नई दिल्ली: भारतीय रेलवे के लोको रनिंग स्टाफ ने रनिंग भत्ते में बढ़ोतरी की मांग को लेकर 22 जनवरी को विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है. मांग के बारे में बताते हुए ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (AILRSA) के केंद्रीय अध्यक्ष राम शरण ने ईटीवी भारत को बताया कि लोको कर्मचारी रनिंग भत्ते की मांग कर रहे हैं, क्योंकि सभी भत्ते 25 प्रतिशत बढ़ाए गए हैं और रनिंग भत्ते को छोड़कर डीए 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है.
उच्च अधिकारियों को सौंपे गए पत्र में एसोसिएशन (AILRSA) के महासचिव के.सी. जेम्स ने कहा, 'किलोमीटरेज भत्ते को डीए इंडेक्स्ड भत्ता न मानने के पीछे जो कारण दिया गया है, वह रेलवे बोर्ड के सौतेले रवैये को स्पष्ट रूप से दर्शाता है. यह प्रत्येक रनिंग स्टाफ के आत्मसम्मान के लिए एक चुनौती है.'
राम शरण ने कहा, 'एक लोको रनिंग स्टाफ को हर महीने करीब 4,000 से 7,000 रुपये का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. भारतीय रेलवे में करीब 5-6 लाख लोको पायलट और सहायक लोको पायलट काम करते हैं, जिन्हें यह नुकसान उठाना पड़ रहा है.'
एसोसिएशन (AILRSA) के पत्र के अनुसार रनिंग अलाउंस के बारे में पहले के सभी आदेश रेलवे बोर्ड ने ही जारी किए थे. बिना किसी वेतन आयोग या वित्त मंत्रालय के किसी आदेश के जब 7वें वेतन आयोग के बाद 2018 में किलोमीटर अलाउंस बढ़ाकर 525 रुपये किया गया तो वेतन आयोग की कोई सिफारिश नहीं थी. 6वें वेतन आयोग की व्यवस्था में भी वेतन आयोग की कोई सिफारिश नहीं थी.
वेतन आयोग के अनुसार वित्त मंत्रालय की सिफारिश और निर्णय के बिना ही रेलवे बोर्ड ने 2008 में रनिंग भत्ते की दरों में वृद्धि कर दी. जबकि किलोमीटर भत्ता डीए इंडेक्स्ड भत्ता नहीं बल्कि एक भत्ता बना रहा, रेलवे बोर्ड ने 2012 और 2014 में रनिंग भत्ते में 25 प्रतिशत की वृद्धि की. साथ ही डीए इंडेक्स्ड भत्ते में 25 प्रतिशत की वृद्धि की, जब डीए क्रमशः 50 प्रतिशत और 100 प्रतिशत हो गया.
जैसा कि एसोसिएशन ने बताया कि कुछ महीने पहले लोको रनिंग स्टाफ ने ड्यूटी के घंटे तय करने, समय-समय पर आराम देने आदि की अपनी मांगों को लेकर सभी जोनों के महाप्रबंधक कार्यालय के सामने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया था.
बिलासपुर के एक यूनियन सदस्य ने बताया, 'चूंकि यात्रा भत्ता किलोमीटर दर का एक बड़ा हिस्सा होता है, इसलिए 25 प्रतिशत टीए वृद्धि के संबंध में इस वर्ष एक जनवरी से किलोमीटर दर में भी 25 प्रतिशत की वृद्धि की जानी थी, जिसे रेलवे प्रशासन ने अस्वीकार कर दिया. इस भेदभावपूर्ण व्यवहार के कारण रनिंग स्टाफ में भारी आक्रोश है.'