नई दिल्ली : हाल के कई चुनावों में देखा गया है कि पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाता बढ़-चढ़कर मतदान केंद्रों पर पहुंचती हैं और अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहीं हैं. जाहिर है, महिलाएं पहले के मुकाबले अधिक सशक्त हुई हैं, वो जागरूक भी हैं और चुनाव आयोग ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है. हालांकि, इन सबसे हटकर एक और विषय है, जिसके जरिए महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की जा रही है और वह मुद्दा है- महिलाओं के खाते में नकद राशि ट्रांसफर करना.
ऐसा नहीं है कि इस तरह की योजना किसी एक पार्टी ने शुरू की है और अन्य पार्टियां पीछे बैठी हैं. लगभग सभी पार्टियों ने इस योजना को किसी न किसी के नाम पर शुरू की है. उत्तर से लेकर दक्षिण के राज्य इसमें शामिल हैं. आइए इन पर एक नजर डालते हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फरवरी 2021 में विधानसभा चुनाव के दौरान प्रत्येक परिवार की महिला मुखिया को नकद रुपये देने का वादा किया था. उस समय ऐसा किसी को नहीं लगा था कि यह मुद्दा काम कर जाएगा. लेकिन चुनाव परिणाम ने सबको चौंका दिया. मतदाताओं के बीच यह मुद्दा काम कर गया और ममता बनर्जी तीसरी बार चुनाव जीतकर सत्ता में आ गईं. उनकी सरकार ने एससी-एसटी परिवार की महिलाओं को एक हजार रुपये और सामान्य वर्ग की महिलाओं को पांच सौ रुपये देने की शुरुआत की है. विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की योजनाओं से महिलाओं को थोड़ी राहत अवश्य मिलती है.
इसके बाद आम आदमी पार्टी ने पंजाब चुनाव के दौरान इसे आजमाया. 2022 में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान पंजाब में आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अगर उनकी सरकार आती है, तो 18 साल से अधिक उम्र की सभी महिलाओं को एक हजार रुपये प्रति महीने देंगे. आप को पंजाब विधानसभा की 117सीटों में से 92 सीटें मिलीं. हालांकि, यह अलग बात है कि उनकी सरकार ने अब तक इस योजना की शुरुआत नहीं की है. सरकार ने कहा है कि वह इसे जल्द लागू करेगी.
पंजाब के बाद केजरीवाल ने दिल्ली की सभी महिलाओं को एक हजार रुपये प्रति महीने देने का भरोसा दिया है. राज्य सरकार ने इसके लिए अपने बजट में दो हजार करोड़ रुपये का प्रावधान भी कर दिया है. 18 साल से अधिक उम्र की सभी लड़कियों या फिर महिलाओं को यह राशि दी जाएगी. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस तरह की योजनाओं की शुरुआत करने को लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं, लेकिन सरकार ने सभी आरोपों को निराधार बताया है. उनका कहना है कि उनकी सरकार महिलाओं को सशक्त करना चाहती है.