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चुनाव में मस्त प्रशासन, प्यास से तड़प रहे जंगली जानवर, नहीं हो पाई टेंपरेरी व्यवस्था, सूखे पड़े हैं जंगल - animals facing water problem - ANIMALS FACING WATER PROBLEM

भीषण गर्मी में मध्य प्रदेश में जंगली जानवरों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. छिंदवाड़ा जिले में जानवरों की प्यास पर अधिकारियों की मनमानी भारी पड़ रही है. अधिकारी चुनावी तैयारियों में इतने व्यस्त हैं कि बेजुबान जानवरों के लिए पानी का बंदोबस्त करना ही भूल गए. पढ़िये छिंदवाड़ा से महेंद्र राय की खास रिपोर्ट...

CHHINDWARA FOREST WATER PROBLEM
प्यास से तड़प रहे जंगली जानवर

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 22, 2024, 7:35 PM IST

छिंदवाड़ा। चुनाव की सरगर्मी छिंदवाड़ा में सबसे ज्यादा रही लेकिन इसके बीच नुकसान वन्यप्राणियों को उठाना पड़ रहा है. क्योंकि चुनावी तैयारी के चलते प्रशासन ने जंगलों में वन्य प्राणियों के लिए पानी की व्यवस्था करना ही भूल गया. वन्यप्राणियों के लिए पानी के इंतजाम के लिए वन विभाग के अधिकारी वॉटर होल यानी कृत्रिम जलस्त्रोत नहीं बना पा रहे हैं. वन अधिकारियों का कहना है कि ''उनके पास फंड नहीं होने के कारण इनका निर्माण नहीं करा पा रहे हैं.''

छिंदवाड़ा में पानी को तरसे जानवर

विभाग में नहीं आ रहा वॉटर होल बनाने के लिए फंड

जंगलों में वॉटर होल बनाए जाने के लिए फंड की समस्या के बाद अप्रैल माह के बाद ही इसका निर्माण जैसे-तैसे शुरू हो पाता है. हालांकि इसके लिए वन अधिकारी दूसरे मदों के जरिए वॉटर होल बनाए जाने की बात कह रहे हैं. वहीं दूसरी ओर गर्मी में वन्य प्राणियों को पानी की व्यवस्था के लिए वन विभाग फिलहाल प्राकृतिक जल-स्त्रोतों पर निर्भर है. वन अधिकारियों का कहना है कि ''प्राकृतिक जल-स्त्रोत में फिलहाल पानी है ऐसे में वन्य प्राणियों के लिए कृत्रिम वाटर होल की आवश्यकता नहीं है.'' हालांकि इसके लिए भी सर्वे कराए जाने की बात अधिकारी कह रहें.

वॉटर होल की होती है व्यवस्था, प्यासे हैं जानवर

छिंदवाड़ा जिले में तीन वन मंडल आते हैं जिनमें करीब 150 टेंपरेरी पानी के लिए वॉटर होल बनाए जाते हैं. जिससे की जंगली जानवर गर्मी के दिनों में प्यासे ना रहे और उन्हें पानी की तलाश में जंगल से बाहर न आना पड़े. लेकिन इस बार अभी तक व्यवस्थाएं शुरू नहीं की गई है, न ही किसी को इसका टेंडर दिया गया है. हर साल स्थानीय स्तर पर पानी टैंकरों से खरीद कर भराया जाता है.

नहीं हो पाई पानी की टेंपरेरी व्यवस्था

समाजसेवी आए आगे, जंगल में भर रहे पानी

तापमान लगातार बढ़ने पर नाले-नदी की पोखर में पानी कम बचा है, जिससे वन्य प्राणियों के लिए प्यास बुझाने की समस्या है. वहीं, प्राकृतिक जल स्त्रोतों के पोखर में शिकार की आशंका बढ़ गई है. ऐसी स्थिति से निपटने जंगल में विगत वर्षों में बनाई सीमेंट कांकरीट की टंकियों को पानी से भरा जा रहा है. वहीं कुछ स्वयंसेवी आबादी क्षेत्रों और वन क्षेत्र के समीप पेड़ों की शाखाओं में पानी भरे पात्र परिंदों के लिए लटका रहे हैं.

रहवासी इलाकों की तरफ रुख कर रहे जानवर

जंगलों में पानी की समस्या के चलते वन्य प्राणी अब आबादी की ओर रूख कर रहे हैं, जिससे वे कुत्तों का शिकार बन रहे अथवा सड़क हादसों में जान गवां रहे हैं. ऐसी स्थिति परासिया क्षेत्र में उत्पन्न ना हो, इसके लिए वन विभाग के अलावा अन्य लोग भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. परासिया वन परिक्षेत्र अंतर्गत खिरसाडोह नर्सरी और कोसमी के जंगल में दो विशाल पानी की टंकी बनाकर उसमें पानी भर रहे हैं. खिरसाडोह में एक टेंकर और कोसमी में चार टेंकर पानी क्षमता की टंकियां है. छह साल पहले इन टंकियों को वाट्सअप ग्रुप 'जागते रहो' और वन विभाग ने संयुक्त रूप से तैयार किया था. हर साल गर्मियों में इन टंकियों को टेंकर से पानी लाकर भरते हैं. कोई शिकारी यहां ना पहुंचे अथवा पानी में कोई कुछ ना मिलाए, इसको लेकर भी निगरानी होती है.

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दुर्घटनाओं में या फिर शिकारी के चंगुल में फंस जाते हैं जानवर

जंगली जानवर जब पानी की तलाश में जंगल से निकलकर रहवासी इलाकों में पहुंचते हैं तो अधिकतर या तो सड़क दुर्घटनाओं के शिकार हो जाते हैं या फिर किसी शिकारी की चंगुल में फंस जाते हैं. इसलिए अधिकतर मामले गर्मी के दिनों में जंगली जानवरों की मौत के सामने आती है. जंगली जानवरों को पानी आसानी मिल सके और उन्हें दुर्घटनाओं से भी बचाया जा सके इसलिए टेंपरेरी वाटर होल की व्यवस्था की जाती है.

अधिकारी बोले-अच्छी बारिश का मिल रहा फायदा

पश्चिम वनमंडल के डीएफओ ईश्वर जरांडे ने बताया कि''वन विभाग को पिछले वर्षों में हुई अच्छी बारिश और ग्रीष्म ऋतु के पूर्व हुई बारिश से काफी राहत मिली थी. यहां पर बारिश अच्छी होने के कारण जलकुंड बनाने की आवश्यकता नहीं हुई थी. पिछले एक माह से भी रुक- रुककर हो रही बारिश के कारण प्राकृतिक जल स्त्रोत में पानी है. इसके बावजूद जहां जरुरत है वहां पर वॉटर होल बनाए जाएंगे.''

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