़ती है. ये हमारे लिए भी सीख थी. इसके बाद उन्होंने भी इस बात से प्रेरित होकर कलाकारों की हौसला अफजाई शुरू की.

'संगीत को विषय नहीं जीवन बनाया'

पंडित अजॉय चक्रबर्ती ने उस्ताद जाकिर हुसैन के भारतीय संगीत में योगदान पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि, जाकिर हुसैन एक बड़ी हस्ती के घर पैदा हुए अल्लाह रक्खा खान साहब, जिन्होंने जिंदगी भर रविशंकर जी के साथ तबला बजाया. तो जिनकी शुरूआत ही अल्लाह रक्खा खां साहब और रविशंकर महाराज के साथ होती है, तो उनके सोच विचार क्या होंगे. यह हर किसी के नसीब की बात नहीं है. उन्होंने तबला किसी विषय की तरह नहीं बल्कि जिंदगी के पाठ की तरह सीखा, जो संगीत में हमेशा होना चाहिए. संगीत में सांस लेना चाहिए, संगीत को खाना चाहिए और संगीत में डूब जाना चाहिए तब जाकर बड़ा कलाकार बनता है.

याद आएगी जाकिर हुसैन साहब की मौजमस्ती

संगीतकारों के बीच मौज मस्ती कैसी होती है. इसकी तस्वीरें भी अक्सर सामने आती है. ऐसे ही एक तस्वीर थी जाकिर हुसैन साहब की. जिसमें उनके साथ कई संगीत जगत के दिग्गज बैठे हुए थे. इनमें पंडित अजॉय चक्रबर्ती भी थे और सभी संगीत कार फिल्मी कलाकारों के नाम से राग तैयार कर रहे थे .मस्ती का ये वीडियो सोशल मीडिया पर भी काफी ट्रेंड में है.

जब इस वीडियो के बारे में उनसे पूछा तो पंडित अजॉय चक्रबर्ती ने बताया कि टूर के दौरान एक बार सभी लोग बैठे हुए थे. सुबह का नाश्ता कर रहे थे. इसी बीच किसी ने कहा कि, हेमा मालिनी पर कुछ कम्पोजीशन बनाइए, तो जाकिर भाई शुरू हो गए. उसमे बीजी जोख तान गा रहे, संगीत रिसर्च एकेडमी के डायरेक्टर विजय किशन कुछ गा रहे थे, चक्रवर्ती कुछ गा रहे थे.. ये कहते कहते वे भावुक हो गए और उन्होंने इस बारे में आगे बोलने से माना कर दिया, लेकिन जाकिर हुसैन साहब को श्रद्धांजलि देते हुए कहा की उनके अब ना होने की बात मन मानने को तैयार नहीं है.

Last Updated : Dec 16, 2024, 8:53 PM IST

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