नई दिल्ली: चीन ने 19 अप्रैल को स्ट्रैटिजिक सपोर्ट फोर्स (SSF) को समाप्त करने की घोषणा की थी. इसे 2015 में शी जिनपिंग ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सुधारों के तहत बहुत धूमधाम से बनाया था. साथ ही उन्होंने एसएसएफ को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया था. एसएसएफ में अन्य संगठनों के भी विभाग शामिल थे. इसका मूल कार्य स्पेस, साइबर, इंफोर्मेशन और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर की क्षमताओं को बढ़ाना है. एसएसएफ को तीन स्वतंत्र शाखाओं में विभाजित किया गया है, जिन्हें इंफोर्मेशन सपोर्च फॉर्स (ISF), साइबरस्पेस फोर्स और एयरोस्पेस फोर्स कहा जाता है.
ये तीनों शाखाएं सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) के तहत काम करेंगे. इससे यह मैसेज जाएगा कि शी जिनपिंग की अध्यक्षता वाली सीएमसी उन पर कड़ी निगरानी रखेगी. इसके साथ ही तीन की पीएलए के पास सेना, नौसेना, वायु सेना और रॉकेट बल के साथ-साथ चार स्वतंत्र कार्यक्षेत्र शामिल होंगे. इनमें से तीन का गठन हाल ही में किया गया है. यह मौजूदा लॉजिस्टिक सपोर्ट फोर्स में शामिल होंगे. इसका मतलब यह भी है कि साइबर, सूचना और अंतरिक्ष ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें चीन काफी रुचि रखता है. चीन ने भले ही इसकी घोषणा अप्रैल में की थी, लेकिन इस पर पहले ही गहन चर्चा हुई होगी. अक्सर देखा जाता है कि चीन में अंतिम निर्णय की घोषणा होने तक बहुत कम जानकारी सामने आती है.
नेशनल साइबर बॉर्डर डिफेंस होगा मजबूत
चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपनी प्रेस वार्ता में साइबरस्पेस फोर्स की भूमिका को लेकर कहा, ' इस का काम नेशनल साइबर बॉर्डर डिफेंस को मजबूत करना, नेटवर्क घुसपैठ का तुरंत पता लगाकर उसका मुकाबला करना, राष्ट्रीय साइबर संप्रभुता और इंफोर्मेशन सिक्योरिटी को बनाए रखना होगा. इसके अलावा यह ऑफेंसिव साइबर ऑपरेशन की जानकारी भी देगी. इसके बाद सीएमसी यह निर्धारित करेगी कि किन विरोधियों पर साइबर अटैक किया जाए.
उन्होंने कहा कि एयरोस्पेस फोर्स अंतरिक्ष का उपयोग करने की क्षमता को मजबूत करेगी. स्पेस युद्ध का अगला आयाम है और दुनिया भर में इसका महत्व बढ़ रहा है. भारत सहित अधिकांश आधुनिक सशस्त्र बलों के पास अपनी एक अलग अंतरिक्ष कमान है. भारतीय सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने हाल ही में कहा था, ' स्पेस वायु, समुद्र और पृथ्वी पर अपना प्रभाव डालेगा.'
सूचना पर निर्भर है आधुनिक युद्ध
आईएसएफ को पीएलए ने कहा, 'आधुनिक युद्ध में जीत सूचना पर निर्भर करती है. अब युद्ध इंफोर्मेशन सिस्टम के बीच है. ऐसे में जिसके पास सर्वश्रेष्ठ सूचना है, वह युद्ध की पहल करता है. शी जिनपिंग ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा था कि आईएसएफ, 'सैन्य आधुनिकीकरण में तेजी लाएगा और नए युग में लोगों के सशस्त्र बलों के मिशन को प्रभावी ढंग से लागू करेगा.' आईएसएफ सूचना क्षेत्र पर हावी होने के अलावा, पीएलए के लिए कम्युनिकेश और नेटवर्क डिफेंस का की कमान भी संभालेगा. एक धारणा यह भी है कि भविष्य में किसी भी युद्ध की स्थिति में, आईएसएफ अन्य विरोधियों के कार्रवाई करने से पहले इंफोर्मेशन स्पेस पर हावी होने की कोशिश करेगा.
भारत एलएसी पर अपने ग्रे जोन ऑपरेशन के तहत चाइनीज इंफोर्मेशन वॉरफेयर का सामना कर रहा है. इनमें नियमित अंतराल पर अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों का नाम बदलना और कई मीडिया प्लेटफार्मों पर चीनी नैरेटिव को पेश करना शामिल है. ये कार्रवाइयां चीन की 'थ्री वॉरफेयर' कंसेप्ट का हिस्सा हैं, जिसमें जनता की राय, साइकिलॉजिकल और लीगल वॉरफेयर शामिल हैं. इस युद्ध का नेतृत्व अब ISF करेगा.
एसएसएफ पुनर्गठन के कारण
एसएसएफ पुनर्गठन के कई कारण बताए जा रहे हैं. इसकी एक वजह यह है कि वर्तमान में एसएसएफ सफल नहीं हो पा रही थी और इससे स्पेस, साइबर और नेटवर्क डिफेंस फोर्स के साथ-साथ उनके और पीएलए के अन्य हथियारों के बीच जरूरी कोर्डिनेशन में सुधार नहीं हुआ. इतना ही नहीं यह भी हो सकता है कि एसएसएफ ने स्ट्रेक्चर कती क्षमताएं बढ़ाईं और उन्हें पूरा होने पर उसके अल-अलग- वर्टिकल बनाए हों.