बेंगलुरु:कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी के पानी को लेकर जंग छिड़ गई. दरअसल, कावेरी वाटर रेगुलेशन कमेटी ने कर्नाटक सरकार को यह निर्देश दिया था कि वे किसी भी हाल में नदी का पानी तमिलनाडु के हाल में छोड़े. हालांकि, कमेटी के फैसले पर कर्नाटक सीएम ने आपत्ति जताई है. उन्होंने इस आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की चेतावनी दी है.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को कहा कि कावेरी जल विनियमन समिति (सीडब्ल्यूआरसी) द्वारा राज्य को इस महीने के अंत तक प्रतिदिन एक टीएमसीएफटी कावेरी नदी का पानी तमिलनाडु के लिए छोड़ने के निर्देश के खिलाफ अपील दायर की जाएगी.
वहीं, जल संसाधन मंत्री और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने कावेरी नदी बेसिन क्षेत्र के मंत्रियों और अधिकारियों के साथ बैठक के बाद कहा कि राज्य की अगली कार्रवाई पर निर्णय लेने के लिए 14 जुलाई को एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की जाएगी.
सिद्धारमैया ने कहा कि इस बार सामान्य बारिश के पूर्वानुमान के बावजूद अभी तक प्रवाह में 28 प्रतिशत की कमी है. हमने ये सीडब्ल्यूआरसी से भी कहा था. साथ ही हमने जुलाई के अंत तक कोई निर्णय नहीं लेने का अनुरोध किया, फिर भी सीडब्ल्यूआरसी ने 12 जुलाई से प्रतिदिन एक टीएमसीएफटी पानी छोड़ने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि आज की बैठक में यह सहमति बनी है कि सरकार इस आदेश के खिलाफ कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) के सामने अपील दायर करेगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्नाटक जल मुद्दे पर सभी दल एक साथ हैं. इसलिए, एक सर्वदलीय बैठक (14 जुलाई को) आयोजित की जाएगी. उन्होंने कहा कि बैठक में केंद्रीय मंत्रियों, राज्य के लोकसभा, राज्यसभा सदस्यों और कावेरी नदी बेसिन क्षेत्र के विधायकों को भी आमंत्रित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार सभी को विश्वास में लेकर अपना अगला कदम तय करेगी.
सिद्धारमैया ने कहा कि बिलिगुंडलु में तमिलनाडु को 5000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है जो काबिनी बांध के प्रवाह के बराबर है. उन्होंने बताया कि राज्य में कावेरी बेसिन के सभी चार जलाशयों में कुल मिलाकर केवल 60 टीएमसीएफटी पानी उपलब्ध है. उन्होंने कहा कि हमें कृषि गतिविधियों के लिए भी पानी उपलब्ध कराने की आवश्यकता है. इसलिए, कम बारिश को ध्यान में रखते हुए हमने जुलाई के अंत तक इंतजार करने का अनुरोध किया है.
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